अमेरिका और रूस के रिश्तों में जमी बर्फ क्या पिघलने लगी है?
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दुनिया की दो सबसे बड़ी ताकत- अमेरिका और रूस के रिश्तों में बरसों से चली आ रही तल्खी में क्या अब नरमी आने लगी है? ये सवाल इसलिए उठा है कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद अमेरिका तो यूक्रेन का साथ दे रहा है, लेकिन दोनों ताकतों ने अपने यहां के कैदियों की अदला-बदली का फैसला लेकर दुनिया को चौंका दिया है.
शुक्रवार को रूस ने अमेरिका की बास्केटबॉल स्टार ब्रिटनी ग्रिनर को अपनी कैद से आजाद कर दिया तो वहीं अमेरिका ने रूस के कुख्यात हथियार तस्कर विक्टर बाउट को रिहा कर दिया है. अबु धाबी के हवाई अड्डे पर दोनों की अदला-बदली हुई लेकिन अमेरिका के इस फैसले पर वहां का मीडिया अब सवाल उठा रहा है कि क्या बाइडन प्रशासन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दबाव में आकर ये सौदेबाजी की है? वह इसलिए कि दोनों कैदियों पर एक दूसरे के यहां अलग-अलग किस्म के आरोप लगाए गए थे. रूस के हथियार तस्कर बाउट पर अमेरिकी नागरिकों की हत्या करने जैसे संगीन आरोप भी लगे थे जिसके बाद उसे अदालत ने 25 साल की सजा सुनाई थी. वहीं ब्रिटनी ग्रिनर को नशीली दवा रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
हालांकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि भविष्य में और भी अमेरिकी-रूसी कैदियों की अदला-बदली संभव है. लिहाजा, विदेश नीति के विश्लेषक मानते हैं कि दोनों के रिश्तों में जमी बर्फ पिघल तो रही है, लेकिन ये कहना बहुत जल्दबाजी होगी कि दोनों के रिश्ते दोस्ताना बन सकते हैं क्योंकि इस प्रक्रिया में दोनों देश सिर्फ अपना फायदा देख रहे हैं और ये सौदेबाजी कोई बहुत लंबी नहीं चल सकती.
दरअसल, अमेरिका में ग्रिनर की बेहद लोकप्रियता है और वे दो बार ओलंपिक की गोल्ड मेडल विजेता रही हैं. उनकी रिहाई को लेकर अमेरिका में जबरदस्त प्रदर्शन हुए और सरकार पर दबाव डाला गया था कि वे मसले पर रूस से बात करें. यही वजह रही कि राष्ट्रपति जो बाइडन उन्हें रूसी हिरासत से छुड़ाने के लिए मजबूर हो गए. देश की जनता के दबाव में उन्होंने क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति कार्यालय) से बातचीत शुरू की और ये वार्ता उन्हें उस समय करनी पड़ी, जब रूस और अमेरिका के संबंध अपने सबसे खराब दौर में चल रहे हैं. इसीलिए कूटनीति के विश्लेषक मानते हैं कि ऐसे माहौल के बीच रूस से समझौता करने की मजबूरी बाइडेन के लिए एक तरह से अपमान का घूंट पीने जैसी ही थी, जिसे न चाहते हुए भी उन्हें पीने पर मजबूर होना पड़ा.
अमेरिका में ग्रिनर की शोहरत का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि उनकी रिहाई की सूचना खुद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने ट्वीट के जरिए दी. उन्होंने कहा कि दो बार की ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता ग्राइनर "अपने घर आ रही हैं." उन्होंने ग्राइनर की एक तस्वीर शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा, "वह बिल्कुल सुरक्षित हैं."
दरअसल, महिला राष्ट्रीय बास्केटबॉल संघ (WNBA) की स्टार और दो बार की ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता 32 वर्षीय ग्राइनर को बीती 17 फरवरी को मॉस्को हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था. उनके बैग से रूस में प्रतिबंधित भांग के तेल वाले कारतूस पाए गए थे, जिसे कैनेबिस कहा जाता है और जो नशीली दवा की श्रेणी में आती है. हालांकि बाइडेन प्रशासन यही दोहराता रहा कि ब्रिटनी ग्राइनर को गलत तरीके से हिरासत में लिया गया था. ड्रग्स रखने और तस्करी के आरोप में ब्रिटनी को 4 अगस्त को 9 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी.
ग्राइनर के वकीलों ने सजा को अत्यधिक बताया और इस बात पर जोर दिया कि यह "अपराध की गंभीरता के अनुरूप नहीं है." इसके बदले में अमेरिका को "मौत का मर्चेंट" कहे जाने वाले रूसी हथियार तस्कर बाउट को रिहा करना पड़ा है. लिहाज़ा, इस सौदेबाजी में रूस की ही जीत मानी जा रही है. 55 वर्षीय बाउट पर दुनिया के कुछ सबसे खूनी संघर्षों में विद्रोहियों को हथियार देने का आरोप लगा था. उसे साल 2008 में थाईलैंड में एक अमेरिकी स्टिंग ऑपरेशन में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद उसे अमेरिका में प्रत्यर्पित किया गया जहां 2012 में उसे 25 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी.
यही कारण है कि अमेरिकी मीडिया में इस पर सवाल उठ रहा है कि आखिर बाउट की रूस में इतनी ज्यादा अहमियत क्यों है. उस पर संयुक्त राष्ट्र की जांच में भी गंभीर आरोप लगाए गए थे और कई अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी उसे हथियारों की तस्करी का दोषी ठहराया है. बताया जाता है कि वह इस धंधे में 1990 के दशक से है और एक बार उस पर आतंकवादी संगठन अल-कायदा को हथियार सप्लाई करने का आरोप भी लगा था.
बाउट कितना चर्चित रहा है, इसका अंदाजा इससे ही लग जाता है कि हॉलीवुड के फिल्म निर्माता निकोलस केज ने उसकी जिंदगी को केंद्र में रख कर ‘लॉर्ड ऑफ वॉर’ नाम की फिल्म बनाई थी. हालांकि टीवी चैनल सीएनएन की वेबसाइट पर छपे एक विश्लेषण में कैदियों की इस असमान अदला-बदली पर हैरानी जताते हुए निर्विवाद रूप से इसे रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन की जीत बताया गया है. ये भी कहा गया है कि बाइडन प्रशासन भी रूस विरोधी अपने तमाम अभियान के बावजूद पुतिन के दबाव में आ गया और एक बदनाम अपराधी को रिहा करने की हद तक चला गया. ये अमेरिका के लिए बेहद असहज स्थिति बन गई है.
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