Happy Birthday Amitabh Bachchan: “नो.. नो यॉर ऑनर, न सिर्फ एक शब्द नहीं, अपने आप में एक पूरा वाक्य है यॉर ऑनर... इसे किसी तर्क, स्पष्टीकरण, एक्सप्लेनशन या व्याख्या की जरूरत नहीं होती, न का मतलब न ही होता है, माई क्लाइंट सैड नो यॉर ऑनर, एंड दीज़ ब्वॉयज़ मस्ट रियलाइज, No का मतलब No होता है. उसे बोलने वाली लड़की कोई परिचित हो, फ्रेंड हो, गर्लफ्रेंड हो, कोई सेक्स वर्कर हो या आपकी अपनी बीवी ही क्यों न हो... No means No... एंड When समवन सेस सो.... यू Stop.” ये डायलॉग फिल्म ‘पिंक’ का है. जब अमिताभ बच्चन ने पर्दे पर इसे बोला तो दर्शकों के रोंगेटे खड़े हो गए. उनका अभिनय और प्रेज़ेंटेशन ऐसा था मानों वो इन बातों को अपने दिल से कह रहे हों. दर्शकों ने भी उनके इन वाक्यों को सच समझा और इस फिल्म को लेकर काफी बहस हुई. ये फिल्म इतनी असरदार रही कि इसे मूवमेंट के तौर पर देखा, समझा गया और इसने बता दिया कि महिलाओं की ‘ना’ का मतलब ‘ना’ ही होता है.
फिल्मी पर्दे पर समाज की बुराइयों के खिलाफ महानायक का अदाज़ दिल को छू लेने वाला होता है, किरदार को डूबकर उसे बखूबी निभाते हैं. विषय से पूरा इंसाफ करते दिखते हैं, लेकिन जब पर्दा उठता है और असली दुनिया की सच्चाइयां से मुकाबला होता है, उसकी बुराइयों के खिलाफ लड़ने का मामला होता है, अक्सर मौके पर इस महान कलाकार की चुप्पी खलती है. पुरानी बातों को याद न करते हुए बीते कुछ सालों के वाकयों पर ही नज़र घुमाएं तो हर बार अमिताभ बच्चन की तरफ से निराशा ही मिली है.
आखिर अमिताभ से ही बोलने की उम्मीद क्यों ?
आप सवाल कर सकते हैं कि लोग अमिताभ बच्चन से ही उम्मीद क्यों लगाए रहते हैं. सवाल जायज़ भी है. अमिताभ न तो सरकार हैं न ही जज और न ही किसी ऐसे ओहदे के मालिक कि उनके कह देने भर से समाज में बदलाव आ जाएगा. लेकिन सच ये भी है कि अमिताभ बच्चन उस देश का सबसे बड़ा सितारा है, जिसकी आबादी 125 करोड़ को पार कर चुकी है. भारत में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो फिल्मी सितारों को अपना आइडल मानते हैं. यही वजह है कि लोग अपने आइडल से किसी मुद्दे विशेष पर उनकी राय जानने की उम्मीद करते हैं.
#MeToo के तूफान में खामोश क्यों है सदी का सुपरस्टार ?
पिछले साल अमेरिका से शुरू हुआ #MeToo का तूफान अब जाकर भारत पहुंचा है. इन दिनों इस तूफान का असर सबसे ज़्यादा देखा जा रहा है. हिंदुस्तान में सोशल मीडिया का सहारा लेकर ही सही लेकिन लोग खासकर लड़कियां अपने साथ हुए अन्याय का खुलासा कर रही हैं. लड़कियां अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामले को पब्लिक स्पेस में ला रही हैं. भारत में #MeToo कैम्पेन को शुरू करने वाली कोई और नहीं बल्कि बॉलीवुड की ही अभिनेत्री हैं, जिनका नाम तनुश्री दत्ता है. उन्होंने आरोप लगाया है कि 10 साल पहले हिंदी सिनेमा के मशहूर अभिनेता नाना पाटेकर ने फिल्म की शूटिंग के दौरान उनके साथ बदसलूकी की थी, उनका यौन उत्पीड़न किया था. मामले की जांच जारी है.
2008 में तनुश्री बोलीं थीं, मगर उस वक्त उनके साथ कोई खड़ा नहीं हुआ था लिहाज़ा उन्हें फिल्म इंडस्ट्री को ही छोड़ना पड़ा. लेकिन इस बार हवा बदल चुकी है. सोशल मीडिया का दौर है. और उनका समर्थन करने वालों की तादाद अनगिनत है. पर सवाल है कि क्या बॉलीवुड तनुश्री का समर्थन कर रहा है ? हां इस बार सिनेमाई लोग बड़ी संख्या में तनुश्री के साथ हैं उनका समर्थन कर रहे हैं. लेकिन समर्थन करने वालों में सिर्फ छोटे या मंझोले कद के सितारे ही सामने आए हैं. हर बड़ा सितारा सैक्शुअल हैरेसमेंट को लेकर चल रहे इस तूफान से बचने की कोशिश कर रहा है.
