बिहार में इस साल अक्टूबर या फिर नवंबर के आसपास विधानसभा का चुनाव होना है. लेकिन अभी से ही रमजान और होली के पहले हिंदू और मुसलमान की सियासत हो रही है. बिहार आने के बाद कथावाचक बाबा बागेश्वर लगातार हिन्दू राष्ट्र की वकालत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हिन्दू राष्ट्र बनेगा तो बिहार पहला राज्य होगा. स्वाभाविक रूप से बीजेपी का यही एजेंडा है.
बिहार की जहां बाकी पार्टियां जाति की राजनीति करतीं हैं तो दूसरी तरफ उसकी काट में बीजेपी की तरफ से लोगों को इसके खिलाफ एकजुट करने का प्रयास किया जाता है. मंडल के जवाब में कमंडल मजबूत करने की कोशिश होती है. अभी पूरे देश में प्रयागराज महाकुंभ को लेकर जो एक धर्म और आस्था परवान चढ़ा, इसके बाद बाबा बागेश्वर बिहार पहुंचे. पांच दिन की उनकी कथा में लोगों की भारी भीड़ जुटी.
अपने अंदाज में बाबा बागेश्वर ने हिन्दू राष्ट्र की वकालत की. वे कहते है कि हिन्दुओं को एकजुट करेंगे और इसके लिए बकायदा पदयात्रा भी करेंगे. कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश में बाबा बागेश्वर ने पदयात्रा की थी. उसके बाद वे उत्तर प्रदेश में करने जा रहे हैं और फिर बिहार में करेंगे. बाबा बागेश्वर ने तो बिहार में अपना घर भी बनाने की बात की थी. स्वभाविक रुप से एक हिन्दू की भावना को उभार देना, इसको यही कहा जाएगा. भले ही वह कहें कि ऐसा वे किसी खास पार्टी के लिए नहीं कर रहें हैं.
मंडल की काट में कमंडल की मजबूती
जब हिन्दू एजेंडा सिर्फ और सिर्फ बीजेपी का है तो स्वाभाविक रूप से उसका लाभ बीजेपी को मिलेगा. साधु-संतों को अपने साथ लाना और उसके माध्यम से अपनी राजनीति को आगे बढ़ाना, ये तो शुरु से बीजेपी की रणनीति रही है. देश अयोध्या के राम मंदिर का वो आंदोलन नहीं भूला है, जहां पर राजनीति थी लेकिन साधु-संतों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था.
एक बात जरूर ये है कि संविधान में भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है. अगर कोई हिन्दू राष्ट्र की बात कर रहा है तो वे संविधान सम्मत नहीं है. एक ओर जहां दक्षिण भारत से सनातन के खिलाफ आवाज उठी है, वो भी एक सियासत ही है.
श्री श्री रविशंकर भी बिहार पहुंचे. पटना के गांधी मैदान में उनकी भी कथा हो रही है. उनका भी यही एप्रोच है कि हिन्दू राष्ट्र और हिन्दुओं को ताकतवर बनाया जाए.
कुल मिलाजुला कर चुनाव के साल में सियासत शुरुआत हो चुकी है. विपक्ष के अंदर भी उसी तरह से उबाल है. पप्पू यादव ने बाबा बागेश्वर को फ्रॉड कह दिया. राष्ट्रीय जनता दल की भी कड़ी प्रतिक्रिया आयी. JDU के लोगों ने भी कहा धार्मिक उन्माद फैलाने की बाबा बागेश्वर की भरसक कोशिश है, कार्रवाई होनी चाहिए. साधु संत खास कर की कथा वाचक को इस तरह की बातों से बचना चाहिए.
बिहार चुनाव पर होगा असर
दरअसल, बयानों से इतर अगर हकीकत पर गौर करेंगे तो ये पाएंगे कि होली और रमजान को बेवजह ही मुद्दा बनाया जा रहा है. होली तो भाईचारे का त्योहार है. संयोग से एक लंबे काल के बाद होली के दिन ही रमजान हो रहा है. ऐसे में कई नेताओं की तरफ से अनाप-शनाप ऐसे बयान दिए जा रहे हैं. एक नेता ने ये बयान दे दिया कि अगर मुसलमान को गुलाल से परहेज है तो वे उसे बेचना बंद करें. साल में 52 दिन जुमे का होता है तो एक दिन लेट करें या फिर न करें.
ये सारी बातें सिर्फ चुनाव को लेकर ही हो रही है. हिन्दू-मुसलमान के नाम पर सियासत हो रही है. बिहार में 18 फीसदी मुसलमान है, जिसका वोट बीजेपी विरोध में ही अमूमन जाता है. वोट के लिए बहुत ही कड़ी प्रतिक्रिया दी जा रही है. जनसुराज पार्टी के संस्थापक पीके ने तो यहां तक कह दिया कि ये उनको हक नहीं है कि ऐसी बाबा बागेश्वर करें. उन्होंने इसके लिए बकायदा संविधान का हवाला दिया.
इसके साथ ही, पीके ने बीजेपी को भी निशाने पर लिया और कहा कि अगर बीजेपी बाबा बागेश्वर की राय से सहमत है तो संविधान में संशोधन कर दें. और संविधान संशोधन का मुद्दा बनने पर जो खामियाजा हुआ वो बीजेपी लोकसभा में भुगत चुकी है. बाबा बागेश्वर ने कहा कि चुनाव से पहले वे बिहार एक बार नहीं बल्कि की बार आएंगे. इसे सिर्फ हिन्दू और मुसलमान के बीच सियासत ही कहा जा सकता है, इसके अलावा और कुछ नहीं है.
राजनीतिक दलों की तरफ से होना तो ये चाहिए था कि आपसी सद्भाव बना रहे. लेकिन देखिए जब भारत की चैंपियंस ट्रॉफी में जीत हुई, उसके बाद जब लोग उसका जश्न मना रहे थे, वहां पर भी तनाव हो गया. ये बिल्कुल अजीब हाल है. ऐसे में राजनीतिक दलों को इस तरह की बयानबाजी करने से बचना चाहिए, क्योंकि वो समाज के लिए उत्तरदायी है. इन सब वोट को केन्द्र में रखकर ये सबकुछ हो रहा है, जो काफी दुखदायी है.
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