अयोध्या की दिवाली के जरिये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज समाजवादी पार्टी के पूरे कुनबे पर जिस तरह से हमला बोला है, उससे इतना साफ हो गया कि अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे चुनाव में बीजेपी पुराने जख्मों को हरा करके सपा को चौतरफा घेरने की तैयारी में है. योगी सरकार आने के बाद पिछले पांच साल से अयोध्या में दीपोत्सव के भव्य आयोजन के साथ दीपावली मनाई जा रही है और इस बीच राम मंदिर का निर्माण भी शुरु हो चुका है जिसके बाद सूबे में यह पहला विधानसभा चुनाव होगा. ऐसे में, 31 बरस पहले रामभक्तों पर गोली चलाने के भावनात्मक मुद्दे को फिर से ताजा करके बीजेपी सिर्फ सपा को घेरने ही नहीं चाहती बल्कि उसे पूरी तरह से बैकफुट पर भी लाना चाहती है.
जब योगी और बीजेपी के बाकी तमाम नेताओं के चुनावी प्रचार में यह मुद्दा छाया रहेगा,तब सपा मुखिया अखिलेश यादव के पास जनता को समझाने के लिए इसका क्या जवाब होगा कि उनके पिता और प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने निहत्थे रामभक्तों पर गोलियां आखिर किसलिये चलवाई थी? शायद उनके पास इसका कोई तार्किक जवाब तो नहीं ही होगा और वे इसकी जो भी सियासी सफाई देंगे,उससे कुछ हद तक अल्पसंख्यक समुदाय को तो वे खुश कर सकते हैं लेकिन बहुसंख्यक हिंदुओं के बड़े तबके को संतुष्ट कर पाना बेहद मुश्किल होगा.
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम करोड़ों हिंदुओं की आस्था व श्रद्धा के प्रतीक हैं और रामभक्त आज भी ये मानते हैं कि श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को रोकने के लिए तत्कालीन मुलायम सरकार ही बहुत बड़ा रोड़ा बनकर उभरी थी,अन्यथा वहां बहुत पहले ही भव्य मंदिर बन गया होता.लिहाज़ा,इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस चुनाव में भी बीजेपी हिंदुत्व के रथ पर सवार होकर ही अपने विरोधियों से निपटने की तैयारी में है.पिछले चुनाव में भव्य राम मंदिर के निर्माण का संकल्प था,तो इस बार रामभक्तों पर की गई बर्बरता की याद दिलाकर वो सपा को हिंदुओं का सबसे बड़ा खलनायक साबित करने में कोई कसर बाकी नहीं रखने वाली है.हालांकि सियासी तौर पर बीजेपी की इस रणनीति को सही इसलिये समझा जाएगा कि उसका मुख्य मुकाबला सपा से ही है.
इसीलिये मुख्यमंत्री योगी ने आज अयोध्या में बेहद सोची-समझी रणनीति के तहत 31 साल पहले के हालात याद दिलाते हुए ये कहा कि तब 'जय श्रीराम' बोलना अपराध माना जा रहा था.बगैर नाम लिए मुलायम खानदान पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग 31 साल पहले रामभक्तों पर गोलियां चला रहे थे, वो आपकी ताकत के आगे झुके हैं. अब लगता है कि अगर कुछ और साल आप इसी तरीके से चले, तो अगली कारसेवा के लिए वो और उनका पूरा खानदान लाइन में लगा होगा.
सीएम योगी ने आज इशारों में ही एक और महत्वपूर्ण बात का जिक्र भी किया है,जिस पर हो सकता है कि कम लोगों ने गौर किया हो.लेकिन यूपी के इस चुनाव में बृजभूमि वाले हिस्से में ये भी बीजेपी का एक अहम चुनावी एजेंडा बनेगा. योगी ने कहा है कि "आप देखना कि अगर अगली कारसेवा होगी, तो गोली नहीं चलेगी. रामभक्तों व कृष्णभक्तों पर पुष्पों की वर्षा होगी." मतलब साफ है कि अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को मुक्त कराना और वहां भव्य मंदिर का निर्माण करना बीजेपी व संघ का प्रमुख एजेंडा रहा है. हालांकि वह विवाद भी फिलहाल कोर्ट में लंबित है लेकिन योगी के संकेतों से साफ है कि कृष्ण जन्मभूमि के लिए भी कार सेवा की तैयारी शुरु होने में ज्यादा देर नहीं है.योगी ने लोगों को ये भी याद दिलाया है कि उनकी सरकार आने के बाद अपराधों का किस तरह से खात्मा करके इसे अब भयमुक्त प्रदेश बनाया गया है और यही 'राम राज्य' स्थापित होने की शुरुआत है.
चूंकि योगी आदित्यनाथ राजनेता होने से पहले एक संन्यासी भी हैं,जो सूबे की कमान के साथ ही गुरु गोरखनाथ की गद्दी को भी संभाल रहे हैं,इसलिये वे अपनी बात बगैर किसी लाग-लपेट के कहने के लिए मशहूर हैं और न ही वे इसकी कभी परवाह ही करते हैं कि उनकी बातों से एक खास अल्पसंख्यक समुदाय नाराज़ हो जाएगा.चूंकि उन्हें मुस्लिम वोटों की कोई दरकार नहीं है,इसीलिये आज उन्होंने साफ कह दिया कि "पिछली सरकारों में पैसा कब्रिस्तान की दीवार बनाने में खर्च होता था, आज मंदिरों के पुनर्निर्माण और सुंदरीकरण पर खर्च हो रहा है." यानी उन्होंने एक लकीर खींचकर साफ संदेश दे दिया है कि 'हिंदुत्व' का मुद्दा गरमाये बगैर यूपी का चुनाव होने की कल्पना करना बेमानी है.
नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.