लोकसभा चुनाव प्रचार के बीच पीएम मोदी ने उत्तराखंड में एक जनसभा के दौरान कहा कि पिछले दस साल में आतंकियों को उनके घर में घुसकर मारा गया. इस पर अमेरिका की ओर से एक बयान आया है. देखा जाए तो इस पर अमेरिका ने कोई रिएक्शन नहीं दिया है, बल्कि अमेरिका से इस मुद्दे रिएक्शन लिया गया है. अमेरिका के अंदर जो पाकिस्तानी मूल के पत्रकार यानी की शो कॉल रिपोर्टर है या जो जमात इस्लामी मुस्लिम ब्रदर्सहूड है, जिनके अंदर कट्टरपंथी तंजिमे हैं, जिनको अमेरिका में शह मिली हुई है जो व्हाइट  हाउस में जाकर प्रश्न पूछते रहते हैं. उन्हीं में से एक व्यक्ति ने ये प्रश्न पूछा था. इस पर अमेरिका के स्पोक्सपर्स पर्सन यानी की प्रवक्ता ने अपना जवाब दिया.


प्रवक्ता से ये सवाल पूछा गया था कि भारत कई जगहों पर अंदर घुसकर लोगों को मार रहा है. हालांकि पाकिस्तान ने भी अभी ऐसा कोई जाहिर नहीं किया है कि उनके यहां के लोगों को मारा जा रहा है. हालांकि, शक तो किसी पर भी किया जा सकता है. पाकिस्तान के अंदर और बाहर भारत में भी बहुत बड़ा तबका ऐसा है जो मानता है कि कोई ऐसी खुफिया एजेंसी या कोई है जो कथित तौर पर विदेश में बैठे खुफिया आतंकियों को चुपके से मारने का काम रहा हैं. हालांकि, भारत या किसी के पास इस बात का कोई भी प्रमाण नहीं है. पाकिस्तान के पत्रकार ने अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से जब सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के कई मुद्दे हैं, जिन्हें आपस में बैठकर बातचीत करके सॉल्व करनी चाहिए.


पन्नू को लेकर भी पूछे गए थे सवाल 


दूसरे प्रश्न में पूछा गया था कि खालिस्तान आतंकवादी पन्नू है, उन पर क्या अमेरिका कोई भारत के ऊपर कोई प्रतिबंध या कोई कार्रवाई करेगा. इस पर अमेरिका की ओर से दो टूक बयान देते हुए कहा गया कि अगर कोई कार्रवाई या कोई प्रतिबंध लगाया जाएगा तो यह पब्लिक में पहले अनाउंस करके नहीं किया जाएगा . उसके साथ ही पत्रकार को चुप कराया गया. लेकिन  देखा जाए तो पाकिस्तान को कितना भी चुप कराया जाए लेकिन वह चुप रहने वालों में नहीं है.



वह फिर आगामी चार से पांच दिनों बाद ऐसे प्रश्न पूछते नजर आएंगे. जहां तक पन्नू का मामला है उसमें भारत को भी एक स्पष्ट पॉजिशन लेनी चाहिए. अभी हमने सोशल मीडिया देखा है कि पर भारतीय मूल की एक लड़की थी. जिसने कई बातें कहीं और वहां के प्रतिनिधित्व करने वालों को कत्ल करने से लेकर अन्य कई बातें कहीं. जिसको तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया और अब उस पर केस भी चलाया जा रहा है. उसी के आधार पर देखा जाए तो पन्नू पर क्यों नहीं करवाई हो रही है. अब ये सवाल उठना लाजिमी हो जाता है.


खालिस्तान आतंकी करते रहे हैं घटनाएं 


बीते कुछ साल पहले ही पन्नू ने कहा था कि नवंबर 2019 के बाद कोई भी सीख समुदाय के लोग एयर इंडिया से अपनी यात्रा ना करें. क्योंकि वो अगर यात्रा करते हैं तो उसके जान को खतरा हो सकता है. आखिरकार खतरा कैसे हो जाएगा. देखा जाए तो खालिस्तान समर्थक आतंकियों का ये ट्रैक रहा है कि वो एरोप्लेन, ट्रेन और पब्लिक को नुकसान पहुंचाई है. कई जगहों पर बम मारा है. ऐसे आतंकियों को एलजीपीएफ वाले इसका समर्थन करते हैं.


