एक्सप्लोरर

BLOG : आम्बेडकर को हड़पने की होड़ में बीजेपी सबसे आगे

जैसे ही चौदह अप्रैल का दिन आता है, डॉ. भीमराव आम्बेडकर की जयंती मनाने की धूम मच जाती है. सरकारें प्रदेश की हों, या केंद्र की, पार्टियाँ विपक्ष की हों या सत्तारूढ़, वे आम्बेडकर को श्रद्धांजलियाँ देने में एक-दूसरे से होड़ करती नज़र आती हैं. दिलचस्प बात यह है कि अगर सरकार की आम छवि दलित विरोधी समझी जाती हो या उसका इतिहास आम्बेडकर विरोधी रहा हो, फिर तो श्रद्धांजलि समारोह आयोजित करने के मामले में उसके उत्साह का कोई ठिकाना ही नहीं रहता. ठीक ऐसा ही नज़ारा इस साल देखने में आया है.

स्वंय को आम्बेडकरवादी पार्टी मानने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) हो, दीन दयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित ‘एकात्म मानववाद’ के वर्णवादी ढाँचे के तहत राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसकी केंद्र सरकार हो, या फिर मार्क्सवाद-लेनिनवाद की झंडा बुलंद करने वाली कम्युनिस्ट पार्टियाँ हों, इन सभी ने पूरा दिन जयंती समारोहों में डूबे हुए गुज़ारा. दिलचस्प बात यह है कि इनमें से हर एक ने आम्बेडकर की अपने-अपने हिसाब से व्याख्या की. देखने की बात यह है कि अपनी-अपनी राजनीति के हिसाब से की गई इन सुविधापरस्त व्याख्याओं में वास्तविक आम्बेडकर किस सीमा तक मौजूद थे, और किस सीमा तक उनका इस्तेमाल उन्हीं की वैचारिक और राजनीतिक हिदायतों के विरोध में किया जा रहा था. आम्बेडकर की विरासत पर सबसे बड़ा दावा करने वाली बसपा ने जातियों का समूल नाश करने वाली आम्बेडकर की थीसिस को कभी नहीं माना. बसपा के संस्थापक कांशी राम आम्बेडकर के संदेश ‘एनाहिलेशन ऑ़फ कास्ट’ से सहमत नहीं थे. वे जातियों को कमज़ोर करने के बजाय जातियों को मज़बूत करने के पक्ष में थे. इस लिहाज़ से बाबा साहेब की मूर्तियाँ लगवाने और उनके नाम पर ग्राम विकास योजना बनाने से ज़्यादा बसपा को आम्बेडकर का अनुयायी नहीं माना जा सकता. जहाँ तक बीजेपी की बात है, उसका बस चले तो आम्बेडकर के विशाल वांगमय के कम से कम आधे हिस्से को कूड़ेदान में फेंक दे क्योंकि उसमें ‘रामराज्य’ की असलियत और गो-मांस भक्षण से ब्राह्मणों के संबंध की शोधपूर्ण व प्रामाणिक चर्चा है. और कम्युनिस्ट? वे तो हमेशा ही अपनी ‘क्रांति’ के लिए आम्बेडकर के विचारों को खतरा मानते रहे और जवाब में आम्बेडकर ने उनके नेताओं को हमेशा ‘ब्राह्मण छोकरों के एक जमावड़े’ के तौर पर ही देखा. ambedkar दरअसल, कोई तीस-पैंतीस साल पहले नज़ारा कुछ और था और आम्बेडकर की जयंती मनाने के लिए इस तरह की आपाधापी नहीं मचती थी. उन दिनों तो बहस इस प्रश्न के इर्दगिर्द होती थी कि क्या आम्बेडकर केवल महारों (महाराष्ट्र का सबसे बड़ा दलित समुदाय जिसमें आम्बेडकर ने जन्म लिया था) के नेता हैं? दरअसल, उस समय दलित वोटों की ता़कत इस तरह की नहीं बन पाई थी कि उसे किसी पार्टी की चुनावी किस्मत का फैसला करने के लायक समझा जा सकता हो. माना जाता था कि दलित वोट कांग्रेस की जेब में पड़े हुए हैं, और उनकी भूमिका कुल मिला कर राजनीति पर ब्राह्मणों के वर्चस्व को कायम रखने वाले औज़ार भर की