एक्सप्लोरर

चुनाव परिणाम 2024

(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

Opinion : पिछले वादे पूरे नहीं किए तो सड़कों पर फिर उतरेंगे किसान, नहीं चढ़ेगी काठ की हांडी बार-बार

किसान एक बार फिर आंदोलन की तैयारी में हैं. राजधानी दिल्ली में भले ही कड़ाके की सरदी पड़ रही है, लेकिन किसानों ने फिर सड़कों पर धरने की तैयारी शुरू कर दी है. किसानों ने कह दिया है कि सरकार ने उनके पिछले आंदोलन की मांग पूरी नहीं की तो वे 13 फरवरी से दिल्ली का रुख करेंगे. राकेश टिकैत ने 16 फरवरी को भारत बंद का आह्वान भी कर दिया है. 23 जनवरी को अमृतसर में किसानों के द्वारा अपनी पुरानी मांगों को लेकर एक महारैली भी की गई है. इन सभी मसलों को कुछ ही महीने बाद होने वाले आम चुनाव से भी जोड़ा जा रहा है.  हरियाणा में विधानसभा का भी चुनाव साथ ही होना है. हरियाणा और पंजाब के किसान काफी आक्रोशित हैं. 6 फरवरी को किसानों के द्वारा एक छोटी रैली का आयोजन  किया जाएगा फिर पूरे देश के किसान 13 फरवरी को दिल्ली की तरफ अपना रुख करेंगे.

खत्म नहीं, स्थगति था किसान-आंदोलन  

किसान आंदोलन कभी खत्म नहीं हुआ था, इसे सिर्फ स्थगित किया गया था. स्थगित इसलिए किया गया था क्योंकि सरकार के द्वारा किसानों को और किसान नेताओं को आश्वासन दिया गया था कि उनकी मांगों के ऊपर कार्रवाई होगी, उसके होने की पूरी संभावना थी. लेकिन वो गारंटी फेल हो गई. किसान उस आश्वासन की वजह से आस में बैठे थे कि जल्द ही कोई समाधान निकलेगा लेकिन जब कोई समाधान निकलता हुआ दिखाई नहीं दिया और बार-बार फिर से किसानों का उसी तकलीफ से गुजरने का दौर शुरू हुआ. किसानों के फसलों के मुआवजे, बीमा के मुआवजे, बीज की किल्लत, उर्वरक की परेशानियां, ये सारे मसलें जब फिर से किसानों को भुगतने पड़ रहे हैं और किसानों के लिए एक उचित मूल्य का निर्धारण नहीं हुआ तो किसानों को यह लगने लगा कि उनको ठगा गया है, एक समय के लिए इन्हें पीछे धकेला जा रहा था. किसानों को उस समय सरकार की नीयत पर विश्वास हुआ था, वो विश्वास धीरे-धीरे धुंधला होता गया, समस्याएं वहीं की वहीं खड़ी है.

किसानों को है संविधान की समझ

जिन मांगों को लेकर किसानों ने आन्दोलन को स्थगित किया था, उसका कोई हल निकलते दिखाई नहीं दिया. तब इन्होंने सरकार के दरवाजे को खटखटाया, लेकिन वहां किसी भी प्रकार की सुनवाई नहीं हुई. तब जाकर किसानों ने यह निर्णय लिया है कि आंदोलन को दुबारा से शुरू किया जाए. वर्तमान में जो सत्ताधारी सरकार है, उनकी नीतियों के विरुद्ध फिर से उनको एक बार सामने लाने के लिए, निर्णय करवाने के लिए किसानों ने अपनी कमर कस ली है. इस आंदोलन के आह्वान से किसानों की अलग-अलग जत्थेबंदियों और अलग-अलग प्रदेशों में अभी जो स्थितियां है और जिस प्रकार से यह संदेश है, उससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि किसान अब बहुत ज्यादा असंतुष्ट है और अब उनको एक स्थाई समाधान की जरूरत है.

