एक्सप्लोरर

चुनाव परिणाम 2024

(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

रेवड़ी कल्चर के हमाम में सभी राजनीतिक दल नंगे, मौजूदा दौर राजनीतिक संस्कृति के पराभव का और देश के लिए घातक

भाजपा ने कर्नाटक के लिए अपना घोषणा पत्र जारी किया है, और उसमें बीपीएल वालों के लिए मुफ्त नंदिनी दूध, तीन फ्री गैस सिलेंडर, मुफ्त चावल और मिलेट जैसी कई घोषणाएं की हैं. वहीं प्रधानमंत्री अपने चुनावी भाषणों में हमेशा ही रेवड़ी कल्चर पर जमकर प्रहार करते हैं और कांग्रेस को इसका जिम्मेदार ठहराते हैं. कांग्रेस ने भी हालांकि युवाओं के लिए बेरोजगारी भत्ता से लेकर मुफ्त बिजली तक की कई लुभावनी घोषणाएं की हैं. चुनावी दौर में इन घोषणाओं का जनता के कल्याण से कोई लेना-देना है या येन-केन-प्रकारेण यह सत्ता प्राप्ति की जिद है. 

मौजूदा दौर राजनैतिक नैतिकता के पराभव का

हमारा जो दौर है, वह राजनीतिक नैतिकता के पराभव की पराकाष्ठा है. यह कोई पहली बार नहीं है. केजरीवाल ने जिस तरह की घोषणाएं की और जिस तरह की प्रतिक्रियाएं उस पर दी गईं, उसे अगर आप देखें, भाजपा जिस तरह की घोषणाएं करती हैं, उसे अगर आप देखें तो बहुत आश्चर्य नहीं होगा. एक तो नंदिनी और अमूल को लेकर पूरे कर्नाटक में जिस तरह से आक्रोश है, उस पर गौर कीजिए कि प्रधानमंत्री ने ये कहा कि नंदिनी देंगे, अमूल की घोषणा उन्होंने नहीं की. नंदिनी का मसला कर्नाटक वालों के लिए इतना बड़ा बन गया है कि जब से यह विचार उछाला गया कि नंदिनी और अमूल दोनों ही सहकारी संगठनों को मिला देना चाहिए, तब से कर्नाटक में जो नंदिनी को लेकर 'इमोशनल आउटबर्स्ट' जो हुआ है, प्रधानमंत्री की घोषणा उसे डिफ्यूज करने का एक उपाय मात्र है.

जहां तक रेवड़ी-कल्चर की जो बात है, तो सबसे बड़े रेवड़ी कल्चर पर तो कोई बात ही नहीं करता. देश में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में अनाज दिया जा रहा है. जो सत्तारूढ़ दल है केंद्र में और कई राज्यों में भी, वह जिस तरह की व्यवस्था को बढ़ा रहे हैं, उसका परिणाम क्या होने वाला है? उसका परिणाम यह होनेवाला है कि हम लोगों को रोजगार देने में असमर्थ हैं, आय बढ़ाने मं असमर्थ हैं, इसलिए हमको मुफ्त की सारी चीजें लोगों को बांटने दो. क्या आप इसकी कल्पना कर सकते हैं कि अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी या डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार घोषणा करे कि वह वोटर्स को मुफ्त या रियायती दरों पर बंदूक देगा. पश्चिमी देशों या यूरोप में जहां भी लोकतांत्रिक व्यवस्था है, ऐसी कल्पना भी नहीं कर सकते. फ्रांस में मैक्रां ने रिटायरमेंट की उम्र दो साल बढ़ाई और वहां विद्रोह हो गया. यहां हमारे यहां वोट खरीदने की संस्कृति है, पैसे बांटिए, शराब बांटिए, कुछ भी दुराचार कीजिए और सत्ता में बने रहिए. तो, प्रधानमंत्री ने जो कहा है या बीजेपी ने जो कहा है कर्नाटक में, वह इस संस्कृति से भिन्न नहीं है. देश में करोड़ों बेरोजगार हैं, लेकिन राजनीतिक दलों को किसी भी तरह बस सत्ता में बने रहना है. 

