BJP President JP Nadda: जेपी नड्डा पर भरोसा जताते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उनका कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव तक बढ़ा दिया है. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ये फैसला लिया गया. साल 2019 में बड़ी जीत दर्ज करने के कुछ महीने बाद बीजेपी ने अमित शाह की जगह 2020 में जेपी नड्डा को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था, जिसके बाद से बीजेपी ने तमाम राज्यों में शानदार प्रदर्शन किया है. अब अगर नड्डा 2024 के चुनाव में भी अपना जलवा दिखाते हैं और जमीनी स्तर पर पार्टी को बड़ा फायदा पहुंचाते हैं तो इसका उन्हें उतना ही बड़ा इनाम भी मिल सकता है. आमतौर पर बीजेपी में यही देखा गया है कि जिस अध्यक्ष के नेतृत्व में पार्टी ने जीत दर्ज की है, उसे गृहमंत्री की कुर्सी मिली है. 


हालांकि अमित शाह की मौजूदगी जेपी नड्डा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती हैं और वो बीजेपी के अगले कुशाभाऊ ठाकरे हो सकते हैं. जो बीजेपी के एकमात्र ऐसे अध्यक्ष थे, जिन्हें लोकसभा चुनाव में जीत के बाद गृहमंत्री नहीं बनाया गया. सबसे पहले बात करते हैं कि कब-कब बीजेपी ने जीत का तोहफा अध्यक्ष को दिया और कैसे उसके बाद ये सिलसिला लगातार जारी रहा. 


बीजेपी का शुरुआती दौर 
साल 1980 में जनता पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टी में हो गया और उसके बाद से ही लगातार बीजेपी एक बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर उभरती रही. हालांकि इसके बाद बीजेपी के लिए कुछ साल अच्छे नहीं रहे. साल 1984 में पार्टी को महज दो सीटें मिलीं. इसके बाद बीजेपी ने 1989 में 85 सीटों के साथ खुद को आगे बढ़ाने का काम किया. इस दौरान पार्टी ने वीपी सिंह के नेशनल फ्रंट को समर्थन दिया था. इसके बाद 1991 में फिर से चुनाव हुए और बीजेपी को 120 सीटों पर जीत मिली. 


ये वो दौर था जब धीरे-धीरे बीजेपी अपना वजूद हासिल कर रही थी और एक बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर देश में उभर रही थी. 1996 में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और 161 सीटें जीतीं, हालांकि वाजपेयी सरकार कुछ ही दिनों में गिर गई. इसके बाद जब 1998 में मिड टर्म इलेक्शन हुए तो बीजेपी ने और बड़ी जीत दर्ज की और कुल 182 सीटों पर कब्जा किया. एक साल तक वाजपेयी के नेतृत्व में ये सरकार चली. इस दौरान लालकृष्ण आडवाणी को गृहमंत्री का पद दिया गया जो पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष का कामकाज संभाल रहे थे. 


अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे को सरकार में नहीं मिली जगह
आडवाणी के गृहमंत्री बनते ही पार्टी अध्यक्ष का पद कुशाभाऊ ठाकरे को मिला. करीब एक साल बाद 1999 में फिर आम चुनाव हुए और एनडीए ने रिकॉर्ड 303 सीटों पर जीत दर्ज की. बीजेपी को 182 सीटें मिलीं. इस दौरान ठाकरे ही पार्टी अध्यक्ष थे, लेकिन उन्हें सरकार में नहीं लाया गया. साल 2002 तक कुशाभाऊ ने पार्टी अध्यक्ष का पद संभाला और इसके बाद भी उन्हें कोई बड़ा मंत्रालय नहीं दिया गया. 1999 में सरकार बनने के बाद भी आडवाणी को ही गृहमंत्रालय दिया गया. उनके जोशीले भाषण और हिंदुत्व की राजनीति का इस जीत में बड़ा योगदान माना गया. जिसका इनाम उन्हें मिला, इसके अलावा साल 2002 से लेकर 2004 तक वो उप प्रधानमंत्री भी रहे. 


लगातार दो चुनावों में मिली हार
सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी को 2004 में बड़ा झटका लगा और यूपीए ने उसे मात दे दी. इस चुनाव में बीजेपी को महज 138 सीटें मिलीं और मुख्य विपक्षी दल के तौर पर पार्टी ने काम किया. 2005 से लेकर 2009 तक राजनाथ सिंह पार्टी के अध्यक्ष रहे. पांच साल बाद 2009 में फिर लोकसभा चुनाव हुए, लेकिन बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर होने की बजाय और गिर गया. पार्टी को इस चुनाव में महज 116 सीटें मिल पाईं. 


साल 2009 से 2013 तक नितिन गडकरी ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर काम किया, लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजनाथ सिंह को फिर से अध्यक्ष चुन लिया गया. इस दौरान नरेंद्र मोदी की लहर पूरे देशभर में फैलनी शुरू हो चुकी थी. अच्छे दिनों का नारा बुलंद करते हुए पार्टी ने जोशीले अंदाज में चुनाव लड़ा. नतीजा ये रहा कि 2014 में बीजेपी ने रिकॉर्ड जीत दर्ज करते हुए बहुमत हासिल किया और सरकार बनाई. एनडीए को कुल 336 सीटें मिलीं और अकेले बीजेपी ने 282 सीटों पर कब्जा किया. इसके बाद अध्यक्ष का पद संभाल रहे राजनाथ सिंह को गृहमंत्री बना दिया गया और अमित शाह को बीजेपी अध्यक्ष बना दिया गया.


अमित शाह बनाए गए गृहमंत्री
अब पांच साल तक काम करने के बाद पार्टी 2019 में एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरी. इस बार नारा दिया गया- "फिर एक बार, मोदी सरकार"... चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर सभी को चौंका दिया. बीजेपी ने इस बार अकेले 303 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया. नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के तौर पर अपना दूसरा कार्यकाल संभाला. इसके बाद अमित शाह के साथ भी परंपरा के मुताबिक वही हुआ और उन्हें देश का गृहमंत्री बना दिया गया. राजनाथ सिंह को रक्षामंत्री का पद दिया गया. 


जेपी नड्डा के हाथों में बीजेपी की कमान
अमित शाह के बाद जगत प्रकाश नड्डा (जेपी नड्डा) के हाथों में बीजेपी की कमान दी गई. साल 2020 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. जिसके बाद अब उनका कार्यकाल खत्म होने जा रहा था, लेकिन बीजेपी ने उन्हें एक साल का एक्सटेंशन दे दिया. यानी साल 2024 का लोकसभा चुनाव बीजेपी जेपी नड्डा के नेतृत्व में ही लड़ने जा रही है. नड्डा का कार्यकाल बढ़ाए जाने के बाद अमित शाह ने भी एलान कर दिया कि बीजेपी नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में 2019 से भी बड़े जनादेश के साथ चुनाव जीतने वाली है.   


अब बीजेपी अगर वाकई में 2019 की तरह आने वाले लोकसभा चुनाव में भी शानदार प्रदर्शन करती है तो ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि जेपी नड्डा को आगे क्या जिम्मेदारी दी जाती है. सवाल है कि क्या बीजेपी परंपरा के मुताबिक नड्डा को उनकी मेहनत का बड़ा इनाम देगी, या फिर अमित शाह की मौजूदगी के चलते नड्डा भी बीजेपी के अगले कुशाभाऊ ठाकरे साबित होंगे.