एक्सप्लोरर

अमेरिका में 'रेस' के आधार पर यूनिवर्सिटी-दाखिले पर सुप्रीम कोर्ट का बैन, क्या हैं इसके मायने और क्यों कहा गया इसे 'पॉजिटिव डिस्क्रिमिनेशन'

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में यह साफ कर दिया है कि रेस यानी नस्ल अब वहां के कॉलेज में प्रवेश का आधार नहीं हो सकता. इसके साथ ही कोर्ट ने दशकों से जारी 'अफरमेटिव एक्शन' को खत्म कर दिया है, जिसे उसके आलोचक 'पॉजिटिव डिस्क्रिमिनेशन' भी कहते थे. यह अमेरिकी शिक्षा का सबसे विवादित मुद्दा है. इसके आधार पर अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अल्पसंख्यक समुदायों और महिलाओं का दाखिला सुनिश्चित किया जाता था, जिससे बहुलता बनी रहे. इसमें नस्ल एक बड़ा कारक होता है. अमेरिका में यह कुछ उसी तरह का मुद्दा है, जैसा भारत में आरक्षण है. 

'अफरमेटिव एक्शन' नहीं है 'आरक्षण'

पहले तो यह समझिए कि जिस तरह भारत में आरक्षण की व्यवस्था है, वैसी ही व्यवस्था अमेरिका में 'अफरमेटिव एक्शन' का है, लेकिन वह आरक्षण यानी रिजर्वेशन नहीं है. इसकी शुरुआत अमेरिका में 1960 के दशक में हुई और कैनेडी के समय उपराष्ट्रपति रहे लिंडन जॉनसन जब राष्ट्रपति बने, तो इसे कानूनी जामा दिया गया. 1964 के सिविल राइट्स एक्ट और 1965 के एक्ज्क्यूटिव ऑर्डर के तहत संघीय सरकार ने इसे पुख्ता किया. हालांकि, कई स्टेट्स में यह लागू नहीं किया गया. इस कानून के तहत अल्पसंख्यकों यानी ब्लैक, स्पेनिश इत्यादि समूह के लोगों को नौकरी और शिक्षा में तरजीह दी गयी. यहां के पॉलिसी मेकर्स ने, विधायिका ने यह तय किया. हालांकि, अभी भी यूनिवर्सिटी में इनकी बहुत अधिक संख्या नहीं है. हालांकि, अफरमेटिव एक्शन का सबेस अधिक घाटा एशियाई लोगों यानी चाइनीज, इंडियन, श्रीलंकन इत्यादि लोगों को होता था, क्योंकि जो 'रेस' का मामला आता था, उसमें एशियन की गिनती नहीं होती थी. हालांकि, फिर भी इनकी संख्या काफी है. 

सुप्रीम कोर्ट में यह मामला काफी दिनों से चल रहा था. नौ सदस्यीय बेंच ने यह फैसला दिया है. भारत के उलट यहां के जज भी डेमोक्रेट और कंजरवेटिव की तरह बहाल होते हैं. इसमें से छह जजों ने कहा कि 'अफरमेटिव एक्शन' बहुत दिनों तक चला और अब इसे खत्म कर देना चाहिए, हालांकि 3 डेमोक्रेट जजेज ने इसको बनाए रखने की बात कही. आखिरकार, बहुमत के फैसले से 'अफरमेटिव एक्शन' को खत्म कर दिया गया. यह मामला 'यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलाइना' और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को लेकर चला था और सबसे बड़ा मुद्दा ये था कि हार्वर्ड की एडमिशन पॉलिसी जिस तरह डायवर्सिटी के लिए 'अफरमेटिव एक्शन' का पालन करती थी, उससे कहीं न कहीं स्टूडेंट्स के एक तबके को नुकसान भी हो रहा था.

स्टूडेंट्स फॉर फेयर एडमिशन नामक एक ग्रुप ने कोर्ट में मामला जब दायर किया तो दलील दी कि हार्वर्ड की पॉलिसी 1964 के सिविल राइट्स एक्ट के टाइटल 6 का उल्लंघन करती थी, जिसमें नस्ल के आधार पर भेदभाव खत्म करने की बात है. कोर्ट ने कहा कि क्लासरूम में वैसे भी काफी विविधता है. अल्पसंख्यक हैं, स्पेनिश हैं, महिलाएं हैं, एशियन हैं, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स हैं तो कोर्ट का यह मानना है कि चूंकि यह काफी समय से चल रहा है और बिलाशक अल्पसंख्यकों के साथ, नेटिव के साथ अन्याय हुआ है, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं है.