जितने भी किसान हैं, वे मूर्ख नहीं है. ज्यादातर किसान समझदार और पढ़े-लिखे है. उनको संवैधानिक प्रावधान, तौर - तरीकों की अच्छे से जानकारी है. ऐसे में यह समझा जाना कि किसान मूर्ख है और सिर्फ मिट्टी तक ही सीमित है ये कतई गलत है. किसान संविधान में लिखी गई बातों को जानते है और किसान संविधान में दिए गए वोट के अधिकारों के बारे में भी जानते है. यह माना जा सकता है कि किसानों को यह अवसर इसलिए दिखाई देता है क्योंकि चुनाव का समय आया है, इस वक्त अपने पक्ष में निर्णय के लिए सरकार पर दबाव बनाया जा सकता है. इस अवसर को और परिस्थिति को देखते हुए किसानों के द्वारा यह निर्णय लिया जा रहा है.

किसानों ने सरकार को दिखाया था अपना दम

अमृतसर के जंडियाला में एक बड़ी सभा आयोजित की गई थी, जो किसान जत्थेबंदियां थी पूरे उत्तर भारत की. उनको निमंत्रण दिया गया था, जिसमें हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब की जत्थेबंदियां थी, उनको वहां बुलाया गया था, ये निमंत्रण सबके लिये खुला था, लेकिन इसमें एक बात की गई कि कुछ जत्थेबंदियां जो विगत में राजनैतिक तौर पर अपनी महत्वकांक्षाओं को परखना चाहती थी, उन्होंने इस सभा के आरंभ में कुछ दूरी बना ली. बाद में शायद उन्हें भी यह लगने लगा कि राजनैतिक तरीके से लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए आंदोलन ही सबसे सशक्त माध्यम हो सकता है. अब जो नई जत्थेबंदियां बनी है. उन्होंने राजनैतिक तौर पर अपने आप को परिभाषित किया है.

इसमें पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान की जत्थेबंदियां है, साथ ही में मध्य प्रदेश और बिहार के कुछ प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे जिन्होंने इस आंदोलन को संयुक्त रूप से सभी प्रदेशों में समनांतर रूप से खड़ा करने के लिए संकल्प भी लिया था. ऐसा हो सकता है कि ये जत्थेबंदियां अपना रुख दिल्ली की ओर करें और इनके द्वारा लिया गया यह निर्णय बेहद गंभीर निर्णय माना जा सकता है. पहले भी किसानों को रोकने की कोशिश की गई थी, तब किसानों ने अपना दम सरकार को दिखा दिया था. लगातार दिल्ली की सीमाओं पर जिस तरह से किसानों का डेरा रहा था, और जिस तरह से उन्होंने ने संघर्ष किया, अंत तक सरकार को समझ आ गया और उन्हें माफी मांगनी पड़ी, कानून को वापस लेना पड़ा. अभी किसान के जो नेता हैं और जो उनका वैचारिक मंच है, उसमें एक चर्चा यह भी है कि तीन कानून, जिसकी सरकार ने वापसी की थी, उनको सरकार किसी दूसरे रूप में सामने लाना चाहेगी और सरकार की इसी मंशा को देखते हुए किसान जत्थेबंदियों ने आकलन करना भी शुरू कर दिया है.

किसान आंदोलन को मजबूर

2023 में एक कानून पारित किया गया जिसे मल्टी स्टेट कॉपरेटिव एक्ट के तौर पर देखा जाता है, उसके अंदर जो प्रावधान किये गए हैं, उनका विश्लेषण किया जा रहा है और उनको समझा जा रहा है कि जो पहले लाये गए कानून थे, कहीं उनका ही रूपांतरित तरीका तो नहीं है, फिर से किसानों को नियंत्रित करने का. ऐसे बहुत से कारक हैं जो फिर से किसानों को आंदोलन के लिए प्रेरित कर रहे है. किसानों की समस्या का स्थाई समाधान होना आवश्यक है. देखा जाए तो पूरे विश्व में किसानों के ऊपर जिस तरह का संकट है, हाल ही में जर्मनी में किसानों का आंदोलन आरंभ हुआ, उससे पहले हॉलैंड में भी आंदोलन हो चुका है. यूरोप के बहुत से देशों में किसान जिस तरह से अपनी समस्याओं को लेकर आक्रोशित हैं और जिस प्रकार कि ये वैश्विक नीतियां है, उन नीतियों के प्रति किसानों का प्रतिरोध सभी जगहों पर देखा जा रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं बचेगा, क्योंकि भूमंडलीकरण की वजह से, गलत नीतियों और कॉरपोरेट शक्तियों के हाथों में सारी शक्तियों के निहित होने से किसान और किसानी हाशिए पर जा रहे हैं और यह उनको समझ में भी आ रहा है. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.] 

