करेंसी नोटों पर देवी-देवता की तस्वीर छापने की मांग उठाकर देश में एक ऐसी बहस छेड़ दी गई है, जो पूरी तरह से बेमानी है. अगर नोटों पर किसी देवता की तस्वीर छाप देने भर से ही किसी देश की आर्थिक तरक्की हुई होती, तो आज इंडोनेशिया को तो भारत से कई गुना ज्यादा समृद्धशाली देश बन जाना चाहिए था. इसलिये कि वहां पिछले कई सालों से करेंसी नोटों पर भगवान गणेश जी की तस्वीर छापी जा रही है, लेकिन मुद्दा ये नहीं है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार को ये प्रस्ताव क्यों दिया और सत्ताधारी बीजेपी किस लिए इसका विरोध कर रही है.


फिलहाल बड़ा सवाल ये है कि देश की अर्थव्यवस्था को कैसे सुधारा जाए? इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को ऐसी बेमानी बहस में उलझने की बजाय कुछ ऐसे बड़े आर्थिक फैसले लेने होंगे, जो अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज कर सकें. उन क्षेत्रों में निवेश पर ज्यादा जोर देना होगा, जिनके त्वरित परिणाम देश की माली सेहत सुधारने में कारगर साबित हो सकते हैं. दरअसल, हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरिनचास ने भारतीय अर्थव्यवस्था की तारीफ करते हुए कहा था कि भारत 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था छूने की क्षमता रखता है. अगर कुछ ठोस कदम उठाए जाएं तो जल्द ही वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा. उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश पर जोर देना होगा.


भारत को कई संरचनात्मक सुधार करने की जरूरत बताते हुए आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री ने ये भी कहा था कि 10 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को छूने के लिए भारत को कुछ खास सेक्टर में ठोस कदम उठाने होंगे. यहां इमारतों और सड़कों में तो खासा निवेश तो हो रहा है, लेकिन अगर मानव संसाधन, मानव पूंजी, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि में भी पर्याप्त निवेश हो तो भारत तेजी से आगे बढ़ेगा. लिहाजा, वित्त मंत्री को चाहिए कि वे नोटों पर तस्वीरें छापने की इस बहस में उलझकर अपना वक्त जाया करने की बजाय आईएमए के मुख्य अर्थशास्त्री द्वारा दिये गये इन सुझावों पर गौर करें,तो शायद देश तरक्की की रफ़्तार जल्द पकड़ ले.


गौरतलब है कि केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारतीय करेंसी नोटों पर भगवान गणेश और लक्ष्मी के चित्र प्रकाशित करने के प्रस्ताव पर विचार करने का आग्रह करके एक नई बहस छेड़ दी है.उन्होंने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि, “अगर हमारे करेंसी नोटों पर भगवान गणेश और लक्ष्मी के चित्र होंगे,तो हमारा देश तरक्की करेगा.मैं इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को एक-दो दिन में पत्र लिखूंगा.”

ज़ाहिर है कि ये मुद्दा ही ऐसा है,जिस पर हर दल को सियासी निशाना साधने का मौका मिल गया है.बीजेपी इसे हिमाचल प्रदेश और गुजरात की चुनावी राजनीति से जोड़कर देख रही है.पार्टी के सांसद मनोज तिवारी ने केजरीवाल की इस मांग को चुनावों से पहले अपनी पार्टी के ‘भयावह हिंदू विरोधी चेहरे’ को छिपाने की ‘नाकाम कोशिश’ करार दिया है. लेकिन ऐसा नहीं है कि केजरीवाल ने केंद्र को यह कोई नया प्रस्ताव दिया है.इससे पहले 16 जनवरी 2020 को बीजेपी नेता और अब पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी भारतीय रुपये की सेहत सुधारने के लिए सरकार को ऐसी ही सलाह दी थी.


मध्य प्रदेश के खंडवा में एक समारोह में शामिल होने के बाद पत्रकारों से बातचीत में तब स्वामी ने कहा था कि वे नोटों पर धन की देवी लक्ष्मी की तस्वीर छापने के पक्ष में हैं.दरअसल,पत्रकारों ने उनसे डॉलर के मुक़ाबले गिरते रुपये की हालत को लेकर सवाल किया था. उसके जवाब में स्वामी ने इंडोनेशिया के करेंसी नोट पर गणेशजी की तस्वीर होने का ज़िक्र करते हुए कहा था कि "इस सवाल का जवाब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दे सकते हैं, लेकिन मैं इसके पक्ष में हूँ. भगवान गणेश विघ्न दूर करते हैं. मैं तो कहूँगा कि देश की करेंसी को सुधारने के लिए लक्ष्मी जी की फ़ोटो लगाई जा सकती है, इस पर किसी को आपत्ति भी नहीं होगी."


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