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बदायूं डबल मर्डर, एक आरोपी का एनकाउंटर और सियासी चश्मे से देखने का नजरिया

उत्तर प्रदेश का बदायूं... ये इस वक्त लगातार मीडिया की सुर्खियों में हैं और उसकी वजह से लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यहां पर दो सगे भाईयों की हत्या और उसके बाद की सियासत भी खबरों में है. इस घटना के सामने आने के बाद जहां एक तरफ से लोग ये सोच रहे हैं कि कैसे कोई पड़ोसी घर के अंदर पैसे मांगने की बात कहकर घुस जाए, और फिर उस परिवार को कभी न भरने वाला जख्म दे जाए. वहीं, दूसरी तरफ इस पर राजनीतिक बयानबाजी भी होने लगी है.

बदायूं की घटना के बाद समाजवादी पार्टी की लॉ एंड ऑर्डर को लेकर तीखी प्रतिक्रिया आयी. सपा ने भाजपा को निशाने पर लेते हुए कहा कि इस घटना से जीरो टॉलरेंस वाली पॉलिसी जीरो हो गई है. इससे ठीक पहले, समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल की तरफ से बदायूं डबल मर्डर पर सोशल मीडिया एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो भी शेयर किया गया और कहा गया कि बीजेपी यूपी में दंगा-फसाद कर साम्प्रदायिक तनाव पैदा करना चाहती है, ताकि चुनाव जीता जा सके.

जबकि, समाजवादी पार्टी के नेता धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि कानून-व्यवस्था के मामले में ये बीजेपी सरकार की पूरी तरह से विफलता है और इन सभी के लिए सिर्फ सरकार ही जिम्मेदार है. 

हालांकि, बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के इन आरोपों पर पलटवार किया है. यूपी बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि इस वक्त अगर समाजवादी पार्टी सत्ता में होती तो ऐसे अपराधियों को सत्ता का संरक्षण मिलता, लेकिन योगी सरकार में एक क्रिमिनल का एनकाउंटर कर दिया गया है. 

बदायूं की घटना और राजनीति

बदायूं की घटना के बाद एक आरोपी का एनकाउंटर कर दिया गया, जबकि दूसरे आरोपी के पकड़े जाने की खबर सामने आयी है, लेकिन इन सबके बीच तीन सवाल खड़े हो रहे हैं- पहला ये कि जब कोई मदद की नीयत से आपके पास आए तो क्या उस पर भरोसा न किया जाए? दूसरा इस घटना को क्या साम्प्रदायिक नजरिये से देखा जाए? और, तीसरा ये कि राजनीतिक दलों की तरफ से लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बदायूं हत्या को लेकर जो बयान दिया गया है, क्या वैसा दिया जाना चाहिए?

दरअसल, बदायूं की इस घटना पर जब हमने उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह से की तो उनका साफतौर पर ये कहना था कि ये एक जघन्य घटना है. उन्होंने कहा कि आरोपी सबसे पहले घर के अंदर दाखिल हुआ, इसके बाद उधार में रूपये मांगे. पैसे मिलने का जब आश्ववासन मिल गया तो फिर चाय की मांग की. उसके बाद चाय मिली तो बाद में बच्चों का गला काट दिया. ऐसा कांड जघन्य और निंदनीय होता है. हालांकि, इस दौरान पुलिस ने अच्छी कार्रवाई का परिचय दिया. कार्रवाई के क्रम में एक आरोपी को मुठभेड़ में मार गिराया गया. उम्मीद है कि पुलिस दूसरे आरोपी को भी खोजकर उस पर विधि सम्मत कार्रवाई करेगी, ताकि कोई फिर से ऐसा जघन्य अपराध करने से पहले सोचने पर मजबूर हो जाए. मौके के कुछ समय के बाद ही साजिद को ढेर कर दिया गया. एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मी बधाई के पात्र हैं. मुठभेड़ में घायल एक पुलिसकर्मी जो घायल हुआ है, उसका फिलहाल इलाज चल रहा है. पुलिस और सरकार की ओर से इलाज में पूरा ध्यान रखा जा रहा है.

बदायूं की घटना से उठते सवाल

जब विक्रम सिंह से सवाल पूछा गया कि समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया है कि यूपी में लोकसभा चुनाव को लेकर एक तरह से टेंशन पैदा करने के लिए ये सब किया जा रहा है. इसके जवाब में उनका कहना था कि इस घटना को राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए. लेकिन कई लोगों के दिमाग में दिवालियापन भी होता है. इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. हर चीज में राजनीति का तड़का लगाना सही नही है. घटना के बाद समाजवादी पार्टी के लोगों ने पीड़ित के परिवार के लिए दो शब्द भी नहीं बोले. इतनी घिनौनी चीजें राजनीति में नहीं होनी चाहिए.

विक्रम सिंह ने कहा कि ये घटना व्यक्तिगत नहीं है. पर्सनल दुश्मनी में कोई किसी का गला नहीं काट देता है. अगर पर्सनल दुश्मनी होती तो पैसे की मांग करता, चाय की मांग करता? यकीनन किसी ने उसे धर्म के नाम पर उकसाया और बदले की स्थिति उत्पन्न की है. पीड़ित परिवार की ओर से कोई भी बोलने का नाम नहीं ले रहा है. राजनीतिक पार्टियां अपना राजनीतिक फायदा देख रहे हैं. समाजवादी परिवार ने आरोप लगाया है कि सरकार ने बदमाशों को खुला छोड़ दिया है.

यूपी के पूर्व डीजीपी का आगे कहना है कि अखिलेश यादव के कार्यकाल में बदमाश खुले छोड़े गए थे. उनसे ये बेहतर कौन जान सकता है. एसटीएफ और डीजीपी पर हत्या का मुकदमा उनके शासन काल में हुआ था. इसलिए उनको बोलने का कोई हक नहीं है. जो लाभान्वित होते हैं ऐसे कांडों से उनको बोलने से बचना चाहिए. आज जितनी बदमाशों पर नकेल है उतनी कभी भी नहीं थी.

यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह से जब ये सवाल किया गया कि आखिर कैसे खुद को सुरक्षित किया जाए? इसके जवाब में उनका कहना था कि यकीनन किसी के दिमाग में आदमी नहीं बसा होता कि वो क्या सोच रहा है, लेकिन सुरक्षा और सावधानी जरूर बरती जा सकती है. अनजान लोगों से बाहर ही बातचीत करें. ज्यादा किसी के करीब होने से बचें. किसी के साथ ज्यादा आत्मीयता नहीं दिखानी चाहिए, ताकि बाद में वो कभी भी किसी घटना को अंजाम दे सके. बदायूं के कांड को लेकर पुलिस के द्वारा की गई कार्रवाई पर सभी जगहों से लोग पुलिस को बधाई दे रहे हैं. जो सब-इंस्पेक्टर घायल है उसका बेहतर से इलाज कराने की अपील की जा रही है.

जाहिर है जब समाज में ऐसी कोई घटना होती है तो साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के नाम पर जहां राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश होती है तो वहीं आपसी भाईचारे का एक विश्वास भी दरकता है. इस तरह की घटना को जब हम अपवाद मानेंगे तभी इससे आगे बढ़ पाएंगे, नहीं तो हमें अलग-अलग तरह से भड़काने की कोशिशें होती रहेंगी.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ़ लेखक ही ज़िम्मेदार हैं.] 

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