बिहार: नीतीश कुमार की पार्टी आखिर तीसरे पायदान की तरफ क्यों लुढ़क रही है?
बिहार विधान परिषद के चुनावी नतीजे इसका संकेत देते हैं कि वहां सुशासन बाबू यानी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सियासी जादू का असर कम होने लगा है और उनकी पार्टी जदयू का कद भी अब सिमटने लगा है. हालांकि विधान परिषद की स्थानीय निकाय की 24 सीटों पर हुए इस चुनाव में बहुमत एनडीए को ही मिला है, लेकिन बीजेपी सबसे अधिक सीटें जीतकर बड़ी पार्टी बन गई है. जबकि तेजस्वी यादव की आरजेडी ने जदयू को पटखनी देते हुए उससे ज्यादा सीटें हासिल करके दूसरे नंबर की पोजीशन पा ली है.
इन नतीजों का असर बिहार की सियासत पर पड़ना लाजिमी है और इसके बाद तेजस्वी यादव की राजनीति जदयू के खिलाफ और भी हमलावर हो जाएगी. इन 24 सीटों में से जेडीयू 11 और बीजेपी 12 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जबकि एक सीट रालोजपा (पारस गुट) को दी गई थी. नतीजों पर गौर करें तो बीजेपी ने आठ, जेडीयू ने चार, आरजेडी ने छह और कांग्रेस व रालोजपा (पारस) ने एक-एक सीट पर जीत हासिल की है. चार सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी ने बाजी मारी है, लेकिन बीजेपी को छपरा में झटका लगा है, क्योंकि जिसे पार्टी ने टिकट नहीं दिया था, उसने बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल कर ली.
इस चुनाव में कांग्रेस के महागठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने का आरजेडी और कांग्रेस दोनों को ही खासा नुकसान झेलना पड़ा है. आरजेडी ने 23 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जबकि उसने एक सीट सीपीआई को दी थी. उधर, कांग्रेस ने अकेले ही 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे कामयाबी महज़ एक ही सीट पर मिली. जानकार मानते हैं कि कांग्रेस ने भी साथ मिलकर चुनाव लड़ा होता तो महागठबंधन की सीटों पर कुछ इजाफा जो सकता था. जबकि मुकेश सहनी की वीआईपी ने सात और चिराग पासवान की पार्टी ने छह सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों को ही कोई कामयाबी नहीं मिली.
छह सीटें जीतकर जदयू को तीसरे नंबर पर घसीट लाने वाले तेजस्वी यादव को एक बड़ा झटका भी लगा है. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के गृह क्षेत्र गोपालगंज में ही उनकी पार्टी को करारी हार झेलनी पड़ी है. यहां से बीजेपी प्रत्याशी राजीव कुमार उर्फ गप्पू सिंह जीत गए हैं. हालांकि पहले भी इस सीट पर बीजेपी का ही कब्ज़ा था और बीजेपी के आदित्य नारायण पांडेय वहां से एमएलसी थे. गोपालगंज सीट आरजेडी के लिए प्रतिष्ठा की सीट मानी जा रही थी और यही कारण था कि तेजस्वी यादव ने यहां से अपने प्रत्याशी की जीत के लिए पूरी ताकत लगा दी थी, लेकिन आरजेडी के लिए खुश होने की बात ये है कि उसने राजधानी पटना और मुंगेर जीत कर बीजेपी और जदयू को तगड़ा झटका दिया है.
नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के लिए ज्यादा चिंता की बात ये है कि राज्य में धीरे-धीरे उसका जनाधर काम होता जा रहा है और बीजेपी लगातार मजबूत होती जा रही है. विधानसभा में भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है और अब विधान परिषद में भी उसने बाजी मार ली है. ऐसे में सवाल उठता है कि आने वाले दिनों में मुख्य सियासी मुकाबला क्या बीजेपी व आरजेडी के बीच ही होगा और क्या जदयू तीसरे नंबर की पार्टी बनकर ही राह जाएगी?
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)