रेवड़ी कल्चर बनाएगी आखिरकार पंगु

देश में लोगों को पंगु बनाने और बैसाखियों पर चलना सिखाने वाली संस्कृति है ये रेवड़ी कल्चर जिसे राजनीतिक दल पैदा कर रहे हैं. इसीलिए, आपने देखा होगा कि जो छोटे-छोटे दल हैं और जो इस तरह के वादे नहीं कर सकते, वे अब चुनावी मैदान से बाहर हैं. हिमाचल में सुक्खू जैसे ही सत्ता में आए, अधिकतर घोषणाओं पर अमल किया. पंजाब में भी बिजली से लेकर तमाम चीजों पर भगवंत मान ने अमल किया. अब दिक्कत ये है कि इस तरह की जो व्यवस्था होती है, उसका असर राज्य के बजट पर पड़ता है. फिर, वो केंद्र से उसकी भरपाई करने को कहते हैं. अब अगर केंद्र में विरोधी दल की सरकार हो, तो वो उसको नहीं करते. इसी को आप जैसे मध्यप्रदेश के संदर्भ में देखें. वहां बीजेपी की सरकार है. वहां भी इसी तरह की घोषणाएं होती हैं, तो वहां कोई दिक्कत नहीं आती. अगर रेवड़ी कल्चर के प्रति केंद्र सरकार का रवैया एक राज्य सरकार के प्रति अनुकूल है, एक के प्रति प्रतिकूल या वह जो घोषणाएं करती हैं, वही उस तरह की हैं तो आप उसको जायज नहीं ठहरा सकते हैं. 

अब जैसे राजस्थान में जो हो रहा है, गहलोत सरकार जो कर रही है, वो भी उसी कल्चर का हिस्सा है. आप एक उस तरह का मुद्दा छोड़कर जाएंगे, जिसकी आगे चलकर मांग होगी कि गहलोत सरकार ने घोषमा की है, तो उसे पूरा किया जाए. अब वो गले पड़ जाती है. ओल्ड पेंशन स्कीम जैसे एक ऐसा ही मामला है. अगर किसी बड़े राज्य में मुफ्त बिजली, ओल्ड पेंशन स्कीम वगैरह का अगर वादा हुआ तो मामला फंसेगा ही न. यहां एक और फर्क है. अगर मनरेगा जैसी योजनाएं शुरू की जाती हैं, तो वह रेवड़ी कल्चर से अलग है. मनरेगा ने बहुत लोगों की मदद की है. खासकर ग्रामीण क्षेत्र में बहुत भला हुआ है. 

कर्नाटक में तो ऐसी घोषणाएं बेमानी 

मनरेगा के मुकाबले ये जो मुफ्त गैस सिलिंडर, नंदिनी दूध या मुफ्त अनाज वाली घोषणाएं हैं, वे तो बेमानी हैं. खासकर, कर्नाटक जैसे राज्य में जहां 40 फीसदी कमीशन का कलंक पहले ही लगा है, वहां अगर इस तरह की घोषमाएं सत्ताधारी पार्टी करती है तो उसके परिणाम और भी घातक निकलने वाले हैं. इस देश में अगर आप प्रति व्यक्ति आय को देखें, आप बेरोजगारों की संख्या को देखें, आत्महत्या के आंकड़ों को देखें, अपराध को देखें तो आपको पता चलेगा कि गरीबी लगातार बढ़ रही है और लोगों की आय घट रही है. इसका एकमात्र उपाय यह है कि लोगों की आय बढ़े और आय बढ़ने का एकमात्र उपाय यह है कि लोगों के लिए रोजगार पैदा किया जाए. 

इस देश के लगभग 600-700 लोग प्रतिदिन और साल के 365 दिन से आप जोड़ लें, इसके आंकड़े अगर आप निकालें पिछले साल के तो आप पाएंगे कि हरेक साल करीबन ढाई-तीन लाख लोग नागरिकता छोड़ रहे हैं. हमने कभी नहीं सुना कि ब्रिटेन या अमेरिका के नागरिक कभी नागरिकता छोड़कर भारत की नागरिकता नहीं लेते. इसका बुनियादी कारण सरकार की नीतियां हैं. एक मूल कारण तो यह है कि पब्लिक सेक्टर के जितने अंडरटेकिंग थे, वे एक-एक कर समाप्त कर दी गईं या निजी हाथों में दी जा रही हैं. वे रोजगार देने के सबसे बड़े साधन थे. अब आज की डेट में जब सरकारी नौकरियां खत्म हो चुकी हैं, प्राइवेट सेक्टर में रोजगार नहीं है तो फिर आपके पास विकल्प क्या है? 

