भारत सरकार ने चीन से लगी सीमा पर “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” की शुरुआत कर दी है और इस प्रोग्राम को औपचारिक तौर पर लॉन्च करने के लिए खुद गृहमंत्री अमित शाह अरुणाचल दौरे पर पहुंचे थे. जहां से उन्होने चीन को खरी खरी सुनाते हुए सीधे -सीधे कह दिया की भारत अपनी जमीन पर सुई की नोक बराबर अतिक्रमण भी नही बर्दाश्त करेगा. जिसके बाद से चीन को मिर्ची लगी हुई. एक तो गृहमंत्री अमित शाह की कड़ी प्रतिक्रिया और ऊपर से चीन का नाम ले कर सीधी चुनौती से ही चीनी ड्रैगन बिलबिलाया हुआ है. चीन से लगी भारत की सीमा पर लगातार भारत की तरफ से जो  डेवलपमेंट हो रहे हैं वो चीन की चिंता को लगातार बढ़ाए हुए है.


इसी कड़ी में चीन के सामने अब सबसे बड़ी परेशानी जो खड़ी हो गई वो है भारत का  “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम”.आपको याद होगा कारगिल में घुसपैठ की जानकारी सबसे पहले ताशी नामग्याल नाम के एक चरवाहे ने दी थी. ताशी नामग्याल बाल्टिक सेक्टर में अपने याक को खोज रहे थे जब उन्होंने उसी इलाके में कुछ संदिग्ध पाक सैनिकों को देखा था. इसके बाद ही भारतीय सेना को वहां कुछ संदिग्ध लोगों के होने की सूचना मिली थी जिसके बाद कारगिल का युद्ध हुआ था.इसलिए माना जाता है की किसी भी देश की सीमा पर बसे गांव उस देश की इंटेलिजेंस की सबसे पहली कड़ी होते हैं.


दुशमन या पड़ोसी देश की सीमा पर क्या गतिविधि होती है इस पर सबसे पहले उन्हीं गांव वालों की नज़र पड़ती है. इसके साथ साथ सीमा के गावों को विकसित करके देश की मुख्यधारा से जोड़ना भी “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” का बड़ा लक्ष्य है.चीन ने भले ही इस पर पहले ही काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन भारत भी अब पीछे नहीं. जो चीन लगातार सीमा पार गांव बसाने और इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में लगा है उसे भारत के “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” से बड़ी परेशानी हो रही है. क्या है “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम”? केंद्र सरकार ने सीमा से जुड़े गांवों के विकास के लिए शुरू किया है “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम”. इस कार्यक्रम के तहत अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के 19 जिलों के 46 ब्लॉकों में 2967 गांवों की पहचान की गई है.


पहले चरण में, प्राथमिकता के आधार पर 662 गांवों की पहचान की गई है जिनमें अरुणाचल प्रदेश के 455 गांव शामिल हैं. इनके अलावा हिमाचल प्रदेश (75), उत्तराखंड (51) सिक्किम (46) और लद्दाख (35) के गांव हैं.- इन गांवों को सड़कों से जोड़ा जाएगा ताकि आर्थिक विकास बढ़े और लोगों को रोजगार मिले. गांव में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर ज़ोर रहेगा. गांव में कम्यूनिकेशन कनेक्टिविटी के साथ साथ पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा. गांवों में खेती को बढ़ावा देने के साथ ही रोजगार के दूसरे साधन बढ़ाने पर पर भी ज़ोर रहेगा. पलायन को रोकने के लिए कई और योजनाएं भी जुड़ जाएंगी.


केंद्र सरकार ने इस प्रोग्राम के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2025-26 तक के लिए 4,800 करोड़ रुपये का फंड रखा है, जिसमें से 2,500 करोड़ रुपये सिर्फ रोड कनेक्टिविटी लिए है. “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” का लक्ष्यसीमा पर के ये गांव सामरिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” लेकर आई है ताकि सीमा पर के ये गांव खाली ना रहें और यहां के स्थानीय लोगों को वहां पर रोजगार के साधन मिल सकें.  


(ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है)