फैसले का हो रहा विरोध, बाइडेन नहीं हैं साथ

हालांकि, इस फैसले से सभी लोग खुश हों, ऐसा नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपनी निराशा जाहिर करते हुए कहा है कि वह इससे मजबूती के साथ 'असहमत' हैं और इसे आखिरी फैसला बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती है, यानी वे और भी कानूनी रास्ते देखेंगे. उसी तरह डेमोक्रेट्स के बड़े नेता चक शुमर ने कहा कि यह ठीक नहीं है. मिशेल ओबामा ने भी अपनी निराशा जाहिर की है. वहीं रिपब्लिकन्स इस पर बहुत खुश हैं. उन्होने इसे मेरिटोक्रेसी की जीत कहा है और इसे नस्लवाद की हार बताया है. जहां तक 'अफरमेटिव एक्शन' की बात है तो उसका लेना-देना भी स्टूडेंट्स के एडमिशन तक ही था. वह भी हरेक स्टेट में लागू नहीं होता था. कुछ स्टेट्स में प्राइवेट यूनिवर्सिटीज इसे लागू करती थीं, कुछ में नहीं. इसके मुताबिक क्लासरूम की विविधता कायम रखने के लिए रेस या नस्ल के आधार पर कुछ तरजीह दी जाती थी, लेकिन प्रवेश के बाद सबके साथ एक जैसा ही व्यवहार, एक जैसी सख्ती और परीक्षा होती थी. वैसे, मजे की या अजीब सी बात है कि यहां जो मिलिट्री इंस्टीट्यूशन्स हैं, वहां से 'अफरमेटिव एक्शन' को नहीं हटाया गया है. अमेरिका में कई तरह के आर्मी स्कूल हैं, कॉलेज हैं, नेवी के संस्थान हैं, उन सभी में इसको लागू रखा गया है. कहा गया है कि 'नेशनल इंटरेस्ट' को ध्यान में रखते हुए मिलिट्री संस्थानों में यह जस का तस रहेगा, पब्लिक यूनिवर्सिटीज में नहीं रहेगा. 

एक बार एडमिशन के बाद आप सभी के बराबर होते हैं. 'अफरमेटिव एक्शन' और 'आरक्षण' में बहुत बड़ा अंतर है. यहां ये भी नहीं हो रहा है कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन हो रहा है. बस, जो रेस के आधार पर एडमिशन मिल जाता था, उसको खत्म किया गया. 78 फीसदी अमेरिकन इसके पक्ष में भी नहीं हैं. तभी तो यह मसला उठा. अमेरिकी कोर्ट ने अपने फैसले में इस पर जोर दिया है कि सबको समान मौके मिलें, एक जैसी सुविधा मिले, लेकिन किसी भी आधार पर भेदभाव को खत्म किया जाए, चाहे वह पॉजिटिव ही क्यों न हो. अमेरिका में पूरी दुनिया से लोग आते हैं, अपनी मेहनत से बढ़ते हैं, तभी तो इसे 'द ग्रेट अमेरिकन ड्रीम' कहते हैं. आप मेरा ही उदाहरण देख सकते हैं. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
Wed Apr 02, 12:04 am
नई दिल्ली
19°
बारिश: 0 mm    ह्यूमिडिटी: 44%   हवा: NNW 8.8 km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

