दिल्ली में जल्द ही नगर निगम के चुनाव होने हैं लेकिन उससे पहले राजधानी के सांप्रदायिक माहौल को सुनियोजित तरीके से गरमाने की कोशिश हो रही है. पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी के सांसद प्रवेश वर्मा ने मुसलमानों के बहिष्कार करने का विवादित बयान देकर अपनी तरफ से बेशक सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश की है लेकिन इसे एक विशेष समुदाय से नफ़रत करने के लिए लोगों को भड़काने वाला ही माना जायेगा, जिस पर क़ानून के मुताबिक कार्रवाई होनी चाहिये. हालांकि दो दिन बीत जाने के बाद भी दिल्ली पुलिस ने सांसद के इस बयान पर कोई संज्ञान नहीं लिया है. बीजेपी की तरफ से भी इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया न दिए जाने से सवाल उठ रहा है कि उनके इस विवादित बयान को क्या पार्टी की भी मौन स्वीकृति है?
लेकिन इस तरह की राजनीति देश की राजधानी को एक खतरनाक स्थिति की तरफ ले जा सकती है. साल 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक दिल्ली में करीब 13 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है. अब जरा सोचिए कि सांसद महोदय की सलाह पर हिंदुओं ने मुसलमानों की दुकानों-रेहड़ियों से सामान खरीदना बंद कर दिया औऱ मुस्लिम कारीगरों-मजदूरों को काम देना भी छोड़ दिया, तब दिल्ली के सामाजिक ताने-बाने का क्या होगा? शाहजाहनाबाद कहलाने वाली पुरानी दिल्ली के गली-कूचों-कटरों-कटरों में गंगा-जमुनी तहजीब आज भी जिंदा है.
हिंदू शादियों में महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले महंगे से महंगे लहंगे बिकते भले ही बड़ी दुकानों/ स्टोरों पर हों लेकिन उसे तैयार करने वाले सारे कारीगर मुस्लिम ही हैं. पुरानी दिल्ली के तमाम हिंदू व्यापारियों का सारा कारोबार ही मुस्लिम कारीगरों के भरोसे पर ही चल रहा है. बाजार में शायद ही ऐसा कोई सामान देखने को मिलेगी जिसे बनाने में किसी मुस्लिम कारीगर का योगदान न हो.
लिहाजा, बीजेपी सांसद ने मुस्लिमों के आर्थिक बहिष्कार का खुले आम एलान करने से पहले ये जरा भी नहीं सोचा कि इसकी प्रतिक्रिया में अगर मुस्लिमों ने भी ऐसा ही कुछ कर दिया, तब राजधानी के कारोबार का क्या होगा? दरअसल, बीते रविवार को दिल्ली के सुंदरी नगर में विश्व हिंदू परिषद द्वारा विराट हिंदू सभा का आयोजन किया गया था. जिसमें बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा भी पहुंचे थे जहां पर उन्होंने एक हिंदू युवक की हत्या के विरोध में मंच से तमाम लोगों को संबोधित किया.
उन्होंने हिंदू युवक की हत्या के लिए विशेष समुदाय को आरोपी ठहराया और मंच से खड़े होकर उस समुदाय के बहिष्कार की बात कही. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि प्रवेश वर्मा तमाम लोगों को संबोधित करते हुए कह रहे हैं कि इन लोगों को ठीक करना है, इनका दिमाग ठीक करना है तो इसका केवल एक ही इलाज है कि इनका संपूर्ण बहिष्कार किया जाए. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इन लोगों की दुकानों, रेहड़ियों से सामान ना खरीदें, इनको कोई भी मजदूरी ना दी जाए. बीजेपी सांसद द्वारा दिया गया यह विवादित बयान लगातार वायरल हो रहा है.
बीजेपी सांसद के इस बयान पर एआईएमआईएम के चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर बीजेपी पर हमला बोला है. ओवैसी ने कहा- भाजपा-RSS का सांसद देश की राजधानी में, खुली सभा में मुसलमानों का बहिष्कार करने की शपथ ले रहा है. आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवतने कहा था कि मुसलमानों में झूठा डर फैलाया जा रहा है, तो आखिर ये क्या है?
ओवैसी ने आगे कहा- सच तो यही है कि बीजेपी ने मुसलमानों के खिलाफ जंग का आगाज कर दिया है. दिल्ली के CM और अमित शाह ने चुप्पी साध ली है. अगर देश की राजधानी में सत्ताधारी पार्टी के सांसद ऐसा कर सकता है तो फिर संविधान की वैल्यू क्या है?
ओवैसी का कहना था कि 'भाजपा के पास हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव पैदा करने के अलावा कुछ भी दिखाने के लिए नहीं है. बीजेपी सांसद के बयान पर फिल्ममेकर विनोद कापड़ी ने भी सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री से सवाल किया कि "अपने सांसद की खुलेआम नफरत को आप की सहमति है नरेंद्र मोदी? " सोशल मीडिया पर सामने आए इस वीडियो पर लोग कई तरह के सवाल कर रहें हैं. सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि इस तरह का बयान देने वालों के खिलाफ क्या कोई कार्रवाई होगी?
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