है. कांग्रेस ने आम्बेडकरवादी रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं को एक-एक करके हड़प लिया था. आम्बेडकर साहित्यकारों और दलित पैंथरों जैसे छोटे-छोटे रेडिकल ग्रुपों के लिए विमर्श के वाहक तो बन गए थे, लेकिन व्यावहारिक राजनीति के लिए उनका संदेश काम करता हुआ नहीं दिख रहा था. इस स्थिति को अस्सी के दशक में कांशी राम के नेतृत्व में की गई राजनीति ने बदला. पंजाब (जहाँ दलितों की आबादी पैंतीस प्रतिशत के आसपास थी) से यह सिलसिला शुरू हुआ, और देखते-देखते दलितों ने उत्तर प्रदेश और बिहार में भी कांग्रेस का दामन छोड़ना शुरू कर दिया. बामसेफ और डीएस-फोर के रास्ते बसपा बनी, और उसने गठजोड़ों के ज़रिये नब्बे के दशक में उत्तर प्रदेश की सत्ता प्राप्त करके एक ‘दलित राजनीतिक समुदाय’ बना कर दिखा दिया. दलितों को लगा कि उन्हें ब्राह्मणों की मर्जी और मेहरबानी के बिना सीधे-सीधे सत्ता मिल सकती है. दलित समुदाय की इसी राजनीतिक कामना ने आम्बेडकर को एक आदर्शवादी विमर्श के वाहक की सीमित हैसियत से राजनीतिक लाभ पहुँचाने वाले राष्ट्रीय प्रतीक में बदल दिया. इसी के बाद सभी पार्टियाँ उन्हें अपने-अपने मकसदों के लिए हड़पने की योजना बनाने लगीं. शुरुआती उछाल के बाद आज आम्बेडकरवादी राजनीति का यह सिलसिला एक ऐसे दुखांत पर पहुँच गया है, जहाँ उत्तर प्रदेश का ‘दलित राजनीतिक समुदाय’(विभिन्न दलित जातियों की चुनावी एकता) बिखर चुका है. 2014 और 2017 के चुनावों में उसका वोटिंग पैटर्न सा़फ बताता है कि जाटवों और गैर-जाटव वोटरों की मतदान प्राथमिकताएँ बदल चुकी हैं. यानी उत्तर प्रदेश में आम्बेडकर के नाम पर राजनीतिक करने वाले मायावती केवल जाटवों की नेता रह गई हैं. अगर यही स्थिति बनी रही तो जल्दी ही पढ़े-लिखे और आरक्षण का लाभ पाने वाले जाटव समुदाय के दलित भी बीजेपी की तऱफ आकर्षित होने लगेंगे. एक बार दलित नौकरशाही ने अगर बीजेपी का दामन थाम लिया, बसपा की मौत की घंटी बज जाएगी. आखिरकार बसपा दलित नौकरशाही की बुनियाद पर ही खड़ी है. 2014 के चुनाव में इसकी बानगी दिख ही चुकी है. ऐसा हुआ तो इसे आम्बेकरवादी प्रोजेक्ट का प्राणांत समझा जाना चाहिए, क्योंकि आम्बेडकर हिंदू पुनरुत्थानवाद और हिंदू बहुसंख्यकवादी राष्ट्र की संकल्पना के कड़े विरोधी थे. BLOG : आम्बेडकर को हड़पने की होड़ में बीजेपी सबसे आगे कहना न होगा कि एक प्रतीक के रूप में आम्बेडकर को हड़पने की प्रतियोगिता में इस समय नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सबसे आगे है. उसे आगे निकलने का मौका मायावती के नेतृत्व में चली बेरोकटोक ‘जाटवशाही’ ने दिया है. इसी जाटवशाही के कारण बीजेपी गैर-जाटव दलितों को यह समझाने में सफल हुई है कि मायावाती को सत्ता ‌प्राप्त हुई तो उनके हाथ में कुछ नहीं आएगा. ज़ाहिर है कि आम्बेडकरवादी संसार सिर के बल खड़ा हो चुका है. बाबा साहेब की आत्मा जहाँ कहीं भी होगी, इस नज़ारे को बेचैनी के साथ देख रही होगी.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है)

लेखक विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) में भारतीय भाषा कार्यक्रम के निदेशक और प्रोफेसर हैं.