हाल में जब अमिताभ बच्चन से तनुश्री दत्ता को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बड़े हल्के अंदाज में इसे टाल दिया. उन्होंने कहा, “न तो मेरा नाम तनुश्री है और न ही नाना पाटेकर. कैसे उत्तर दूं आपके सवाल का ?" एक ऐसा मुद्दा जिसने पिछले कुछ दिनों में देश को हिलाकर रख दिया हो. एक ऐसा मुद्दा जो दुनिया की आधी आबादी से जुड़ा हो और एक ऐसा मुद्दा जिसपर हर उस शख्स को अपनी राय व्यक्त करनी चाहिए जो खुद को सभ्य समाज का हिस्सा कहता है या सभ्य समाज बनाने की वकालत करता है. लेकिन फिल्मों में महिलाओं के हक के लिए कोर्ट रूम में लंबे-लंबे डायलॉग मारने वाले एंग्री यंग मैन उर्फ अमिताभ बच्चन से जब हकीकत की दुनिया में महिलाओं से हो रहे अन्याय और सैक्शुअल हैरेसमेंट के बारे में सवाल किया जाता है तो उस पर वो हैरान करने वाला जवाब दे देते हैं.
हालांकि उनकी चुप्पी पर उठ रहे सवालों के बीच आज अपने बर्थडे के दिन अमिताभ बच्चन ने MeToo पर ब्लॉग में लिखा, "किसी भी महिला के साथ कहीं भी किसी भी प्रकार की बदसलूकी नहीं होनी चाहिए, खासतौर पर उसके वर्कप्लेस पर. ऐसे मामलों को तुरंत संबंधित अधिकारियों से इस मामले को लेकर बात करनी चाहिए. जरूरत पड़ने पर इसे लेकर कानून का सहारा भी लें.''
इससे पहले कई ऐसे मौके आए हैं जब अमिताभ बच्चन ने इस तरह के अहम मसलों पर बोलने के बजाए अपनी ज़ुबान पर ताला लगा लिया. कई बार ऐसा हो चुका है जब 'मिस्टर बच्चन’ ने सही या गलत की तरफ होना तो दूर मुद्दे पर अपनी सपाट बात रखने से भी परहेज़ किया.
असहिष्णुता बनाम सहिष्णुता पर साधी चुप्पी
पिछले कुछ सालों से देश में असहिष्णुता बनाम सहिष्णुता को लेकर ज़ोरदार बहस छिड़ी है. इस बहस में क्या आम और क्या खास सभी जुड़े. लोग अपने अपने तर्कों के हिसाब से इसे सही गलत ठहराते रहे हैं. लेकिन फिल्मी दुनिया का एक ऐसा सितारा जो पिछले करीब 49 सालों से सिनेमा के पर्दे पर राज कर रहा है वो इस मुद्दे पर दो लफ्ज़ कहने भर से भी कतराता रहा. आखिर क्यों ? क्यों बॉलीवुड के ‘शहंशाह’ देश के सबसे बड़े मुद्दों पर अपनी ज़ुबान सिल लेना चाहते हैं. जब आप स्वच्छता की मुहिम का हिस्सा बन सकते हैं, जब आप शेरों को बचाने के लिए आगे आ सकते हैं जब आप लोगों को शौचालय के महत्व पर भाषण दे सकते हैं तो, समाज के जटिल मुद्दों पर बोलने से क्यों डरते हैं ?
साल 2016 में असहिष्णुता बनाम सहिष्णुता का मुद्दा अपनी चरम पर था. हर कोई इस मुद्दे पर अपनी राय रख रहा था, लेकिन जब ‘अमित जी’ से सवाल किया गया तो उन्होंने इससे किनारा कर लिया. 7 जून 2016 को इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई ने अमिताभ बच्चन से इंटॉलरेंस के मुद्दे पर उनकी राय जाननी चाही, लेकिन ‘एबी सर.’ ने जवाब देना मुनासिब नहीं समझा. उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता पत्रकार इस मसले को कैसे देख रहे हैं, लेकिन सच में मैं इस सवाल का जवाब देने के काबिल नहीं हूं. जहां तक इन मुद्दों की बात है तो मैं इस बारे में बेहद कम शिक्षित हूं. मेरे पास जवाब नहीं है.”
