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असम के बाद पहली बार कर्नाटक में BJP का CAA-NRC लागू करने का वादा, क्या है इसके पीछे रणनीति?

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग 10 मई को होनी है. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ने अपने चुनावी घोषणापत्रों को जारी कर दिया. कांग्रेस ने जहां लोगों को फ्री बिजली और बेरोजगारों भत्ता देने समेत कई लोक लुभावने ऐलान किए तो वहीं, भाजपा ने राज्य में NRC और CAA कानून को लागू करने का वादा किया गया है. भाजपा ने कहा कि अगर हमारी सत्ता में वापसी होती है तो हम यहां पर समान नागरिक संहिता और एनआरसी को लागू करेंगे. वहीं कांग्रेस ने सत्ता में आने पर बजरंग दल को बैन करने समेत महिलाओं को बसों में मुफ्त यात्रा और मुफ्त बिजली देने का वादा किया है. दरअसल, भाजपा का जो मूल मंत्र है वो राम मंदिर, ट्रिपल तलाक और इसके साथ यूसीसी (यूनिफॉर्म सिविल कोड) को लागू करना है.

भाजपा ने इसे कर्नाटक चुनाव के अपने घोषणा पत्र में डालकर दक्षिण भारत में एक तरह से भूकंप ला दिया. बीजेपी के इस एलान के बाद ऊथल-पुथल मच गया, क्योंकि अगल-बगल के राज्य जैसे आध्रं प्रदेश तमिलनाडु और केरल में भी इसका गहरा असर होगा. दूसरी तरफ, कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में सब कुछ मुफ्त में देने का वादा किया है. भाजपा के घोषणा पत्र में आतंकवाद को कम करने के लिए NIA को अधिक सक्षम बनाने के साथ उसे और पावर देने की बात कही गई है. इसके साथ ही NRC और UCC को लागू करने की बात कही है. दोनों ही पार्टियों के बीच जबरदस्त चुनाव प्रचार भी चल रहा है. भाजपा ने सोमवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया था और आज सुबह कांग्रेस ने घोषणा पत्र लोगों के सामने रखा है. इसके साथ ही कर्नाटक चुनाव की गर्मी 200 डिग्री तक जा पहुंची है. 

 
मुझे लगता है कि चुनाव में जो आंधी चलने वाली थी उसे दोनों का घोषणा पत्र रोकने का काम करेगा. कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार किया और वे आज भी प्रचार के लिए दिल्ली से रवाना हो चुके हैं. मोदी जी को कुल 20 रैलियां करनी है. राहुल गांधी ने अब तक 25 रैलियां कर चुके हैं. लेकिन पिछले 10 दिन से मोदी का, नड्डा का और अमित शाह का चुनाव प्रचार जोरों पर है. 7 मई को चुनाव प्रचार थम जाएंगे. ऐसे में प्रचार के लिए बस 5 दिन का ही समय रह गया है और मुझे लगता है कि इतने दिनों के दौरान कर्नाटक का राजनीतिक पार अपने चरम पर होगा. इस दौरान होने वाली रैलियों में घोषणा पत्र का जिक्र किया जाएगा. इसमें तीसरी पार्टी जेडीएस भी अपने घोषणा पत्र को सामने रखने वाले हैं. वे अपने घोषणा पत्र में क्या देने वाले हैं यह देखने वाली बात होगी. क्योंकि भाजपा ने जो 2 % लिंगायत और वोक्कालिगा का आरक्षण लेकर आया उसका लोगों ने स्वागत किया है लेकिन 4 % मुस्लिम वोटों का आरक्षण जो भाजपा ने काटा है. उसे घोषणा पत्र से भी हटाया है.
 