अभी वही स्थिति है. लोगों की मासिक आय क्या है, प्रति व्यक्ति आय क्या है, सरकार जानती है. ऐसे में अगर सरकार वादा करती है कि लोगों को फ्री में पानी या बिजली देंगे तो वही होगा जो केजरीवाल ने किया. दिल्ली और पंजाब में उन्होंने क्या किया. यही तो किया और सत्ता में आए. प्रधानमंत्री भी इसी कल्चर को जानते हैं. वह इसकी आलोचना तो करते हैं, लेकिन जब उनको लगता है कि उनकी पार्टी हार रही है, तो वो भी उसी तरह की घोषणा करने लगते हैं. कांग्रेस भी उसी बोट में सवार है. कर्नाटक जैसे प्रगतिशील राज्य में तो ये बात ही बेमानी है. ये जो एक कल्चर है, उसका विरोध तो खुद जनता को करना चाहिए, लेकिन दिक्कत है कि कर्नाटक की जनता इसका विरोध नहीं करेगी. 

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

IND vs AUS: पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया का दबदबा, यशस्वी-राहुल के दम पर 218 रनों की बढ़त, ऑस्ट्रेलिया के उड़े होश
पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया का दबदबा, यशस्वी-राहुल के दम पर 218 रनों की बढ़त
56 लाख फॉलोवर्स वाले एजाज खान को चुनाव में मिले सिर्फ़ 100 वोट, सोशल मीडिया पर उड़ा मजाक
56 लाख फॉलोवर्स वाले एजाज को चुनाव में मिले सिर्फ़ 100 वोट, खूब उड़ा मजाक
Maharashtra Election Result: शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
Maharashtra Assembly Election Results 2024: शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
ABP Premium

वीडियोज

Assembly Election Results: देवेंद्र फडणवीस ने जीत के बाद क्या कहा? Devendra Fadnavis | BreakingMaharashtra Election Result : विधानसभा चुनाव के रुझानों पर महाराष्ट्र में हलचल तेज!Maharashtra Election Result : देश के अलग-अलग राज्यों में हो रहे उपचुनाव में बीजेपी की बड़ी जीतMaharashtra Election Result : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शानदार जीत पर CM Yogi की आई प्रतिक्रिया

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
IND vs AUS: पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया का दबदबा, यशस्वी-राहुल के दम पर 218 रनों की बढ़त, ऑस्ट्रेलिया के उड़े होश
पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया का दबदबा, यशस्वी-राहुल के दम पर 218 रनों की बढ़त
56 लाख फॉलोवर्स वाले एजाज खान को चुनाव में मिले सिर्फ़ 100 वोट, सोशल मीडिया पर उड़ा मजाक
56 लाख फॉलोवर्स वाले एजाज को चुनाव में मिले सिर्फ़ 100 वोट, खूब उड़ा मजाक
Maharashtra Election Result: शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
Maharashtra Assembly Election Results 2024: शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
Housing Prices: रेसिडेंशियल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का निर्माण हो गया 39 फीसदी महंगा, ये है इसकी बड़ी वजह!
रेसिडेंशियल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का निर्माण हो गया 39 फीसदी महंगा, ये है इसकी बड़ी वजह!
शादी में क्यों नाराज हो जाते हैं फूफा, क्या आपने कभी पता किया इसका कारण?
शादी में क्यों नाराज हो जाते हैं फूफा, क्या आपने कभी पता किया इसका कारण?
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
महाराष्ट्र में करोड़ों महिलाओं को मिलेगा BJP की जीत का फायदा, जानें कितना बढ़ सकता है लाडली बहन योजना का पैसा
महाराष्ट्र में करोड़ों महिलाओं को मिलेगा BJP की जीत का फायदा, जानें कितना बढ़ सकता है लाडली बहन योजना का पैसा
Embed widget