विराट और पीएम मोदी का बाहुबली कनेक्शन- मेरा वचन ही मेरा शासन है
मेरा वचन ही मेरा शासन है- ये साल 2017 का ना सिर्फ सबसे मजबूत डॉयलॉग था पर इसने इस पूरे साल का खाका भी खींच दिया. साल 2017 में देश और दुनिया के पटल पर दो लोगों की शख्सियतें बेहद मजबूती से उभरीं. एक तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की और दूसरा क्रिकेट कप्तान विराट कोहली की.
मेरा वचन ही मेरा शासन है- ये साल 2017 का ना सिर्फ सबसे मजबूत डॉयलॉग था पर इसने इस पूरे साल का खाका भी खींच दिया. साल 2017 में देश और दुनिया के पटल पर दो लोगों की शख्सियतें बेहद मजबूती से उभरीं. एक तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की और दूसरा क्रिकेट कप्तान विराट कोहली की.
ये साल एक डॉमिनेटिंग, आक्रामक और यूं कहें कि मेरा वचन ही मेरा शासन है कहने की हिम्मत रखने वाली शख्सियतों का साल बन गया. वैसे तो प्रधानमंत्री मोदी और विराट के बीच तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि दोनों का क्षेत्र अलग है लेकिन आंकड़ों की यही खूबसूरती है कि वो दो बिल्कुल ही अलग धाराओं को जोड़ सकती है.
ना महेंद्र, ना अमरेंद्र सिर्फ नरेंद्र बाहुबली: गुजरात चुनावों के बाद ये हेडिंग बिल्कुल सटीक बैठती है. राहुल गांधी ने भले ही गुजरात में पीएम मोदी को कड़ी टक्कर दी हो लेकिन एक सच ये भी है कि इतिहास हमेशा ही विजेताओं का होता है. और गुजरात के रण में विजेता नरेंद्र मोदी हैं. राजनीति के मैदान में जहां पीएम मोदी का सिक्का चला वहीं क्रिकेट के मैदान में विराट से बड़ा बाहुबलि कोई दूसरा नजर नहीं आया.
आंकड़ों की बाजीगरी देखेंगे तो पीएम और कप्तान दोनों की समानता कुछ एक सी दिखती है. साल 2017 में पीएम मोदी ने कुल 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों में परचम लहराया तो वहीं कप्तान कोहली ने भी 5 वनडे सीरीज़ में जीत हासिल की. इन चुनावों में जहां पीएम मोदी ने यूपी, हिमाचल और बिहार में बीजेपी की वापसी कराई तो वहीं विराट ने इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड, वेस्टइंडीज और श्रीलंका को वनडे टेस्ट में अपने दम पर पटका.
इसमें टीम इंडिया की T-20 में इस साल 5 में से 3 सीरीज़ हार के आंकड़े नहीं दिए जा रहे हैं क्योंकि T20 की चर्चा तभी तेजी से होती है जब इस फॉर्मेट का वर्ल्ड कप आता है. एक बार आंकड़े देखिए दिलचस्प लगेंगे.
मोदी की विधानसभा चुनाव जीत | विराट की जीत |
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उत्तर प्रदेश में 325 सीट | इंग्लैंड को वनडे , बांग्लादेश को टेस्ट में हराया |
उत्तराखंड में 57 सीट | वेस्टइंडीज को वनडे और श्रीलंका को टेस्ट में हराया |
बिहार में सरकार बनाई | श्रीलंका को घर में वनडे और टेस्ट दोनों में हराया |
गुजरात में 99 सीट | न्यूजीलैंड को वनडे और श्रीलंका को टेस्ट में पटका |
हिमाचल में 44 सीटें | इंग्लैंड को वनडे , बांग्लादेश को टेस्ट में हराया |
इसके अलावा अगर आंकड़ों को उठाएं तो पीएम मोदी और विराट को इस साल एक एक झटके भी लगे हैं. बीजेपी को बिहार चुनावों में सीटों के मामले झटका लगा जबकि विराट को t-20 में वेस्टइंडीज़ के हाथों शिकस्त मिली. लेकिन बिहार में शिकस्त सरकार बनाने के आड़े बीजेपी के नहीं आई और t-20 में वेस्टइंडीज के हाथों हार के ज्यादा माएने नहीं हैं.
जो जीता वही सिकंदर साल 2017 को मजबूत पर्सनालिटी का साल हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस साल देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इन दोनों ने जमकर लोकप्रियता बटोरी है. मूडीज़ रेटिंग और आईसीसी रेटिंग्स - इंटरनेशनल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने भारत की रैंकिंग सुधारी और मोदी की नीतियों पर मंजूरी की मुहर लगाई तो वहीं दूसरी तरफ विराट ने टीम इंडिया को ना सिर्फ टेस्ट में नंबर वन बनाया बल्कि वनडे में भी इस साल इस पायदान तक पहुंचाया. हालांकि टीम इंडिया अभी वनडे रैंकिंग में दूसरे नंबर पर है.टाइम्स मैगजीन और आईसीसी बैटिंग रैकिंग- टाइम्स मैगजीन ने मोदी को दुनिया का दूसरा सबसे प्रभावशाली नेता आंका तो विराट आईसीसी टेस्ट बैटिंग रैंकिंग में दूसरे नंबर के बल्लेबाज हैं. वनडे और t-20 में विराट दुनिया के नंबर वन बल्लेबाज हैं.ये तो सिर्फ दो उदाहरण हैं लेकिन ऐसी कई चीजें हैं जिसमें दोनों की तुलना हो सकती है और इस साल पीएम मोदी और विराट दोनों ने ही अपना डंका पूरी दुनिया में बजाया है.
कप्तान दमदार, प्रदर्शन शानदार क्रिकेट में एक कहावत होती है कि टीम उतनी ही अच्छी होती है जितना की कप्तान. ये राजनीति में भी सटीक बैठती है. 2017 में पीएम मोदी और विराट दोनों ने ही अपनी कप्तानी में अपनी टीम को सफलता की नई ऊंचाईयां दी हैं. लेकिन इससे भी ज्यादा अहम है कि जिस अंदाज में इन दोनों ने अपनी टीम को लीड किया. विराट ने कप्तानी संभालने के बाद अपनी मर्जी की टीम चुनी और अपनी जिद पर उसे खिलाया. कुछ यही हाल पीएम मोदी का भी रहा.
इसके अलावा विराट ने फिटनेस पर ज़ीरो टॉलरेंस की रणनीति अपनाई तो पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार पर. विराट ने जहां दिन रात मेहनत कर फिटनेस को एक नजीर बना दिया, उसी तरह पीएम मोदी भी दिन में 16-16 घंटे काम कर देश के राजनेताओं के लिए उदाहरण बने हुए हैं. दोनों ही कप्तानों में ना सिर्फ आलोचना झेली बल्कि अपने लिए कई विरोधी भी खड़े किए. लेकिन दोनों ने ही अपने प्रदर्शन से ये साबित कर दिया कि जो जीता वही सिकंदर.