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

KL Rahul Half Century: यशस्वी-राहुल ने शतकीय साझेदारी से पर्थ में रचा इतिहास, 2004 के बाद पहली बार हुआ ऐसा
यशस्वी-राहुल ने पर्थ टेस्ट में रचा इतिहास, 2004 के बाद पहली बार हुआ ऐसा
पूरा दिन वोटिंग के बाद EVM मशीन 99% कैसे चार्ज हो सकती है?, पति फहाद अहमद की हुई हार, तो स्वरा भास्कर ने पूछे ECI से सवाल
पति की हुई हार तो स्वरा भास्कर ने उठा दिए ईवीएम पर सवाल
Maharashtra Election Result: शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
Maharashtra Assembly Election Results 2024: शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
ABP Premium

वीडियोज

Assembly Election Results: देवेंद्र फडणवीस ने जीत के बाद क्या कहा? Devendra Fadnavis | BreakingMaharashtra Election Result : विधानसभा चुनाव के रुझानों पर महाराष्ट्र में हलचल तेज!Maharashtra Election Result : देश के अलग-अलग राज्यों में हो रहे उपचुनाव में बीजेपी की बड़ी जीतMaharashtra Election Result : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शानदार जीत पर CM Yogi की आई प्रतिक्रिया

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
KL Rahul Half Century: यशस्वी-राहुल ने शतकीय साझेदारी से पर्थ में रचा इतिहास, 2004 के बाद पहली बार हुआ ऐसा
यशस्वी-राहुल ने पर्थ टेस्ट में रचा इतिहास, 2004 के बाद पहली बार हुआ ऐसा
पूरा दिन वोटिंग के बाद EVM मशीन 99% कैसे चार्ज हो सकती है?, पति फहाद अहमद की हुई हार, तो स्वरा भास्कर ने पूछे ECI से सवाल
पति की हुई हार तो स्वरा भास्कर ने उठा दिए ईवीएम पर सवाल
Maharashtra Election Result: शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
Maharashtra Assembly Election Results 2024: शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
Maharashtra Assembly Election Results 2024: सीएम की कुर्सी के लिए संग्राम शुरू, छप गए पोस्‍टर, जानें फडणवीस, अजित पवार, शिंदे का क्‍या रहा रिजल्‍ट
महाराष्‍ट्र: सीएम की कुर्सी के लिए संग्राम शुरू, छप गए पोस्‍टर, जानें फडणवीस, अजित पवार, शिंदे का क्‍या रहा रिजल्‍ट
हेमंत सोरेन को मिला माई-माटी का साथ, पीके फैक्टर एनडीए के काम आया, तेजस्वी का ‘पारिवारिक समाजवाद हुआ फेल’  
हेमंत सोरेन को मिला माई-माटी का साथ, पीके फैक्टर एनडीए के काम आया, तेजस्वी का ‘पारिवारिक समाजवाद हुआ फेल’  
Police Jobs 2024: इस राज्य में भरे जाएंगे सब इंस्पेक्टर के बंपर पद, जानें कब से शुरू होगी आवेदन प्रोसेस
इस राज्य में भरे जाएंगे सब इंस्पेक्टर के बंपर पद, जानें कब से शुरू होगी आवेदन प्रोसेस
Embed widget