एक्सप्लोरर

लाल किला बैकग्राउंड में इफ्तार पार्टी, हिंसाग्रस्त सासाराम-बिहार शरीफ से दूरी, नीतीश की ये कैसी राजनीति?

रामनवमी पर जो ये जो हिंसा की घटना हुई है और पिछले 17 वर्षों में जो नीतीश कुमार का कार्यकाल रहा है, उस पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है. जो उनके गृहजिला नालंदा का जो मुख्यालय है बिहारशरीफ, यह बिहार के लिए भी सोचने का विषय है. खासकर, इसलिए कि बिहार जो पहले से बदनाम रहा है, उसका एक परसेप्शन बना हुआ है विभिन्न कारणों से.  न सिर्फ बिहारशरीफ बल्कि रोहतास का जिला मुख्यालय है सासाराम. रामनवमी के जुलूस में इन दोनों के साथ पांच-छह जिलों में छिटपुट घटनाएं हुई हैं, हिंसा की. आप कहेंगे कि भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की वजह से स्थिति नियंत्रण में है. हालांकि, हालात अभी सामान्य नहीं है. वह पुलिस वालों के दबाव या नियंत्रण की वजह से स्थिति वैसी है, लेकिन छठे दिन भी स्थिति सामान्य नहीं है. ऐसे में मुख्यमंत्री का अपने गृह जिला में जाना बनता था. अगर वह वहीं गए होते, सर्किट हाउस में बैठकर अपील किए होते तो लोगों को एक दूसरी तरह का मैसेज जाता. हालांकि, मुख्यमंत्री पहले भी जब इस तरह की कोई बात होती है तो नीतीश कुमार अपने मुख्यमंत्री आवास से बाहर नहीं निकलते हैं. 

कोरोना के समय भी वह बाहर निकले ही नहीं, तो वह नीतीश कुमार की अपनी तरह की एक कार्यशैली है. हालांकि, इस बार जब वह बाहर नहीं निकले हैं तो लोगों को बहुत आश्चर्य भी हुआ है. वह फुलवारीशरीफ जो राजधानी में ही है, वहां इफ्तार में गए. वहां उनका जाना और आपने ठीक ही कहा कि जिस तरह से नीतीश कुमार ने मैसेज देने की कोशिश की. जेडीयू एमएलसी ने उसका आयोजन किया था और जो मंच के बैकग्राउंड में लालकिला लगाया गया, उससे मुख्यमंत्री को परहेज करना चाहिए. अभी सात तारीख को वह खुद मुख्यमंत्री की तरफ से जो इफ्तार पार्टी का आयोजन होता है, वह देनेवाले हैं. तो विपक्ष को भी एक मौका मिलता है. हालाकि, वह अपने गृहजिला जाते तो एक सकारात्मक संदेश जाता.  हालांकि, डीजीपी को उन्होंने भेजा है, लेकिन मुख्यमंत्री के नहीं जाने से लोगों को बड़ी हैरानी हुई है. 

दंगा पुलिस-प्रशासन की नाकामी

सबसे पहले तो जिस तरह जहां दंगे होते हैं, वहां स्थानीय प्रशासन की बड़ी भूमिका होती है. तो ये फेल्योर है स्थानीय पुलिस-प्रशासन का. बिहार में ही नहीं, पूरे देश में जिस तरह से रामनवमी के जुलूस निकलते हैं और अब तो इसकी संख्या बढ़ रही है, तो स्थानीय स्तर पर शांति समितियों की बैठक होती है. संवेदनशील इलाकों की पहचान होती है. सबका एक प्रोटोकॉल बना हुआ है. 

