अक्सर देखा ये गया है कि किसी भी देश में सत्ताधारी पार्टी ही मीडिया को अपने नियंत्रण में रखने की कोशिश करती है, लेकिन हमारे पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में इसके ठीक उलट हो रहा है. वहां की मुख्य विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी BNP ने मीडिया को अपनी हैसियत में रहने की चेतावनी दी है, जिसकी मीडिया-जगत में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. पार्टी के महासचिव फखरुल इस्लाम ने मीडिया के लिए तुगलकी फ़रमान जारी करते हुए कहा है कि लोकतंत्र के हित में बेहतर यही होगा कि वह पार्टी के टॉप नेताओं के ख़िलाफ़ खबरें छापना-दिखाना बंद कर दे. ग़ौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया BNP की अध्यक्ष हैं, जिन्हें भ्रष्टाचार व गबन के संगीन आरोपों में हाइकोर्ट ने सजा सुनाई हुई है.


मुल्क के वरिष्ठ पत्रकारों ने इस्लाम के इस फ़रमान पर तीखा विरोध जताते हुए इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला करार दिया है. लोकतंत्र में मीडिया को बगैर किसी भेदभाव के सभी राजनीतिक दलों की गतिविधियों को कवर करने का हक है, लेकिन लगता है कि फखरुल इस्लाम लोकतंत्र की इस परिभाषा को बदलते हुए मीडिया से खास फ़ेवर चाहते हैं , ताकि उनके नेताओं के पुराने कुकर्मों को न छापा-दिखाया जाए. बांग्लादेश में अगले साल संसदीय चुनाव हैं और मुख्य विपक्षी पार्टी ने इसके बहिष्कार की धमकी दी है. देश के प्रमुख न्यूज़ चैनल Somoy TV पर बरसते हुए इस्लाम ने पत्रकारों को चेताया है कि वे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ रिपोर्टिंग करने से बाज आएं. उनकी दलील है कि पार्टी नेताओं के भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ी खबरें दिखाकर यह चैनल उनके आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रहा है. पत्रकारों को धमकाते हुए उन्होंने साफ लहज़े में ये भी कहा कि आपको हमारे नेताओं के खिलाफ लिखने की कोई जरुरत नहीं है ,बल्कि हम उनके बारे में जो धारणा जताते हैं,उसे ही छापिये.


बता दें कि खालिदा जिया शासन के दौरान उनके बेटे और पार्टी के कार्यकारी उपाध्यक्ष तारिक रहमान पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे थे जिनमें वह मुख्य अभियुक्त हैं. उस मामले को लेकर हाल ही में Somoy TV ने विस्तृत रिपोर्ट प्रसारित की थी. फखरुल इस्लाम के इस फ़रमान पर मुल्क के मीडिया -जगत में जबरदस्त गुस्सा है और इसे मीडिया की आज़ादी के लिए खतरनाक संदेश माना जा रहा है. प्रधानमंत्री शेख हसीना के ICT Adviser साजिब वाजेद ने भी  मुख्य विपक्षी पार्टी के इस कदम की तीखी आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है कि फखरुल इस्लाम के बार कह चुके हैं कि मुल्क में अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है तो अब वे इस फरमान के जरिये किस आजादी का सम्मान कर रहे हैं? मीडिया को सच दिखाने और विपक्षी पार्टी की करतूतों को उजागर करने का क्या कोई हक नहीं है?


अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई की एक स्पेशल एजेंट ने हाल ही में ढाका की अदालत में दी गई अपनी गवाही में बताया था कि तारिक रहमान और उनके एक सहयोगी ने सरकारी खजाने के पैसों की मनी लॉन्ड्रिंग करके किस तरह से उसे सिंगापुर की एक बैंक में ट्रांसफर किया था.न्यूज़ चैनल ने उनके बयान के आधार पर इस पूरे मामले को प्रमुखता से प्रसारित किया था. उसी रिपोर्ट से BNP भड़क उठी और पार्टी महासचिव ने ऐसा तुगलकी फ़रमान निकाल दिया.लेकिन ये उसके खिलाफ ही चला गया है.नतीजा ये हुआ कि शेख हसीना सरकार को हटाने के लिए आंदोलन चला रही मुख्य विपक्षी पार्टी ने मीडिया को धमकाकर खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है.


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