लोकसभा चुनाव अभी दूर हैं लेकिन बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के ख़िलाफ़ जबरदस्त हल्ला बोल दिया है.दरअसल, बीजेपी ने मंगलवार को सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ नबन्ना मार्च यानी सचिवालय तक मार्च करने का आव्हान किया था लेकिन सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी थी.
बावजूद इसके बीजेपी कार्यकर्ताओं का हुजूम हर जरिये से यहां तक कि नावों के सहारे भी कोलकाता की सड़कों पर उतर आया. विधानसभा चुनाव में हुई हार के बाद ममता के खिलाफ इसे बीजेपी का सबसे बड़ा शक्ति-प्रदर्शन माना जा रहा है. इसलिये सियासी हलकों में एक सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या ममता की लोकप्रियता कम हो रही है और बीजेपी ने इस मार्च के जरिये अपने काडर में नई जान फूंकने की कोशिश की है?
बंगाल की राजनीति को करीब से समझने वाले जानकार मानते हैं कि मंगलवार को कोलकाता के हावड़ा ब्रिज़ पर प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस को जितनी मशक्कत करनी पड़ी है,वैसा नजारा सालों बाद देखने को मिला है. सरकार को उम्मीद नहीं थी कि बीजेपी महज दो दिन के आव्हान पर इतनी बड़ी भीड़ जुटा लेगी. कह सकते हैं कि बीजेपी ने इस मार्च के जरिये ममता को उन्हीं के अंदाज़ में जवाब देने की कोशिश की है. राज्य में वामपंथी सरकार के दौरान ममता बनर्जी की टीएमसी भी कुछ इसी अंदाज में सरकार के खिलाफ कोलकाता की सड़कों पर उतरा करती थी.
बता दें कि नबन्ना चलो अभियान के तहत बंगाल में जगह-जगह प्रदर्शन हुए हैं.कई जगह पार्टी कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच हिंसक झड़प भी हुई. कोलकाता में पुलिस की गाड़ी में आग लगा देने और हावड़ा में पुलिस पर पथराव होने के बाद कई स्थानों पर हालात बेकाबू हो गए. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को पानी की बौछार और आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े. इस मार्च को रोकने के लिये सचिवालय और उसके आसपास के पांच किलोमीटर के दायरे को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया.
बीजेपी के प्रदेश प्रमुख सुकांत मजूमदार ,बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी और सांसद लॉकेट चटर्जी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया.हिरासत में लिए जाने के बाद सुवेंदु ने कहा कि ये शांतिपूर्ण आंदोलन है.ये भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ हल्लाबोल है. बंगाल की जनता ममता जी के साथ नहीं है इसलिए वह बंगाल में उत्तर कोरिया की तरह तानाशाही कर रही हैं. वहीं मजूमदार ने कहा कि बीजेपी की ताकत देखकर सीएम डर गई हैं.आज तो यहां केवल 30% लोग ही जुटे हैं.
दरअसल,बीजेपी ने नबन्ना मार्च के लिए महानगर और हावड़ा में राज्य के विभिन्न हिस्सों से अपनी पार्टी के सदस्यों और समर्थकों को लाने के लिए कई ट्रेनें भी बुक की थी.इनमें तीन उत्तर बंगाल से और चार दक्षिण बंगाल से किराए पर ली गई थीं. बसों से भी बीजेपी कार्यकर्ता नबन्ना अभियान के लिए पहुंचने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया था. हालांकि इस मार्च को लेकर बीजेपी और टीएमसी नेताओं ने एक-दूसरे को दोषी ठहराते हुए हमले किये हैं.
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, "टीएमसी सरकार जनता के विद्रोह से डरी हुई है. अगर वे हमारे विरोध मार्च को रोकने की कोशिश भी करते हैं, तो भी हम शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करेंगे. किसी भी अप्रिय घटना के लिए राज्य प्रशासन जिम्मेदार होगा."वहीं बीजेपी नेता राहुल सिन्हा ने ममता बनर्जी सरकार पर "लोकतांत्रिक विरोध" को जबरन रोकने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ममता ने कई स्थानों पर बीजेपी के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज भी करवाया.
लेकिन तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता जॉय प्रकाश मजूमदार ने इन आरोपों को झुठलाते हुए कहा कि बीजेपी अपनी ''संकीर्ण, पक्षपातपूर्ण राजनीति'' के लिए शहर में अशांति पैदा करने की कोशिश कर रही है. "हम लोगों से उनके जाल में नहीं फंसने का आग्रह करते हैं."
ट्विटर पर बीजेपी के मार्च का एक वीडियो शेयर करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने लिखा, ''सरकारी संपत्ति को नष्ट करना और नुक़सान पहुंचाना, पुलिसकर्मियों पर हमला करना, अराजकता पैदा करना और राज्य भर में शांति भंग करना -ये हैं, बीजेपी की आज की गतिविधियां जिसने पूरे देश को शर्मसार कर दिया.'' ''हम इस तरह के अपमानजनक व्यवहार की कड़ी निंदा करते हैं!''
इसके जवाब में सुवेंदु अधिकारी ने अपने ट्वीट में सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए लिखा, “ममता पुलिस ने युद्धस्तर पर तैयारी की है और एक लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रदर्शन को कुचलने की कोशिश कर रही है. संतरागाछी में स्टील की बैरिकेड उनकी चिंता और कायरता का प्रतीक है. यह याद रखें ममता बनर्जी, ‘लोकतंत्र की लहर’ के आगे कोई दीवार खड़ी नहीं हो सकती, यह जल्द से जल्द टूट जाएगी.
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आज के इस प्रदर्शन से बीजेपी ने अपनी ताकत दिखाते हुए ममता को ये अहसास कराया है कि वह लोकसभा चुनाव तक उन्हें चैन से बैठने नहीं देगी क्योंकि बीजेपी का मकसद लोकसभा की उन अधिकांश सीटों पर कब्जा करना है,जो फिलहाल टीएमसी के पास है.
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