सम्पर्क : abhaydubey@csds.in

और देखें

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
Advertisement
Advertisement
Fri Apr 25, 10:45 am
नई दिल्ली
41.6°
बारिश: 0 mm    ह्यूमिडिटी: 11%   हवा: WNW 16.2 km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

पहलगाम आतंकी हमला: भारत के मुसलमानों का जामा मस्जिद से पाकिस्‍तान को पैगाम, 'बंद करो ये कत्‍लेआम'
पहलगाम आतंकी हमला: भारत के मुसलमानों का जामा मस्जिद से पाकिस्‍तान को पैगाम, 'बंद करो ये कत्‍लेआम'
Pahalgam Attack: मौत के बिस्‍तर पर दाऊद इब्राहिम? या अब भी भारत के खिलाफ चला रहा नेटवर्क, पढ़ें चौंकाने वाला दावा
Pahalgam Attack: मौत के बिस्‍तर पर दाऊद इब्राहिम? या अब भी भारत के खिलाफ चला रहा नेटवर्क, पढ़ें चौंकाने वाला दावा
BJP के इकबाल राजा सिंह बने MCD मेयर, कांग्रेस को मिले महज इतने वोट
BJP के इकबाल राजा सिंह बने MCD मेयर, कांग्रेस को मिले महज इतने वोट
वायरल गर्ल मोनालिसा की चमकी किस्मत, इस सिंगर संग करने जा रही म्यूजिक वीडियो, खुद शेयर की गुड न्यूज
मोनालिसा इस सिंगर संग करने जा रही म्यूजिक वीडियो, वायरल गर्ल ने खुद शेयर की गुड न्यूज
ABP Premium

वीडियोज

Pahalgam Attack: पानी रोकने की खबर सुनते ही रोने लगा Pakistan | ABP News | Indus Water TreatyPahalgam Terror Attack: थार के रेगिस्तान में भारतीय सेना का युद्धाअभ्यास | Pakistan | PM ModiPahalgam Terror Attack: भारतीय सेना ने शुरू किया युद्धाभ्यास | ABP News | Pakistan | PM ModiPahalgam Terror Attack: आतंकी आदिल के घर का नजारा देख हैरान रह जाएंगे | ABP News | PM Modi

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
पहलगाम आतंकी हमला: भारत के मुसलमानों का जामा मस्जिद से पाकिस्‍तान को पैगाम, 'बंद करो ये कत्‍लेआम'
पहलगाम आतंकी हमला: भारत के मुसलमानों का जामा मस्जिद से पाकिस्‍तान को पैगाम, 'बंद करो ये कत्‍लेआम'
Pahalgam Attack: मौत के बिस्‍तर पर दाऊद इब्राहिम? या अब भी भारत के खिलाफ चला रहा नेटवर्क, पढ़ें चौंकाने वाला दावा
Pahalgam Attack: मौत के बिस्‍तर पर दाऊद इब्राहिम? या अब भी भारत के खिलाफ चला रहा नेटवर्क, पढ़ें चौंकाने वाला दावा
BJP के इकबाल राजा सिंह बने MCD मेयर, कांग्रेस को मिले महज इतने वोट
BJP के इकबाल राजा सिंह बने MCD मेयर, कांग्रेस को मिले महज इतने वोट
वायरल गर्ल मोनालिसा की चमकी किस्मत, इस सिंगर संग करने जा रही म्यूजिक वीडियो, खुद शेयर की गुड न्यूज
मोनालिसा इस सिंगर संग करने जा रही म्यूजिक वीडियो, वायरल गर्ल ने खुद शेयर की गुड न्यूज
CSK Playoff Qualification: 8 मैचों में सिर्फ 2 जीत, SRH के खिलाफ हारकर भी प्लेऑफ में जा सकती है CSK? जानें पूरा समीकरण
8 मैचों में सिर्फ 2 जीत, SRH के खिलाफ हारकर भी प्लेऑफ में जा सकती है CSK? जानें पूरा समीकरण
UP Board Toppers 2025: यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं परीक्षा में टॉप करने वालों की ये रही मार्कशीट, नंबर देखकर चौंक जाएंगे आप
यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं परीक्षा में टॉप करने वालों की ये रही मार्कशीट, नंबर देखकर चौंक जाएंगे आप
रूस के बाद अब अमेरिका में बच्चे पैदा करने पर बंपर ऑफर, जानें किन देशों में मिलता है कितना पैसा
रूस के बाद अब अमेरिका में बच्चे पैदा करने पर बंपर ऑफर, जानें किन देशों में मिलता है कितना पैसा
'ऐसे तो कोई कहेगा महात्मा गांधी अंग्रेजों के नौकर थे...', वीर सावरकर के अपमान पर राहुल गांधी को SC की फटकार
'ऐसे तो कोई कहेगा महात्मा गांधी अंग्रेजों के नौकर थे...', वीर सावरकर के अपमान पर राहुल गांधी को SC की फटकार
Embed widget