दुनिया के ताकतवर लड़ाकू विमान राफेल पर 40 मिनट की सवारी को शब्दों में बयां करना मुश्किल
सबसे पहले तो ये मैं ये बताना चाहूंगा कि मैं भारत में एक बड़े एयरलाइंस में कप्तान भी हूं, और शायद दुनिया में अकेला सांसद हूं जो एक वाणिज्यिक विमान में कप्तान के रूप में जो भारत में आज सबसे बड़ी एयरलाइंस है उसमें काम कर रहा हूं.. तो मुझे हवाई जहाज उड़ाने का अनुभव है. लेकिन बीच-बीच में जब भी मुझे मौका मिलता है और थोड़ी अनुमति लेकर के और ऐसे आयोजनों में जहां सिविलयंस को मौका मिल सकता है लड़ाकू विमानों को उड़ाने का तो मैंने पिछली बार भी जब राफेल इंटेक्ट नहीं हुआ था भारत में उस समय भी मैंने उड़ाया था. लेकिन उस समय फ्रेंच पायलेट्स थे. लेकिन इस बार भारतीय सेना के अपने कमांडर्स थे, अपने ग्रुप कैप्टन थे जिन्होंने उड़ाया.
प्रशिक्षित बेड़ा जो दो है. एक अंबाला में राफेल का स्क्वाड्रन है और एक ईस्टर्न इंडिया में कहीं है तो उसमें से कुछ विमान एयरो शो में या आधुनिक विमान पांचवीं पीढ़ी जो वॉरफेयर का सबसे आधुनिक विमान है वो बेंगलुरु एयर शो में आए जिनका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसका उद्घाटन किया था. मैंने अनुमति के आधार पर चूंकि उसकी प्रक्रिया बहुत लंबी होती है और जी-सूट पहनना पड़ता है. सामान्य वाणिज्यिक सेवाओं में जी-सूट नहीं पहनना पड़ता है. चूंकि आप धरती के गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ जाते हैं इसलिए सूट पहनना आवश्यक है. क्योंकि आसमान में करतब करने के दौरान आप 360 डिग्री से उलटते हैं या रोल करते हैं इसके लिए जी-सूट की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि अगर खून का संचार शरीर में न हो तो बिल्कुल ब्लैकआउट होने की संभावना रहत है. कई सारे शायद 22 हजार फीट तक बेंगलुरु एयर फील्ड का नियंत्रण है और वहां ये सब बहुत नियंत्रण में होता है.
2 हजार किलोमीटर तक जा सकता है
इंस्ट्रक्टर उड़ान भरने के बाद अगर आपका अनुभव अच्छा हो और आप में कंट्रोल हो तो वे आपको कंट्रोल सौंप देते हैं. और इसके बाद जो भी करतब हो और ये विमान इतना ताकतवर है और इसका इंजन इतना पावरफुल है, इसकी स्पीड इतनी ज्यादा है कि लगभग 1800 से 2000 किलोमीटर तक ये जा सकता है.
इसकी मारक क्षमता अद्भुत है और कई सारे ऐसे फिचर्स हैं कि शायद बाकी के विमानों में नहीं है. उदाहरण के तौर पर इस बार हम लोगों ने तय किया 500 फीट की ऊंचाई तक ऑटो पायलट के मोड पर जाएंगे और इसके बाद सामने पहाड़ की तरफ बढ़ेंगे. जहाज अपने आप बिना किसी दिक्कत का वो अपने आप पहाड़ की ऊंचाई तक चढ़ जाता है.
ये इसलिए है कि जब लड़ाई के दौरान जो अपने फाइटर्स पायलट होते है वो अपने शत्रु को टारगेट करते हैं और उस समय जहाज किधर जा रहा है, कैसे जा रहा है वे एक स्थान पर छोड़ करके अपना टारगेट करते हैं. अगर किसी ने पीछे से भी राफेल पर टारगेट किया तो इसके फ्लेयर्स और मिसाइल निकलते हैं. इसको ऐसे बताया जाए कि भारतीय वायुसेना और देश के प्रधानमंत्री जी का ये निर्णय कि राफेल को इंडक्ट किया जाए तो मुझे लगता है कि देश के वायु सेना के मारक क्षमता में सबसे उत्तम है.