पन्नू भारत को लेकर ओपेन धमकी दी था. ये फ्रीडम ऑफ स्पीच में नहीं आती है. भारत को स्पष्ट रूप से अमेरिका को बोलना चाहिए कि अगर कोई ऐसी धमकी मिलती है तो ये ठीक नहीं होगा.


अगर राजनीतिक तौर पर खिलाफ है तो ये ठीक है.  ऐसा भारत के विपक्ष और लोग भी मोर्चा खोलते हैं तो ये सब चलता है, ये लोकतंत्र का ही एक पार्ट है. लेकिन खुलेआम कत्ल करने की धमकी दी जाती है. ओपेन तौर पर राजनायिक को धमकी दी जाती है, उनके पीठ के ऊपर निशान बनाई जाती है, पोस्टर बनाए जाते हैं, उनकी कत्ल की बात की जाती है. भारतीय मूल के निवासियों को वहां से निकालने  की बात कहते हैं. तो ये सब फ्रीडम आफ स्पीच में नहीं आता है, ये सब बातों पर भारत को एक्शन लेते हुए अमेरिका से पूछना चाहिए. अगर फ्रीडम आफ स्पीच के अंतर्गत आता है तो भारत भी उसमें बदलाव करने का काम करेगा. लेकिन बदलाव क्या होगा इसके बारे में बताने की जरूरत नहीं है.


भारत को बड़बोलेपन से बचना होगा 


भारत को अगर कोई कदम उठाना है तो उससे पहले उसके बारे में बताने की जरूरत नहीं है. इजरायल से सीखने की जरूरत है कि बड़े बड़े कारनामे हो जाते हैं लेकिन आज तक किसी नेता, मीडिया, रिटायर अफसर हो कोई भी वो सिर्फ शक कर के कहते हैं कि शायद उसने किया हो. लेकिन किसी के पास औपचारिक तौर पर या स्पीच  में कहीं नहीं कहता कि उसने ऐसा कर रहा है या किया है. भारत को इस तरह से अपने बड़बोलापन पर अंकुश लगाने की जरूरत है.


पीएम मोदी और रक्षा मंत्री ने बयान दिया है उसका मतलब कुछ और था. दोनों ने भारत की अब की नीति के बारे में कहना चाह रहे थे. उनका कहना था कि अगर कोई एक्शन भारत पर आतंकी लेते हैं तो वो पाकिस्तान या कहीं और हों उसे घुसकर मारेगा. भारत चुपके से नहीं करेगा वो बता कर एक्शन लेगा. जिस तरह से कि 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 2018 में बालाकोट के समय किया गया था. उसके बाद भारत ने जिम्मेदारी लेते हुए पूरी दुनिया को बताया था. पीएम और रक्षा मंत्री का यही मतलब था कि अगर कोई ऐसा कार्य होता है तो नए नीति के अंतर्गत कार्रवाई होगी. अगर आतंकी पाकिस्तान में होंगे तो वहां पर मिशाइल, एयर या फिर सेना को भेज कर मारेंगे. लेकिन इसको व्यक्त करने की कोशिश थोड़ी अलग होनी चाहिए जैसे कि अभी हो रहा है कि उस बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है.


बयानों से नहीं पड़ता है असर 


देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बयानों को कोई खास असर नहीं पड़ता है. आतंकियों पर एक्शन की बात है तो ऐसे में पहले भी कई देश करते आए हैं. ऐसा पहले से अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और फ्रांस जैसे देश करते आए हैं. अमेरिका को लगता है कि उसको किसी से खतरा है तो वहां पर अपना सेना और जहाज भेजता है. आतंकियों को खत्म करने के लिए अमेरिका भी कदम उठाते रहा है. जिस देश के क्षमता होती है वो ऐसा करते रहे है. मनमोहन सिंह के समय 26/11 का कांड हुआ, उस समय कहा गया कि पाकिस्तान को जवाब देना चाहिए, लेकिन उन्होंने ऐसा कदम नहीं उठाया. आज भारत के सेना के पास क्षमता है इसलिए घर में घुसकर आतंकियों को मारती है.


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