मुझे लगता है कि बीजेपी का ये जय है. ये काफी गर्मा गरम होगा क्योंकि वह हिंदुत्व का, राम मंदिर का वोट पाने वाले हैं. कर्नाटक को दक्षिण भारत को गुजरात माना जाता है. यहां मठों की संख्या बहुत है और उसके संचालनकर्ता लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय के हैं. यहां कम से कम 400 मठ हैं. यही कारण है कि यहां हिंदुत्व जड़ में है. भाजपा ने जो यूसीसी और एनआरसी को लागू करने की घोषणा की है. उसके पीछे का कारण है कि कुछ इलाकों में 20 % मुस्लिम आबादी है और उन्हें डरा कर रखने के लिए यह घोषणा की गई है. 80 % हिंदू हैं. असम में जितना हेमंत विश्वसर्मा ने लेकर आए, धामी ने उत्तराखंड में लाया और योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में लाया तो एक कहावत है कि तैरने से पहले पानी की गहराई का अंदाजा लगा लिया जाता है. इसलिए मुझे लगता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए जो घोषणा पत्र सामने आने से पहले कर्नाटक चुनाव टेस्टिंग ग्राउंड रहने वाला है. यूसीसी को इसलिए कर्नाटक चुनाव के घोषणा पत्र में डाला गया है और बाद में इसे रिप्लिकेट किया जाएगा. अगर इसमें सफलता नहीं मिलती है तो भाजपा इसे 2024 में दूसरे तरीके से घोषित करेगी. इसलिए मुझे लगता है कि कर्नाटक चुनाव बिल्कुल कांटें का टक्कर वाली है.

कांग्रेस ने जो घोषणा पत्र सामने रखा है. मुझे लगता है कि वह आम आदमी पार्टी के दिल्ली वाले घोषणा पत्र से मिलती जुलती है. चूंकि आम आदमी पार्टी ने कुछ इसी तरह का घोषणा पत्र लाकर जीत हासिल की थी. उसी तरह से राहुल गांधी ने कर्नाटक में इस तरह की घोषणा करके उसे दोहराना चाहते हैं. राहुल गांधी का आइडिया है कि कांग्रेस की सरकार आए तो वो ओल्ड पेंशन स्कीम मॉडल को शुरू कर दे. इसका मतलब कांग्रेस के घोषणा पत्र से यह है कि केंद्र सरकार को तो करेंसी नोट प्रिंट करने का अधिकार है. लेकिन जो घोषणा पत्र है उससे आम आदमी के ऊपर कुल एक लाख करोड़ रुपये का जुर्माना होगा. क्योंकि जितना भी फ्रीबीज ये दे रहे हैं वो आम आदमी के ऊपर ही बोझ होगा. घोषणा पत्र में 4000 रुपये देंगे और 3000 देंगें ये सब मुझे मजाक सा लगता है. एक अखबार ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को कार्टून के रूप में भाजपा के घोषणा पत्र से तुलना करते हुए मजाक उड़ाया है. 
 
मुझे लगता है कि दोनों के बीच कांटे का टक्कर है. भाजपा को कांग्रेस के घोषणा पत्र से कोई असर नहीं पड़ेगा. 19 या 20 का फर्क है. हां, ये जरूर है कि जमीन पर भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस ने पिछले छह महीने में एक माहौल जरूर तैयार किया है. उसका असर कुछ हद तक दिख रहा है. कर्नाटक के चार टुकड़ों में नॉर्थ, साउथ, ईस्ट और वेस्ट में जब आप बांटकर देखेंगे तो उसमें नॉर्थ और साउथ में दोनों ही जगहों पर कांग्रेस का प्रचार जोरों पर हैं. लेकिन उसमें कोई स्टार प्रचारक नहीं हैं. 
 
कुल मिलाकर कहें तो भाजपा की हवा तेज है. देखिये, भाजपा के घोषणा पत्र में स्पष्टता है. लेकिन कांग्रेस के घोषणा पत्र में तो कल्पनाएं ज्यादा है. फ्री-बीज देने की झड़ी लगा दी गई है. भाजपा ने भी कुछ हद तक फ्री-बीज की घोषणाएं की है जैसे 5 लाख गरीबों को घर, सीनियर सिटीजन के लिए फ्री-चेकअप तो इन सबका असर जो है वो कर्नाटक के लोगों पर ही बोझ के रूप में बढ़ेगा. जैसे कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में, हिमाचल प्रदेश में और राजस्थान में जो घोषणाएं की थी, उनको धरातल पर वह उतार नहीं पाई है. ये सारे उसके झूठे वादे हैं. जहां तक भाजपा के घोषणा पत्र में फ्री-बीज की बात है तो मुझे लगता है कि वह लोगों के वोट को अत्यधिक लुभाने के लिए है. मुझे लगता है कि इस चुनाव में भाजपा एक बार फिर से सिंगल लार्जेस्ट पार्टी के रूप में तीन अंकों में आएगी और कांग्रेस दो डिजिट में ही रहकर पीछे रह जाएगी. आने वाले समय में भाजपा की सरकार यहां फिर से बनते दिख रही है. नरेंद्र मोदी के प्रचार का असर जमीन पर दिखेगा.
 
[ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है.]
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