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Opinion: नए नैरेटिव गढ़ने की जमकर कोशिश, लेकिन क्या नया अध्याय लिखेगा बिहार?
बिहार में एक कहावत चुनावों में चरितार्थ होती रही है.. "जाति है कि जाती नहीं.!" बिहार में जातीय आधार पर चुनाव होना आम बात है. सीटों के चयन से लेकर उसपर उम्मीदवार तक जातीय समीकरण देख कर ही साधे जाते
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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