भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 19 मई से 2 हजार रुपये के नोटों को सर्कुलेशन से बंद करने का एलान किया. अपने बयान में आरबीआई ने कहा कि 30 सितंबर तक ये नोट वैध रहेंगे और इन नोटों को बदला जा सकेगा. वहीं, दूसरी तरफ आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ये साफ कर दिया कि लोगों को ज्यादा पैनिक होने की जरूरत नहीं है, लोग दुकानों पर जाकर आसानी से 2 हजार के नोटों के जरिए खरीददारी कर सकते हैं.
लेकिन, अब सवाल ये उठ रहा है कि अगर दुकानदार आपसे 2 हजार रुपये का नोट लेने से इनकार कर दें तो फिर आपके पास क्या कानूनी विकल्प होगा? दरअसल, कोई भी चीज अगर कानूनी है और उसे कोई व्यक्ति इनकार करता है तो फिर नैचुरली हर इस देश के कंज्यूमर या नागरिक को उसके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया में जाने का अधिकार है.
वे कंज्यूमर कोर्ट जा सकते हैं, जिसमें अपने राइट्स को लागू करने के जा अधिकार है, उसे मनवा सकता है. वे आरबीआई जा सकता है और उस संबंधित बैंक के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. आरबीआई में भी ग्रिवैन्स मैकेनिज्म (grievance mechanism) है, जहां पर वे उस दुकानदार के खिलाफ शिकायत कर सकता है.
शिकायतों की लंबी प्रक्रिया
इसलिए शिकायत करना अलग बात है. शिकायतों के रिजॉल्यूशन की इतना लंबी प्रक्रिया है कि व्यक्ति का मोटिवेशन खत्म हो जाता है. मान लीजिए अगर कोई दुकानदार 2 हजार रुपये के नोट को लेने से इनकार कर दे, हालांकि, उसका कोई आधार नहीं है, क्योंकि आरबीआई ने सर्कुलर जारी करके खासतौर पर ये कहा है कि ये नोट अभी लीगल टेंडर है. ऐसे में कोई भी दुकानदार या जो सर्विस प्रोवाइडर है, वो इनकार नहीं कर सकता है.
ऐसे में जब एक वैध और कानूनी डायरेक्शन पहले से ही इसको लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से दिया गया है तो मैं ऐसा नहीं समझता हूं कि इसमें किसी भी तरह की कोई दिक्कत आएगी. अगर दिक्कत आएगी तो उस स्थिति में निश्चित तौर पर आरबीआई को शिकायत करना और कंज्यूमर कोर्ट में जाकर अपने अधिकार को सुनिश्चित करना ये उनका अधिकार है.
हालांकि, लोगों में इसको लेकर पैनिक तो है, लेकिन आरबीआई का ये कहना है कि क्लीन नोट पॉलिसी के तहत ये फैसला किया गया है. 2 हजार रुपये का डिनोमिनेशन करते हुए सर्कुलेशन में ये कहा गया है कि 23 मई से इस नोट को बदल सकते हैं. इसमें ये कहा गया है किस तरह से इन नोटों को बदला जा सकता है.
क्या है पूरी प्रक्रिया
अगर एक या दो फर्जी 2 हजार के नोट है तो बैंक इसे लेने से इनकार कर सकता है. लेकिन, अगर ये 10 से ज्यादा फर्जी नोट आपके पास से पाया गया तो बैंक अधिकारी का ये फर्ज है कि वे पुलिस को बताए. अगर इस तरह का सर्कुलर है तो मुझे नहीं लगता है कि ये सर्कुलर उचित है क्योंकि अगर 2 नोट भी किसी के पास फेक चले गए तो भी ये जांच का विषय है. कोई जरूरी नहीं है कि 10 फर्जी नोट हो तभी पुलिस को बताया जाएगा.
लोगों में इसलिए भी पैनिक का माहौल है क्योंकि 2016 में जब नोटबंदी हुई थी उसे बीते काफी समय नहीं हुए हैं. नैचुरली इतने छोटे-छोटे अंतराल में मुझे नहीं लगता कि इस तरह के बड़े कदम की जरूरत है. कहीं न कहीं जो मैक्रो इकॉनोमिक पॉलिसी है, उसमें कोई दिक्कत है. क्योंकि तुरत तुरत नोटबंदी नहीं होनी चाहिए.
कैसे करें शिकायत?
2 हजार रुपये के नोट को न लेने की कई घटनाएं घट रही हैं. पिछली बार भी हुआ था और इस बार भी हुआ है. दरअसल, ग्रीवैन्स मैकेनिज्म फोरम बहुत ज्यादा मजबूत नहीं है. जब ग्रीवैन्स रिड्रैसल मैकेनिज्म नहीं रहता तो पीड़ित की समस्या का फौरन हल नहीं किया जाता है तो उस फोरम का कोई मतलब नहीं रह जाता है. ऐसे में अगर कोई 2 हजार रुपये लेने से मना करता है तो आरबीआई की तरफ से रिड्रेसल के जो भी मैकेनिज्म है, उस हिसाब से लोग नहीं जाना चाहेगा, क्योंकि वे लंबी प्रक्रिया है. सरकार को इस तरह के कदम उठाने से पहले ये चाहिए कि बहुत बड़े स्तर पर उसका विज्ञापन दिया जाना चाहिए. ताकि लोग मानसिक तौर पर इसके लिए तैयार रहे.
[ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है.]