दुर्गा पूजा का वार्षिक उत्सव इस बार 1 अक्टूबर से शुरु हो रहा है,जिसे पश्चिम बंगाल के अलावा बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू भी बेहद धूमधाम से मनाते हैं. पिछले साल हुई एक घटना से भड़के साम्प्रदायिक दंगों से सबक लेते हुए बांग्लादेश की सरकार ने इस बार सुरक्षा के खास इंतजाम किए हैं. देवी दुर्गा के करीब 32 हजार पंडालों की सुरक्षा को चाक-चौबंद रखने के लिए पुलिस के अलावा स्वयंसेवकों की टीमें भी चौबीसों घंटे तैनात रहेंगी. 


दरअसल, सरकार की खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि कुछ कट्टरपंथी तत्व पिछले साल की तरह इस बार भी साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश कर सकते हैं,इसलिये पंडालों की सुरक्षा के साथ ही हिंदू बहुल आबादी वाले इलाकों में भी ज्यादा एहितयात बरतने के निर्देश प्रशासन को दिये गए हैं. 


दरअसल, साल 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक बांग्लादेश की करीब 15 करोड़ की आबादी में लगभग 8. 5 फीसदी हिंदू हैं.  कोमिल्ला जिला समेत वहां के कई और जिलों में हिंदू समुदाय के लोगों की बड़ी आबादी है. लिहाजा,उन सभी जिलों में दुर्गा पूजा का उत्सव पूरे जोर शोर से मनाया जाता है.  पिछले कई सालों से ये परम्परा बगैर किसी बाधा या अप्रिय घटना के चलती आई है. 


लेकिन पिछले साल अक्टूबर में वहां एक फ़ेसबुक पोस्ट के कारण ऐसी साम्प्रदायिक हिंसा भड़की थी, जिसमें तीन लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए थे. उपद्रवियों ने कई दुर्गा पूजा पंडालों में तोड़फोड़ करते हुए आग तक लगा दी थी.  कम से कम 150 हिंदू  परिवारों पर जानलेवा हमले हुए और हिंदू आबादी वाले जिलों में हालात बेकाबू हो गए थे. 


कई हिंदू मंदिरों, घरों और दुकानों को तोड़ दिया गया था. हालांकि बाद में, पुलिस ने इस मामले में दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया था. तब स्थानीय समुदाय के नेताओं का कहना था कि क्षेत्र में पहली बार इस तरह की सांप्रदायिक हिंसा की घटना हुई है. बता दें कि बांग्लादेश के कोमिल्ला जिले में एक पूजा पंडाल में कुरान के कथित अपमान की अफ़वाह के बाद वह हिंसा भड़की थी. 


उस वक़्त एक सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया गया था कि एक पूजा पंडाल में क़ुरान रखकर उसका अपमान किया गया है.  इसके बाद चांदपुर के हबीबगंज, चटगाँव के बांसखाली, कॉक्स बाज़ार के पेकुआ और शिवगंज के चापाईनवाबगंज समेत कई इलाकों में हिंसा भड़क उठी और पंडालों में तोड़फोड़ की गई. 


बताते हैं कि कोमिल्ला के जिस इलाके में यह घटना हुई थी, वहाँ दशकों से हिंदू और मुसलमान आपसी सद्भाव के साथ रहते आए हैं.  मुस्लिम तबके के लोग भी दुर्गा पूजा के दौरान पंडालों में जाते हैं.  इसी वजह से वहां रात को पूजा पंडालों में कोई पहरा नहीं होता. 


हालांकि तब भी कोमिल्ला महानगर पूजा उद्यापन समिति के महासचिव शिव प्रसाद दत्त ने क़ुरान के कथित अपमान की बात को निराधार बताते हुए कहा था कि किसी ने जानबूझ कर हिंसा भड़काने के लिए ही मामुआ दीघीर पार में बने पूजा पंडाल में चुपके से क़ुरान की एक प्रति रख दी थी.  


उस समय पंडाल में कोई नहीं था. जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा था कि पंडाल में कुरान रखने के बाद किसी ने उसकी फोटो खींच ली और वीडियो बना कर वहाँ से भाग गया.  उसके कुछ देर बाद ही फ़ेसबुक पर क़ुरान के कथित अपमान वाली पोस्ट वायरल हो गई थी,जिसके कारण दो समुदायों के बीच दंगे भड़क उठे थे. 


पिछले साल पंडालों में हुई व्यापक हिंसा को देखते हुए ही गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने इस बार ज्यादा सुरक्षा देने की बात कही है.  हाल ही में उन्होंने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए कहा कि पूरे देश में पूजा पंडाल में उचित पुलिस बल प्रदान किया जाएगा.


मंत्री ने कहा कि संबंधित अधिकारियों द्वारा मंडपों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए भी कहा गया है. गौरतलब है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार पूजा मंडपों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है, जो कि 32 हजार तक जा पहुंची है. इसलिए सरकार ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए पूजा समितियों से पंडालों की संख्या को और नहीं बढ़ाने का अनुरोध किया है.




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