अपनी औकात से आखिर इतना बाहर क्यों आ रहा है पाकिस्तान?
पाकिस्तान अपनी औकात तो पहले भी दिखाता रहा है, लेकिन इस बार उसने भारत को लेकर सारी हदें पार कर दी हैं,जो माफ़ी के क़ाबिल तो कतई भी नहीं हैं. पाकिस्तान की दिवंगत प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो सियासत की जितनी नफ़ीस शख्सियत थीं. उतने ही बिगड़ैल व बड़बोले उनके बेटे बिलावल भुट्टो हैं, जो इस वक्त पाकिस्तान के विदेश मंत्री हैं. UN की महासभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बिलावल ने जिन लफ़्ज़ों का इस्तेमाल किया है,वह उनके सियासी नौसिखियेपन की ऐसी निशानी है जिसने पाकिस्तान को भी कटघरे में ला खड़ा किया है.
पाकिस्तान में इमरान खान की सत्तापलट होने के बाद पीएम बने नवाज़ शरीफ़ के छोटे भाई शहबाज़ शरीफ़ के दिये बयानों से ऐसा लग रहा था कि वे भारत से दोस्ती करने के लिए एक तरह से खैरात मांग रहे हैं. हालांकि, भारत की तरफ से उनके ऐसे किसी भी बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई. ये जानते हुए भी कि पीएम मोदी ने पाक के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के एक पारिवारिक समारोह में अचानक शामिल होकर सबको चौंका दिया था.
मोदी के उस फैसले को दोनों मुल्कों के बीच पनपी कड़वाहट को दूर करने की एक बेहतरीन कोशिश के रुप में देखा गया था. लेकिन पाक के नापाक इरादों से जुड़े आतंकी हमलों ने इसे अंजाम तक पहुंचने ही नहीं दिया और अब तो बिलावल भुट्टो के इन बेगैरत लफ़्ज़ों ने दोनों मुल्कों के बीच चली आ रही दुश्मनी की आग में ऐसा घी डालने का काम किया है, जिसे बुझा पाना लगभग नामुमकिन ही नजर आता है. बिलावल ने अंतराष्ट्रीय मंच से पीएम मोदी के लिए जिस भाषा का इस्तेमाल किया है, वो राजनीति में उनके बचकानेपन को तो साबित करता ही है लेकिन साथ ही ये भी दर्शाता है कि पाकिस्तान और आतंकवाद का चोली-दामन का साथ है, जो कभी छूट नहीं सकता.
बता दें कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने पीएम मोदी के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कहा था कि ओसामा बिन लादेन मर गया है, लेकिन गुजरात का कसाई अभी भी जीवित है.बिलावल का पूरा बयान ये था कि,"ओसामा बिन लादेन मर चुका है पर 'बुचर ऑफ़ गुजरात' ज़िंदा है. और वो भारत का प्रधानमंत्री है. जब तक वो प्रधानमंत्री नहीं बना था तब तक उसके अमेरिका आने पर पाबंदी थी." भुट्टो की ये टिप्पणी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की ओर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में आतंकवाद को समर्थन देने को लेकर पाकिस्तान पर तीखा हमला करने के बाद आई थी. सुरक्षा परिषद में बिलावल भुट्टो की ओर से कश्मीर का मुद्दा उठाने और भारत की स्थायी सदस्यता के दावे के विरोध करने के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उन पर जवाबी हमला किया है.
दरअसल, भारत ने एक दिसंबर को एक महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी अध्यक्षता ग्रहण की थी. इसके तहत आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ब्रीफिंग के बाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को लेकर एक चर्चा के दौरान ज़रदारी ने कश्मीर का सवाल उठाया. बिलावल भुट्टो के बयान को लेकर बीजेपी जबरदस्त तरीके से भड़क उठी है और पार्टी के कई नेताओं व कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को भी दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के पास प्रदर्शन किया. बीजेपी आज यानी शनिवार को बिलावल भुट्टो के बयान के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी. बीजेपी के प्रदेश मुख्यालयों पर बिलावल भुट्टो का पुतला फूंका जाएगा.
बिलावल भुट्टो का ये ऐसा बयान है, जिस पर भारत को बेहद तीखे तेवरों में अपना विरोध जताने पर मजबूर होना पड़ा है. विदेश मंत्रालय की तरफ से दिये गए आधिकारिक बयान में कहा गया कि "ये पाकिस्तान के लिए भी एक नया निम्न स्तर है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शायद 1971 के इस दिन को भूल गए, जो बंगालियों और हिंदुओं के खिलाफ पाकिस्तानी शासकों की ओर से किए गए नरसंहार का सीधा परिणाम था. पाकिस्तान को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है नहीं तो वह अलग-थलग ही बना रहेगा."
वहीं विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने भुट्टो के बयान के जवाब में कहा है कि, "आमतौर पर विदेश मंत्री ऐसी बात नहीं करते. ये वही हैं जिन्होंने बलूचिस्तान में लोगों को 'बुचर' किया है. जिन्होंने कश्मीर में लोगों को मारा है. ये पंजाब के भी बुचर हैं और कराची के भी." जहां तक आतंकवाद का संबंध है, पूरी दुनिया पाकिस्तान के रिकॉर्ड के बारे में जानती है. पाकिस्तान के आधे पढ़े-लिखे विदेश मंत्री के लिए यह बेहतर होता कि वह अपने देश के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लेते कि पाकिस्तान कितनी बार एफएटीएफ की सूची में रहा है. बिलावल भुट्टो के पूर्वजों ने दुनिया में आंतकवाद फैलाया है. इसीलिये दुनिया ने पाकिस्तान को पूरी तरह से आज अलग-थलग कर दिया है.
वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ये आज के दिन भारत से पाकिस्तान को बांग्लादेश में मिली हार की दर्द भी हो सकता है. बांग्लादेश में 16 दिसंबर 1971 को मिली हार के बाद उनकी (बिलावल भुट्टो की) दादी खूब रोई थीं. इसके बावजूद पाकिस्तान आतंकवादियों की हिफ़ाज़त करने की कोशिश करता है. जम्मू-कश्मीर या देश के अन्य हिस्सों में ये बात किसी से छिपी नहीं है.
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