1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद हम पहले लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर सिमट गए थे. आज हम 303 सीटों पर है. हालांकि, हमारी यात्रा का यह अंत नहीं है, पड़ाव है मात्र. इसका अंत तभी है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भी कहा. जब तक हम समाज के अंतिम पायदान पर पहुंचे अंतिम व्यक्ति तक खुशहाली न पहुंचा दें, यह यात्रा अधूरी है. हम समय-समय पर सेवाकार्य इसलिए करते रहते हैं. इसलिए, अभी आज से लेकर 14 तारीख तक जो बाबासाहेब भीमराव की जन्मजयंती है. ये पूरा सप्ताह हम सेवाकार्य करेंगे. सितंबर में हमारा सेवा-पखवाड़ा चलता है. इसी तरह हम लगातार सेवाकार्य करते हैं. हमारा मानना है कि हरेक व्यक्ति तक जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचे. 


2 से 303 सीटें बड़ी उपलब्धि


आप देखिए. यह हमारी बड़ी उपलब्धि है. 1980 में 2 सीटों से आज हम 303 सीटों तक अकेले अपने दम पर पहुंचे हैं. हालांकि, हम गठबंधन धर्म को निभाते हैं, इसलिए हमने अपने साथ सभी सहयोगी दलों को साथ लेकर चल रहे हैं. यह पहली बार हुआ है कि देश को और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हमने बताया कि गैर-कांग्रेसी सरकार भी चल सकती है, काम कर सकती है और यह एक वैकल्पिक मॉडल है. 1999 के पहले सारी गैर-कांग्रेसी सरकारें कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती थीं. हमने जनता को कन्विन्स किया कि गैर-कांग्रेसी सरकारें भी चल सकती हैं, एक विकल्प हमने दिया. 


हम निरंतर काम करते हैं


अंग्रेजी में कहें तो हम लॉरेल्स पर फूल कर बैठ नहीं जाते हैं. हम लगातार काम करते हैं. जो हमारे प्रधानमंत्री का नारा है, हम उसके लिए काम करते हैं. उसके साथ ही हमारे माननीय अध्यक्ष जेपी नड्डा या माननीय गृहमंत्री अमित शाह हों, वे हमें लगातार प्रेरित करते हैं कि हम जनता के लिए काम करते रहें. 
ओआईसी का तो नाम ही सब कुछ बता देता है


स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में माननीय प्रधानमंत्री जी ने सामाजिक न्याय की परिभाषा दी. उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय केवल नारा नहीं है, वह परिवारवाद, जातिवाद नहीं है. कोई भी सामाजिक कल्याण की योजना जैसे जन-धन योजना हो या आयुष्मान भारत योजना हो, वह किसी समुदाय के लिए नहीं है. वह किसी को अलग नहीं करता है. ये जो ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज हैं, इनका तो अब्रिविएशन (कूट अक्षर) ही बताता है कि उनके इंटरेस्ट क्या हैं, हम उनसे उम्मीद नहीं करते कि भारत के अच्छे कामों को वो अप्रिशिएट करें. उनका एजेंडा कुछ और है, हम उनके मुताबिक काम करेंगे. हमारा काम है जनकल्याण की सेवा करना. 


हम बिहार को बचाने फिर नीतीश जी के साथ आए


2005 से पहले राज्य में राजद की सरकार थी. उस समय अपहरण एक उद्योग बन गया. सारे डॉक्टर, विद्यार्थी वगैरह सभी पलायन करने लगे. हम और नीतीश जी 2005 में साथ आए और हमने एक अच्छा राज दिया. 2010 में इसीलिए जनता ने हमें जमकर वोट दिया और हम पूर्ण बहुमत के साथ वापस सत्ता में आए. आपको पता है कि 2010 के बाद नीतीश जी की महत्वाकांक्षा जागी कि वह भी प्रधानमंत्री बन सकते हैं. अपने इस नेकेड एंबिशन के लिए उन्होंने बिहार के कल्याण को पीछे रख दिया, प्रशासन को बैक सीट पर रख दिया. आप ये भी जानते हैं कि 2014 में वे अकेले लड़े और उनका हश्र क्या हुआ? वह दो सीटों पर सिमट गए थे. हमें 21 सीटें मिलीं. फिर उन्होंने उन्हीं लालूजी के साथ 2015 में हाथ मिलाया, जिनकी आलोचना में वो पता नहीं क्या-क्या कहते थे. हालांकि, हमारा प्रदर्शन बुरा नहीं था, हमें डेढ़ करोड़ के आसपास वोट मिले थे. 


नीतीश के लिए सारे दरवाजे बंद हैं


हम तो 2015 में विपक्ष में बैठे थे. हम बिहार की दुर्दशा देख रहे थे. उस समय कई भ्रष्टाचार के मामले सामने आए थे. नीतीश अपनी छवि को लेकर बहुत सचेष्ट हैं. इसलिए उन्होंने फिर 2017 में हमसे मदद मांगी. हम तो इसलिए उनके साथ आए कि हम बिहार का कल्याण चाहते थे. हमसे गलती हुई, लेकिन यह बिहार की जनता के लिए की गयी गलती थी कि हमने नीतीश कुमार पर भरोसा किया. हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष और माननीय गृहमंत्री ने तो पब्लिकली घोषण कर दी है कि अब नीतीश जी के लिए सारे दरवाजे बंद हैं. 


हम कांग्रेस की नकल नही कर सकते हैं


आपने रामनवमी के बाद हुए दंगों और उसके बाद की बातों पर सवाल किया तो मैं बता दूं कि हम एक क्वासी-फेडरल स्टेट हैं. हमारी जो केंद्र की सरकार है, उसका लॉ एंड ऑर्डर में कोई दखल नहीं होता. गवर्नर केंद्र के प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं, हम उनसे रिपोर्ट मंगवाते हैं. ये संवैधानिक ढांचा है, जिसके बाहर हम नहीं जा सकते. हालात जैसे होते हैं, हम उनको अलर्ट करते हैं. जो कांग्रेस के समय होता था कि एट अ ड्रॉप ऑफ हैट, एक जो चुनी हुई सरकार है, उसे हटा दिया जाता था. क्या आप ऐसा फिर से चाहते हैं? 


हम सत्ता के लिए चुनाव नहीं लड़ते


बिहार का हरेक कार्यकर्ता उत्साह में है. हम आपको बता दें कि चुनाव आते हैं, हम उनकी तैयारी करते हैं, लेकिन सत्ता हमारा ध्येय नहीं है. हम नहीं मानते हैं कि चुनाव से हमें ऐसा कुछ प्राप्त हो जाएगा, जो अभूतपूर्व हो. हम तो सेवा के लिए सत्ता चाहते हैं या राजनीति करते हैं. बिहार के हरेक मनुष्य का कल्याण ही हमारा ध्येय है.  जहां तक जातीय जनगणना का सवाल है, तो बिहार सरकार का हमने इसमें समर्थन किया है. हां, उसका स्वरूप कैसा होगा, ये जरूर गौर करने की बात है.


[ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है.]