कठुआ गैंगरेप पर कहा- इस विषय को मत उछालिए
इसी साल की शुरुआत में जम्मू के कठुआ ज़िले में एक 8 साल की बच्ची के अपहरण, गैंगरेप और हत्या की घटना हुई. घटना चूंकि एक देवस्थान में हुई थी इसलिए इसने सांप्रदायिक रंग ले लिया. घटना के बाद फिल्मी सितारों ने भी इसका खुलकर विरोध किया था. सभी ने इसे सांप्रदायिक नज़रों से देखने की बजाय एक बच्ची के साथ हुई बर्बरता के तौर पर देखने की अपील की. इस मुद्दे पर जब ‘सुपरस्टार ऑफ द मिलेनियम’ यानि अमिताभ बच्चन से उनकी राय पूछी गई तो उन्होंने कहा, “इस विषय पर पर चर्चा करने पर मुझे घिन आ रही है. इस विषय को मत उछालिए. इस बारे में बात करना भी भयानक लगता है.” ये बयान उस शख्स की तरफ से आया जिसे देश की सरकार ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ जैसी मुहिम का ब्रैंड एम्बेसेडर बनाया है.
याद कीजिए साल 2012 के निर्भया कांड को. उस वक्त अमिताभ बच्चन ने ट्विटर पर निर्भया के बारे में ट्वीट किया था, “अमानत’, ‘दामिनी’ अब ये सिर्फ नाम हैं. उनका शरीर गुज़र चुका है, लेकिन उनकी आत्मा हमेशा हमारे दिलों को बेचैन करती रहेगी.” उस वक्त अमिताभ बच्चन ने न सिर्फ ट्वीट किया था, बल्कि 23 साल की निर्भया के लिए एक कविता भी लिखी थी. उन्होंने अपने अंदर उमड़े भानवाओं के सैलाब को सभी के साथ शेयर किया था.
बिग बी निर्भया पर तो बोले थे, दिल खोल कर बोले थे. निर्भया के साथ भी नाइंसाफी की इंतेहा पार की गई थी और कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ भी, और (अगर तनुश्री सच्ची हैं तो) तनुश्री दत्ता के साथ भी, लेकिन कठुआ की घटना अमिताभ को शायद निर्भया से ज़्यादा चुभी होगी इसलिए तो उन्होंने इसे घिनौना बता दिया था. इतना घिनौना कि जिसपर बात भी न की जाए. और तनुश्री के आरोप, आरोप न होकर उन्हें मज़ाक लगे होंगे इसलिए उन्होंने बेतुका जवाब देकर अपना पल्ला झाड़ लिया. सवाल ये है कि अगर समाज रेप जैसी घटनाओं को घिनौना कहकर अपना पल्ला झाड़ लेगा तो इस पर बात कौन करेगा ? कैसे इन घटनाओं के खिलाफ जागरुकता आएगी ? कैसे गुनहगारों के खिलाफ माहौल बनेगा ? कैसे इंसाफ के लिए प्रशासन और शासन पर दबाव बनाया जा सकेगा ?
क्या अमिताभ बच्चन के बोलने और न बोलने के पीछे कोई गणित है. पता नहीं. बीते कुछ दिनों से सैक्शुअल हैरेसमेंट पर कई खुलासे हुए हैं. इन खुलासों में बॉलीवुड जगत से जुड़े लोगों के नामों की भरमार है. सभी पर महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. यानि समाज को आईना दिखाने वाले लोग ही आईने के पीछे खुद नंगे हैं. समाज को बदलने के लिए महिला प्रधान फिल्में बनाने वाले ही महिलाओं को हवस भरी निगाहों से देखते हैं. इसका ताजा उदाहरण ‘क्वीन’ के निर्देशक विकास बहल हैं. उनपर भी सैक्शुअलर हैरेसमेंट के आरोप लगे हैं. यहां तक कि अभिनेत्री कंगना ने भी उनके व्यवहार को सैक्शुअल हैरेसमेंट कह दिया.
अब आते हैं अमिताभ बच्चन पर. जब ‘पिंक’ की रिलीज़ के दिन करीब आते हैं तो इसके प्लॉट और कहानी को देखते हुए अमिताभ बच्चन अपनी नातिन और पोती के लिए चिट्ठी लिख देते हैं और वीडियो में पढ़ भी देते हैं. लेकिन जब महिलाओं के लिए स्टैंड लेने की बात आती है तो समाज का आईना खुद को उलट लेता है और ज़ुबान पर ताला जड़ लेता है.
खैर, आज अमिताभ बच्चन का जन्मदिन है. वो आज अपना 76वां जन्मदिन मना रहे हैं. खुदा से दुआ है कि वो सालों साल ऐसे ही हमें एंटरटेन करते रहें. इसके अलावा उनसे उम्मीद है कि वो जल्द आधी आबादी को सालों से परेशान करने वाले मुद्दों पर अपनी राय ज़ाहिर करेंगे, और वो भी बेबाकी के साथ.