बिहार चुनाव बेहद दिलचस्प मोड़ से गुजर रहा है. पुराने साथी अलग होते दिखे और नए-नए समीकरण सामने आ रहे हैं. इन सब के बीच सबसे ज्यादा चर्चा में एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान बने हुए हैं. जाहिर है कि जिस नीतीश कुमार के चेहरे के साथ बीजेपी बिहार में सरकार बनाने का दावा कर रही है, चिराग उन्हीं पर निशाना साधे हुए हैं.
इस सब में दिलचस्प ये भी है कि चिराग पासवान भी बीजेपी के साथ सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं. ट्विटर पर चिराग ने कहा कि बिहार में एलजेपी और बीजेपी मिलकर सरकार बनाएगी. जेडीयू भी यही कह रही है कि बीजेपी के साथ मिलकर ही बिहार में फिर से एनडीए गठबंधन की सरकार बनेगी. यानी कुल मिलाकर चिराग पासवान और जेडीयू दोनों ये बात कह रहे है कि उनकी सरकार बीजेपी के साथ मिलकर ही बनेगी. दोनों के दावों में बीजेपी कॉमन है. हालांकि, बीजेपी ने चिराग पासवान को जवाब दे दिया है.
मंगलवार की शाम एनडीए की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इसमें नीतीश कुमार सहित बीजेपी के सीनियर नेता शामिल हुए. बीजेपी नेताओं की तरफ से साफ कर दिया गया कि चुनाव के बाद नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे. जिन्हें नीतीश कुमार का नेतृत्व स्वीकार नहीं है वो गठबंधन का हिस्सा नहीं हो सकते. प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीटों का एलान कर दिया गया. जेडीयू 122 तो बीजेपी 121 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. जेडीयू अपने खाते से जीतन राम मांझी की हम को सीटें देगी तो वहीं बीजेपी अपने कोटे से मुकेश सहनी की वीआईपी को सीटें देगी.
आखिर चिराग को क्यों चाहिए 'कमल' का साथ?
सियासी गलियारे में ये सवाल अब भी बना हुआ है कि आखिर चिराग पासवान बीजेपी के साथ सरकार बनाने का दावा क्यों और कैसे कर रहे हैं? ये सवाल इधर उधर भटक रहा है, लेकिन इसका जवाब इतना मुश्किल नहीं है कि इसे समझा नहीं जा सके. दरअसल, एनडीए में मनमुताबिक सीट नहीं मिलना चिराग के लिए चुनौती बन गया. उनके पास बहुत ज्यादा राजनीतिक विकल्प नहीं दिख रहा है. प्रदेश में कई नए-पुराने गठबंधन हैं, लेकिन राजनीतिक समीकरण के हिसाब से एलजेपी के पास रास्ते बंद दिख रहे हैं.
एक्सपर्ट के मुताबिक आरजेडी से भी मनमुताबिक सीट पाने की गारन्टी नहीं हैं, जीत की उम्मीद भी नहीं है और अगर ऐसा करते हैं तो केंद्र को चुनौती देने जैसा होगा, रामविलास पासवान के इस्तीफे की नौबत आ सकती है, कुल मिलाकर चिराग इतनी बड़ी चुनौती के लिए तैयार नहीं हैं. पीएम नरेंद्र मोदी के गुणगान का ये फायदा है कि विधानसभा चुनाव में मनमुताबिक सीटें नहीं मिली तो भी केंद्र की सत्ता में बने रहने का फायदा मिलता रहेगा.
चिराग के लिए एक मुश्किल ये भी है कि वो पहली बार चुनावी मैदान में अपने पिता के बगैर हैं. रामविलास पासवान बीमार हैं और दिल्ली में इलाज चल रहा है, ऐसे में उनके साथ चुनावी कैंपन में बिहार की राजनीति के एक कद्दावर नेता का नहीं होना भी उनके लिए एक बड़ी परेशानी का सबब है.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है)