बांग्लादेश में रात के वक्त चौदह मंदिरों पर हमले की इस घटना की जितनी निंदा की जाए वो कम है.  वहां पर बुरी तरह से हिन्दुओं का उत्पीड़न किया जा रहा है. रोज हिन्दू बच्चियों का अपहरण कर उसका या तो धर्मांतरण किया जा रहा है या फिर उसे मार दिया जा रहा है. पाकिस्तान में ही देख लीजिए, वहां पर क्या हालात है हिन्दुओं की. आप यहां तक की अमेरिका में एक पुजारी को जाते वक्त किसी स्थानीय ने गोली मार दी.


हर जगह हिन्दू और संतों का अपमान किया जा रहा है. अपनी संत सभा और हिन्दू महासभा की तरफ से इसके लिए चार बार संयुक्त राष्ट्र संघ को पत्र भेजा कि हिन्दुओं की रक्षा की जाए. जिस सनातन धर्मी ने वसुधैव कुटुंबकम का नारा दिया, पूरे विश्व को परिवार माना आज उसके प्रति इतनी नफरत और घृणा क्यों है?


पड़ोसी मुल्कों में हिन्दू-सिखों का बुरा हाल


निश्चित रूप से देखिए, जहां पर कट्टरपंथी या यूं कहें कि इस्लामिक कट्टरपंथी है, इस्लामिक आतंकवाद है, वहां पर उत्पीड़न सबका ही होता है. आप देखिए अफगानिस्तान में क्या हालात है. अफगानिस्तान हो या फिर पाकिस्तान, या फिर बांग्लादेश... ये तो भारत का ही हिस्सा था. लेकिन जैसे ही अफगानिस्तान अलग हुआ, मजहब के नाम पर पाकिस्तान का विभाजन हुआ. अफगानिस्तान में तालिबान का राज होते ही लगातार हिन्दू और सिखों को मारकर भगाया गया.


स्थिति काफी खराब है. बांग्लादेश में पिछले साल दुर्गापूजा के वक्त भी घुसकर प्रतिमाओं को तोड़ा गया. हिन्दुओं का बहुत ही ज्यादा उत्पीड़न किया जा रहा है. ऐसा लगता है जैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश में इस बात की प्रतिस्पर्धा हो गई है कि कौन कितने हिन्दुओं को मारेगा और कौन कितने मंदिरों को तोड़ेगा.


वो बांग्लादेश, जिसे भारत ने काफी सहयोग किया, वहां पर आज हिन्दुओं का इस तरह से उत्पीड़न होना, हमें लगता है कि केन्द्र सरकार को इस पर हस्तक्षेप करना चाहिए और सक्रिय भूमिका निभाए.  


बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ये बखूबी जानती हैं कि भारत ने किस तरह से पाकिस्तान के खिलाफ उसका साथ दिया है. इसमें कोई दो राय नहीं है. लेकिन, जो इस्लामिक कट्टरपंथी है वो किसी को नहीं छोड़ता है. वे पहले हिन्दू और बाकी धर्मों के लोगों को मारते हैं और उसके बाद आपस में लड़ते हैं.


सरकार को इस विचारधारा को कुचलना होगा. ये मंदिर तोड़ने वाले कौन लोग हैं? ये सभी इस्लामिक आतंकी है. एक तरफ हिन्दुओं की ये शिक्षा दी जाती है वसुधैव कुटुंबकम यानी पूरा विश्व परिवार है. जबकि, दूसरी तरफ उन्हें ये शिक्षा दी जाती है कि आप तो अपने ईमान पर हो लेकिन बाकी काफिर है. ऐसी शिक्षा गलत है.


भारत उठाए सख्त कदम


पहले तो भारत सरकार को इस पूरे मुद्दे पर सख्त कदम उठाना चाहिए. इसके अलावा बांग्लादेश की सरकार को कड़ा संदेश भेजना चाहिए. ये कोई पहली घटना नहीं है, मंदिर तोड़े जाने की. जिस प्रकार के मॉब लिंचिंग की घटना हो रही है, ये काफी दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. बांग्लादेश की सरकार को बातें नहीं बल्कि काम करना चाहिए और हिन्दुओं को सुरक्षा देनी चाहिए. समाज में जागरूकता करनी चाहिए और ऐसे कट्टरपंथियों पर कड़ा कार्रवाई होनी चाहिए, जो बेवजह हिन्दुओं को निशाना बना रहे हैं. शरिया कानून के तहत उन्हें फांसी होनी चाहिए. लेकिन ये सब कुछ भी नहीं होता है.


भारत में जितनी बड़ी इस्लामिक संस्थाएं हैं, जो अपने आपको को धर्मनिरपेक्ष कहती हैं ये सभी इन विषयों पर मौन होती है. इसलिए ये जरूरी है कि भारत की सभी इस्लामिक संस्थाएं बाग्लादेश में हुई इन घटनाओं के कड़े शब्दों में निंदा करें.


मुस्लिम बहन गणेश जी की आरती कर रही हैं, तो उनके खिलाफ फतवा जारी कर दिया जा रहा है. लेकिन बांग्लादेश में मंदिर तोड़े जा रहे हैं और बड़ी इस्लामिक संस्थाएं चुप हैं. इसी तरह बांग्लादेश में कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि एक्शन नहीं होने से सरकार विश्वास खोती जा रही है.


इसके अलावा, एनआरसी भी लागू किया जाना चाहिए, ताकि पड़ोसी मुल्क से सताए हुए शरणार्थी हिन्दू और अन्य धर्मों के लोगों को सदस्यता मिल सके.  


इस्लामिक आतंकवाद के चलते बढ़ रही घटनाएं


हाल के दिनों में बांग्लादेश में जो तेजी से इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, उसके पीछे इस्लामिक आतंकवाद है. इसलिए हिन्दू के प्रति नफरत बढ़ रहा  है. इसके अलावा, कुछ लोग भारत में जो इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं, इसका जो मैसेज मुस्लिम बहुल देशों में जाता है, उसके प्रतिक्रिया स्वरूप भी इस तरह की घटनाएं हो रही हैं.


इसलिए जब वहां पर घटना होती है तो ये लोग मौन हो जाते हैं. जब पाकिस्तान या बांग्लादेश में इस तरह की घटनाएं होती है तो हमें दुख होता है. फौरन संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखकर एक्शन की मांग भी करते हैं. ऐसे में जब आप प्रोपगेंडा फैलाएंगे  तो इसका गलत असर भी होता है.


मैं ये मांग करूंगा जो मंदिर तोड़े गए, उसको दोबारा बनाया जाए. वहां के पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए. इसके अलावा, वहां पर लोगों के मन में पैदा खौफ को दूर करे. 


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)