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Bihar: 18 साल में 8 बार सीएम बने नीतीश, फिर क्यों रह गया राज्य के विकास का मलाल

पिछले 18 साल में कुल 8 बार नीतीश कुमार बिहार की सत्ता पर काबिज हो चुके हैं, उसके बावजूद बिहार का अब तक उतना विकास नहीं हो पाया है. सवाल उठता है इसके लिए आखिर कौन जिम्मेदार है? राज्य में सबसे ज्यादा वक्त तक मुख्यमंत्री बनने वाले नीतीश या फिर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. अधिकांश लोग नीतीश को ही इसके लिए जिम्मेदार ठहराएंगे लेकिन राज्य के पिछड़ेपन वाली इस हालत के लिए नीतीश कुमार खुद को कतई जिम्मेदार नहीं मानते बल्कि इसका सारा ठीकरा वे केंद्र सरकार पर ही फोड़ रहे हैं.

नीतीश कुमार इन दिनों बिहार को नाप रहे हैं और ये जानने की कोशिश में हैं कि लोगों की समस्याओं का समाधान आखिर क्या है. 5 जनवरी को चंपारण से शुरू हुई अपनी इस यात्रा को उन्होंने "समाधान यात्रा" का नाम दिया है. हालांकि विपक्ष ने इसकी आलोचना करते हुए लोगों की तकलीफें दूर करने से ज्यादा इसे सरकारी दौरा ही बताया है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने तो इसे उनकी अंतिम सियासी यात्रा बता दिया है.

वैसे साल 2005 में बिहार का सीएम बनने के बाद से ये उनकी 14वीं यात्रा है लेकिन उन्हें अभी तक ये समझ नहीं आ पाया कि बिहार विकास के पायदान पर अभी तक पिछड़ा ही क्यों बना हुआ है. इसके लिये वे केंद्र सरकार का नाम लिए बिना उस पर निशाना साध रहे हैं. कह रहे हैं कि गरीब राज्यों के लिए कुछ किए बिना झूठा प्रचार-प्रसार हो रहा है.करीब पांच महीने पहले बीजेपी से नाता तोड़ लेने वाले नीतीश कुमार की दलील है कि केंद्र सरकार ने चूंकि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया है, इसीलिये बिहार का तेजी से विकास नहीं हो पाया है.

वे इस बात पर भी अफसोस जता रहे हैं कि बिहार समेत अन्य गरीब राज्यों को विशेष दर्जा देने की लंबे समय से चली आ रही मांग को केंद्र सरकार ने स्वीकार नहीं किया है. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि केंद्र पिछड़े राज्यों की मदद नहीं कर रहा है. बिहार को विशेष दर्जे की मांग बहुत पुरानी है, लेकिन केंद्र ने इस मांग पर चुप्पी साध रखी है. अगर बिहार को यह दर्जा मिल जाता तो यहां और विकास होता लेकिन मैं अपने दम पर राज्य के विकास में लगा हुआ हूं, लेकिन नीतीश कुमार के पास शायद ही इसका कोई माकूल जवाब हो कि एक गरीब व पिछड़े राज्य की सरकार को प्लेन और हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए 350 करोड़ रुपये पानी में बहाने की आखिर ऐसी क्या मजबूरी है.

गौरतलब है कि पिछले दिनों ही नीतीश सरकार ने 1 विमान और 1 हेलिकॉप्टर खरीदने का निर्णय लिया है. राज्य सरकार के पास वीआईपी मूवमेंट के लिए फिलहाल 'किंग एयर सी-90 ए/बी' विमान और वीटी-ईबीजी हेलिकॉप्टर है.

बिहार कैबिनेट में लिए गए फैसले के मुताबिक 250 करोड़ का 12-सीटर जेट प्लेन और 100 करोड़ का 10-सीटर हेलिकॉप्टर खरीदा जाएगा. इन्हें राज्य में वीआईपी और वीवीआईपी आवाजाही के मकसद से खरीदा जा रहा है.लेकिन जानकार कहते हैं कि इसका मकसद मिशन-2024 से जुड़ा हुआ है, ताकि लोकसभा चुनाव के दौरान नीतीश को प्रचार के लिए देशव्यापी दौरा करने में कोई दिक्कत न हो, लेकिन इधर, आज यानी 7 जनवरी से नीतीश सरकार के एक फैसले ने बिहार की सियासत को और गरमा दिया है. 

वहां शनिवार से जाति आधारित जनगणना की शुरुआत हो चुकी है, जिसे लेकर मुख्य विपक्षी बीजेपी समेत नीतीश के चुनाव रणनीतिकार रह चुके प्रशांत किशोर ने भी तीखा ऐतराज जताया है. वैसे तो इस मसले पर राज्य और केंद्र सरकार कई बार आमने-सामने आ चुकी हैं और केंद्र द्वारा राज्य सरकार की मांग ठुकराने के बाद बिहार सरकार ने अब अपने खर्च पर ही इसे कराने का फैसला किया है. करीब 500 करोड़ के खर्च से इसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा. नीतीश कुमार का दावा है कि जाति आधारित जनगणना के नतीजों से विकास को तेज किया जा सकेगा लेकिन इसका पूरा मकसद राजनीतिक ही माना जा रहा है.

शायद यही वजह है कि जातीय जनगणना पर प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को घेरते हुए कहा कि ये तो समाज को जातीय गुट में बांटने की तैयारी है और जनता की आंख में धूल झोंकी जा रही है. आपको ये समझना चाहिए कि इस जनगणना के पीछे नीयत क्या है और जनगणना के बाद आप उसका करने क्या वाले हैं. इस जनगणना का कोई वैधानिक आधार नहीं है. नीतीश सरकार राजनीति करने के लिए जनगणना करवा रही है, जबकि जनगणना केंद्र का विषय है.

प्रशांत किशोर ने एक बुनियादी सवाल उठाते हुए नीतीश कुमार से पूछा है कि वे जरा ये बताएं कि इसका वैधानिक आधार क्या है और जनता का इससे क्या विकास होगा. अगर विकास करना है तो ये आंकड़ा समझ लें कि बिहार में 13 करोड़ लोग आज भी देश में सबसे पिछड़े हैं, उनका उत्थान होना चाहिए, लेकिन किसी लाइब्रेरी में बैठ जाने से ज्ञान नहीं हो जाता है उसको समझने के लिए वैसी समझ भी होनी चाहिए.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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