बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर सबसे पहले देशवासियों को बधाई. उन्होंने अपने लिए कुछ नहीं किया, बल्कि बाब साहेब ने देश की एकता, अखंडता और वंचितों-शोषितों के लिए अवसरों की समानता और समृद्धि के लिए संघर्ष किया. उन्होंने जो वंचितों और शोषितों के लिए काम किया, वह भी सकारात्मक और अहिंसात्मक आंदोलन था. वह किसी जाति और धर्म के खिलाफ नहीं था. संविधान लिखने के समय उनके व्यक्तित्व और कृतित्व का प्रकाश देखने को मिलता है. संविधान में महिलाओं और श्रमिकों के अधिकारों का संरक्षण है, संविधान के कानून जाति और धर्म से ऊपर हैं, गरीबों और वंचितों के संरक्षण है. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस साल स्थापना दिवस यानी 6 अप्रैल से बाबा साहेब की जयंती यानी 14 अप्रैल तक ‘सामाजिक न्याय सप्ताह’ मनाने का निर्णय किया है, जिसका आज अंतिम दिन है. इस सप्ताह में अलग-अलग मोर्चों को वृक्षारोपण, गरीबों का हेल्थ चेकअप, महिलाओं का सहभोज आदि शामिल है.
भाजपा का पथ अंत्योदय का है
देश में अंबेडकर जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषित किया और यह सामाजिक समरसता दिवस के तौर पर मनाया जाता है. भाजपा का पथ अंत्योदय का है, जो पंडित दीनदयाल ने दिया था. भाजपा और पीएम मोदी उसी राह पर चल रहे हैं. किसी भी राजनीतिक दल ने यह काम नहीं किया था. भाजपा ने संविधान की समुचित भावना के साथ गरीबों का कल्याण किया है और विकास भी आसमान छू रहा है. इसलिए, वह अनाप-शनाप बोलते हैं कि भाजपा संविधान के खिलाफ काम कर रही है. मोदीजी का सामना कैसे करें, तो विपक्ष ने अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को यह कहकर भड़काना शुरू किया कि भाजपा संविधान को खत्म कर देगी.
मैं दो उदाहरण देता हूं. शेख अब्दुल्ला बाबा साहेब अंबेडकर के पास गए और कहा कि अनुच्छेद 370 लागू होने दें. बाबा साहेब इसके विरोधी थे और उन्हीं की भावना के अनुसार ही मोदीजी ने इस अनुच्छेद 370 को निरस्त किया. उस 370 की वजह से एससी-एसटी के लोगों को नौकरी में आरक्षण नहीं था, विधानसभा में नहीं था. 370 के निरस्त होने के बाद ही वहां आरक्षण मिलने लगा है. इससे सिद्ध है कि संविधान की रक्षा नरेंद्र मोदी और भाजपा ने की है, कांग्रेस ने नुकसान पहुंचाया है.
1975 में बेवजह, केवल अपनी कुर्सी के लिए आपातकाल लगाया. भारत की जनता ने उस तानाशाही के खिलाफ संघर्ष कर लोकतंत्र की बहाली की. ये दोनों उदाहरण बताते हैं कि कांग्रेस ने संविधान के खिलाफ काम किया है, उसकी भावना को नुकसान पहुंचाया है.
कांग्रेस ने बाबा साहेब को चुनाव हरवाने का पाप किया
संविधान निर्माता बाबासाहेब अंबेडकर को 1952 और 1954 में चुनाव हरवाने का पाप कांग्रेस ने किया. उनका एक भी स्मारक नहीं बनवाया. बीजेपी ने पांच राष्ट्रीय स्मारक बनवाए. कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष ने भारत रत्न के लिए बाबसाहेब का नाम प्रस्तावित नहीं किया. वीपीसिंह सरकार में हम बड़ी पार्टी होकर भी बाहर से समर्थन दे रहे थे, तो उसी समय बाबासाहेब को भारत-रत्न मिला. सेंट्रल हॉल में तैलचित्र कांग्रेस ने कभी नहीं लगवाया. अटल-आडवाणी जी के प्रयास से वह लगा. हिंदुस्तान में संविधान तो था, लेकिन कांस्टीट्यूशन डे नहीं था. बीजेपी ने यह काम किया. यह कांग्रेस चाहती तो सारे काम कर सकती थी. कांग्रेस अंबेडकर विरोधी है, संविधान विरोधी है और गरीब विरोधी है.
भाजपा हरेक महापुरुष के प्रति श्रद्धा रखती है
हमारी पार्टी देश के लिए काम करनेवाले हरेक महापुरुष के लिए श्रद्धा और सम्मान रखती है, उनमें पार्टीगत विभेद नहीं करती. इसे कांग्रेस को-ऑप्ट करना कहती है. सरदार पटेल के नाम से कांग्रेस को बड़े निर्णय करने चाहिए थे, बड़े कार्यक्रम चलाने चाहिए थे. उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि एक परिवार के सामने सरदार पटेल का नाम दिखे.
बाबासाहेब अंबेडकर का सम्मान कांग्रेस ने नहीं किया. वो अपने परिवार से ही अलग नहीं हो पाए. जो भी देश के लिए काम करनेवाले थे, चाहे सरदार पटेल हों या बाबासाहेब हों, उनकी पुण्यतिथि या जयंती पर दो फूल चढ़ाकर इतिश्री कर ली. किसी एयरपोर्ट, भवन या योजना का नाम उनके नाम पर कांग्रेस ने नहीं रखा. इसका मतलब है कि कांग्रेस दकियानूसी है, अंबेडकर और सरदार पटेल विरोधी है.
भाजपा के रहते आरक्षण को खरोंच भी नहीं लगेगी
ये हम पर आरक्षण विरोधी होने का भी आरोप लगाते हैं. बीजेपी के पार्टी-संविधान में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण है. राज्यसभा में कोई आरक्षण नहीं होता, लेकिन भाजपा राज्यसभा में सदस्य बनाती है या नहीं. 12 एससी मिनिस्टर पहली बार भाजपा सरकार में बने कि नहीं बने, 4 गवर्नर बने कि नहीं बने?
मोदीजी कह चुके हैं कि उनके रहते आरक्षण को खरोंच भी नहीं आएगी. इससे बड़ा निर्णय कौन दे सकता है. कांग्रेस तो 88 संविधान-संशोधन करती है, तो संविधान का नुकसान नहीं होता. भाजपा ने केवल 11 संशोधन किए, उसमें 9 संशोधन अनुसूचित जाति के सम्मान और कल्याण के लिए किए हैं. भाजपा एकमात्र पार्टी है जो शोषितों-पीड़ितों के सम्मान के लिए और संविधान की रक्षा के लिए काम कर रही है.
[ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है]