लोकसभा-राज्यसभा में 8-8 घंटे होगी चर्चा, सांसदों को जारी हुआ व्हिप... वक्फ बिल पर सरकार तैयार तो विपक्ष करेगा वार | जानें बड़ी बातें
लोकसभा-राज्यसभा में 8-8 घंटे होगी चर्चा, सांसदों को जारी हुआ व्हिप... वक्फ बिल पर सरकार तैयार तो विपक्ष करेगा वार | जानें बड़ी बातें
पादरी बजिंदर सिंह को हुई सजा तो स्वाति मालीवाल बोलीं, 'कभी ये मरे हुए इंसान को...'
'बजिंदर सिंह पूरी तरह से झूठा और पाखंडी आदमी', स्वाति मालीवाल ने सजा का किया स्वागत
Naagin 7 Lead Actress: ईशा मालवीय ने कंफर्म की नागिन 7 में एंट्री? एक्ट्रेस बोलीं- एकता कपूर मैम को मैसेज कर दो
ईशा मालवीय ने कंफर्म की नागिन 7 में एंट्री? एक्ट्रेस बोलीं- एकता कपूर मैम को मैसेज कर दो
'जो पार्टियां करेंगी समर्थन, भुगतना पड़ेगा खामियाजा', वक्फ बिल पर मौलाना काब रशीदी की चेतावनी
'जो पार्टियां करेंगी समर्थन, भुगतना पड़ेगा खामियाजा', वक्फ बिल पर मौलाना काब रशीदी की चेतावनी
ABP Premium

वीडियोज

MP Professor Ali: मुस्लिम प्रोफेसर ने की घिनौनी हरकत, रंगौली को पैरों से रौंदा, वीडियो वायरल | ABPPastor Bajinder Singh: अब अंतिम सांस तक जेल में रहेगा पापी पादरी बजिंदर!समझिए मोदी के लिए नीतीश-नायडू और दोनों के लिए मोदी कितने जरूरी? | Nitish Naidu Modiदिल्ली से लेकर मलेशिया तक, आग ने मचाई हर ओर तबाही | News@10

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
लोकसभा-राज्यसभा में 8-8 घंटे होगी चर्चा, सांसदों को जारी हुआ व्हिप... वक्फ बिल पर सरकार तैयार तो विपक्ष करेगा वार | जानें बड़ी बातें
लोकसभा-राज्यसभा में 8-8 घंटे होगी चर्चा, सांसदों को जारी हुआ व्हिप... वक्फ बिल पर सरकार तैयार तो विपक्ष करेगा वार | जानें बड़ी बातें
पादरी बजिंदर सिंह को हुई सजा तो स्वाति मालीवाल बोलीं, 'कभी ये मरे हुए इंसान को...'
'बजिंदर सिंह पूरी तरह से झूठा और पाखंडी आदमी', स्वाति मालीवाल ने सजा का किया स्वागत
Naagin 7 Lead Actress: ईशा मालवीय ने कंफर्म की नागिन 7 में एंट्री? एक्ट्रेस बोलीं- एकता कपूर मैम को मैसेज कर दो
ईशा मालवीय ने कंफर्म की नागिन 7 में एंट्री? एक्ट्रेस बोलीं- एकता कपूर मैम को मैसेज कर दो
'जो पार्टियां करेंगी समर्थन, भुगतना पड़ेगा खामियाजा', वक्फ बिल पर मौलाना काब रशीदी की चेतावनी
'जो पार्टियां करेंगी समर्थन, भुगतना पड़ेगा खामियाजा', वक्फ बिल पर मौलाना काब रशीदी की चेतावनी
Watch: युजवेंद्र चहल ने लाइव मैच में दी गाली, विकेट लेने के बाद खोया आपा; वीडियो हुआ वायरल
युजवेंद्र चहल ने लाइव मैच में दी गाली, विकेट लेने के बाद खोया आपा; वीडियो हुआ वायरल
RBI ने ले लिया 2025 का सबसे बड़ा फैसला! खरीदेगा 80,000 करोड़ की सरकारी सिक्योरिटीज, जानिए कैसा होगा इसका असर
RBI ने ले लिया 2025 का सबसे बड़ा फैसला! खरीदेगा 80,000 करोड़ की सरकारी सिक्योरिटीज, जानिए कैसा होगा इसका असर
'वक्फ बिल जिस दिन संसद में पास होगा...', चंद्रबाबू-नीतीश के समर्थन के बाद जीतन राम मांझी ने भरी हुंकार
'वक्फ बिल जिस दिन संसद में पास होगा...', चंद्रबाबू-नीतीश के समर्थन के बाद जीतन राम मांझी ने भरी हुंकार
दिल की बीमारी से लेकर डायबिटीज तक, महंगी हो गईं 900 से ज्यादा दवाइयां; जानें किस टैबलेट के कितने बढ़े दाम
दिल की बीमारी से लेकर डायबिटीज तक, महंगी हो गईं 900 से ज्यादा दवाइयां; जानें किस टैबलेट के कितने बढ़े दाम
Embed widget