राफेल खरीदने का बिल्कुल सही था फैसला
चूंकि आज मैनें वहां देखा कि पहली बार अमेरिका अपने एफ-35 लड़ाकू विमान लेकर आया जो कहीं नहीं दिखाता है और नहीं किसी को आने देता है. तो शायद यह चुनौती उन लोगों के लिए भी है कि भारत ने अपने पास राफेल रखा है और राफेल का मेक इन इंडिया कार्यक्रम और भी कई सारी चीजों का यहां निर्माण किया जाए. तो एक अनुभव की बात जहां तक है तो उस 40 मिनट के अनुभव को शब्दों में नहीं बयान किया जा सकता है.
खासकर के एक सिविलियन पायलट के लिए जो लड़ाकू विमान जाता है तो उसके लिए तो अनुभव चाहे टैंक हो, रोल हो, डाइव हो, रिकवरी हो, स्पीड में आना मतलब इसे किस तरह मैं आपको बताऊं लेकिन वो आसमान में एक ऐसा खिलौना है, जादूई मशीन है जो सामान्य सभी प्रिंसिपल्स को चैलेंज कर सकता है क्योंकि उसमें इतना पावर है, डबल इंजन है, उसके अंदर जो एयर कंडीशनिंग है क्योंकि सांस तो ऑक्सीजन पर होगा कि कितनी ऊचांई पर जाने पर सांस की आवश्यकता है और उसका जो जी सूट है और उसका जो ऑक्सीजन प्रेशराईजेशन है. और जिस प्रकार से उसमें सेफ्टी का है, इजेक्शन का है बहुत ही बढ़िया है.
ऐसा माना जाता है कि देश में और दुनिया में इंजेक्शन की जो व्यवस्था उसमें की गई है कि अगर पायलट दुर्घटनाग्रस्त हो जाए या फिर ऐसी स्थिति हो जाए जिसमें विमान से कूद कर बाहर निकलना हो तो उसकी भी क्षमता बहुत है. तो अपने आप देश के प्रधानमंत्री का निर्णय बेहतरी है. देश की ताकत में अभूतपूर्व वृद्धि और राफेल से साथ आज भारत पूरी दुनिया में खड़ा है. मैं यही कहूंगा कि ये निर्णय सही समय पर भारत की ताकत को दर्शाता है और इसका श्रेय पूरी तरह से देश के प्रधानमंत्री को जाता है.
कई लड़ाकू विमान उड़ाने का अनुभव
मैंने कई सारे पहले एक विदेशी ग्रिपेन सिंगल इंजन वाला, मिग्स और सुखोई उड़ाया है और जितना भारत में जो उपलब्ध था मैं करना चाहता हूं. हालांकि, सामान्य रूप से ये करतब लोग इस उम्र में नहीं करना चाहते हैं और मैं सिर्फ पैसेंजर के रूप में नहीं उड़ता हूं. जब मैं प्रवेश करता हूं अनुमति के साथ निर्देशक से साथ, इंस्ट्रक्टर के कंट्रोल में हर करतब करता हूं जो एक लड़ाकू विमान में उड़ने वाला व्यक्ति करता है. देखिये, चीन के पास भी कुछ ऐसे विमान हैं लेकिन बात सिर्फ कुशलता जहाज की नहीं है कुछ कुशलता जहाज उड़ाने वालों की भी है.
हमारे जो भारतीय वायु सेना के नौजवान, ग्रुप कैप्टन, एयर कमोडोज, फ्लाइट लेफ्टिनेंट, विंग कमांडर ये सब हमारे अद्भुत नौजवान हैं. स्मार्ट, इंटेलिजेंट, इफिसिएंट और ब्रेव और ये सब ऐसे हैं कि इनके सामने कोई टिकने वाला नहीं है. फिर चाहे चीन हो या कोई भी दुश्मन हो वो चाहे पाकिस्तान हो. हमारे लड़ाकू पायलेट्स अद्भुत ही हैं वे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हैं. इसलिए उनके बारे में कुछ सोचना और कहना भी कम होगा हमारे शब्दों में.