रामनवमी जुलूस निकलेगा तो किस रूट से जाएगा. इसके बावजूद जब आगजनी हुई, हिंसा हुई तो जाहिर है कि पुलिस- प्रशासन की नाकामी रही है. बिहारशरीफ में तो एक की मौत भी हुई है. वहीं देखिए, सासाराम में दो तारीख को केंद्रीय गृहमंत्री का कार्यक्रम था, पूरी तैयारी थी. जिस शहर में केंद्रीय गृहमंत्री का कार्यक्रम हो, तो पुलिस-प्रशासन के स्तर से काफी तैयारी होती है, भाजपा की तरफ से तैयारी की गई. इसके बावजूद वहां अगर दंगा हो गया, जिसकी वजह से अमित शाह जी को अपना कार्यकरम रद्द करना पड़ा तो मुख्यमंत्री ऐसी स्थिति में जाने से एक विश्वास तो पैदा होता है. हालांकि, पुलिस के काम पर भी असर पड़ता है, लेकिन जैसा कि मैंने पहले कहा कि सीएम का गृहजिला है नालंदा. जाति की राजनीति की बात करें तो कुर्मी-बहुत है इलाका. वहां हमेशा जेडीयू का ही दबदबा रहा है. मुख्यमंत्री अगर जाते और प्रमुख लोगों को बुलाते. उनको घर-घर जाने की जरूरत नहीं थी. वह तो एक मैसेज देने की बात है कि मुख्यमंत्री ने इसको बहुत गंभीरता से लिया है. 

नीतीश के दौरे से लग सकता था मरहम

मुझे याद है कि ऐसे ही लालू प्रसाद के समय सीतामढ़ी में दंगा हुआ था तो लालू वहां पहुंच गए थे. उससे मैसेज गया था. एक जनअपेक्षा तो होती है कि पांच दिनों से जब बिहार जल रहा है और मुख्यमंत्री केवल उच्चाधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं और इस तरह के राजनीतिक जलसों में शामिल हो रहे हैं, तो हैरानी की बात तो है. 

विपक्ष जो मुद्दा उठा रहा है, वह तो ठीक ही है. अगर इस तरह की घटनाएं होती हैं तो यह सरकार की नाकामी तो है ही. विपक्ष तो सवाल उठाएगा ही. अब आज मुख्यमंत्री ने ओवैसी की बातों का प्रतिवाद किया है और उनको बीजेपी का एजेंट बता रहे हैं. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने ओवैसी और बीजेपी पर निशाना साधा है. वह किसी पार्टी का नाम नहीं ले रहे थे लेकिन उनकी बातों का सार तो बीजेपी की तरफ था. वह राज्य का माहौल बिगाड़ने के लिए उसे जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और ओवैसी को उनका एजेंट बता रहे हैं. तो, आज तो ये स्थिति है. 

हिंसा पर हो रही राजनीति

वो राजनीति ही हो रही है. जब भी इस तरह के दंगे होते हैं, तो यही होता है. अब दंगों के बाद की बात देखिए. वहां से लोगों का पलायन होने लगा है. भागलपुर के दंगे आजादी के बाद सबसे अधिक समय तक चलनेवाले दंगे थे और उसके बाद कई परिवारों का वहां से पलायन हुआ था. बाद में आपने उनकी संपत्ति औने-पौने दाम में खरीदी थी. नीतीश कुमार ने ही जांच आयोग बिठाया था औऱ उसी में ये बातें लिखी हुई हैं. आखिरकार तो होती सियासत ही है. अब जो हिंदू मतों का ध्रुवीकरण है और फिर मुस्लिम वोटों के लिए जो लोग हैं, तो कुल मिलाकर सियासत ही होती है. इसमें जो लोग भुगतते हैं, जो पीड़ित होते हैं, वही पीड़ित हैं. अब दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसी घटना पर सियासत नहीं होनी चाहिए, ये दोबारा नहीं हो, इसकी कोशिश होनी चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है.

[ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है.]

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
ABP Premium

वीडियोज

America में अनमोल बिश्नोई की गिरफ्तारी, भारत लाने की तैयारी! | ABP NewsChitra Tripathi : ट्रंप की वजह से अदाणी टारगेट ? । Gautam Adani Case ।  Maharashtra Election'The Sabarmati report' पर सियासत तेज, फिल्मी है कहानी या सच की है जुबानी? | Bharat Ki BaatAdani Bribery Case: अदाणी पर अमेरिकी केस की इनसाइड स्टोरी! | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Border Gavaskar Trophy: ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन  के लक्षण और बचाव का तरीका
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन के लक्षण और बचाव का तरीका
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
Embed widget