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सचिन या इमरान जैसी नहीं होती नहीं होती हर खिलाड़ी की किस्मत

2 अप्रैल 2011, याद है ना? इसीदिन भारतीय क्रिकेट टीम ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में इतिहास रचा था. श्रीलंका के खिलाफ विश्व कप फाइनल में भारतीय टीम ने 6 विकेट से जीत दर्ज की थी. 28 साल बाद विश्व कप जीतने का करोड़ो भारतीयों का सपना पूरा हुआ था. साथ ही सपना पूरा हुआ था उस महान खिलाड़ी का जिसे भारत में पूजा जाता है.

2 अप्रैल 2011, याद है ना? इसीदिन भारतीय क्रिकेट टीम ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में इतिहास रचा था. श्रीलंका के खिलाफ विश्व कप फाइनल में भारतीय टीम ने 6 विकेट से जीत दर्ज की थी. 28 साल बाद विश्व कप जीतने का करोड़ो भारतीयों का सपना पूरा हुआ था. साथ ही सपना पूरा हुआ था उस महान खिलाड़ी का जिसे भारत में पूजा जाता है.

सचिन रमेश तेंडुलकर. 1989 में करियर की शुरूआत करने वाले सचिन तेंडुलकर के करियर में सबकुछ था सिवाय एक वर्ल्ड कप के, 2003 में भी भारतीय टीम फाइनल तक पहुंच गई थी लेकिन फिर फाइनल में उसे ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. याद कीजिए 2011 का विश्व कप, भारतीय टीम के हर खिलाड़ी की इच्छा थी कि उसे सचिन तेंडुलकर के लिए कप जीतना है. सचिन तब करीब 38 साल के हो चुके थे. उनके अगले विश्व कप में खेलने की कोई उम्मीद नहीं थी.

कुछ ऐसी ही कहानी इमरान खान की भी है. इमरान खान ने एक बार संन्यास लेने के बाद मैदान में वापसी कर 1992 का विश्व कप खेला. उस वक्त वो अपनी मां की याद में कैंसर अस्पताल बनवा रहे थे. किस्मत देखिए कि तमाम उतार चढ़ाव के बाद इमरान खान ने अपनी कप्तानी में 1992 का विश्व कप जीता. विश्व कप जीतने के तुरंत बाद उन्होंने मैदान छोड़ दिया. इमरान खान ने जब विश्व कप चूमा तब उनकी उम्र करीब चालीस साल थी. ऐसे किस्मत वाले खिलाड़ी कम ही होते हैं जिनके करियर के आखिरी दौर में उनकी मनमानी मुराद भी पूरी हुई हो.

मेसी और रोनाल्डो का रह गया अधूरा सपना लियोनल मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो दोनों का ये चौथा वर्ल्ड कप था. दोनों ही खिलाड़ियों ने 2006 में पहली बार वर्ल्ड कप खेला था. मेसी अर्जेन्टीना की तरफ से और रोनाल्डो पुर्तगाल की तरफ से मैदान में उतरे थे. मेसी ने 2006 से लेकर अब तक के अपने वर्ल्ड कप सफर में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2014 में देखा जब उनकी टीम रनर्स अप थी. रोनाल्डो के लिए अपनी टीम के साथ सर्वश्रेष्ठ साल था-2006. 2006 में उनकी टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी. दोनों ही खिलाड़ियों का वर्ल्ड कप में व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 4 गोल रहा है. मेसी का 2014 में और रोनाल्डो का 2018 में. अफसोस इस साल दोनों ही विश्व कप से खाली हाथ घर लौट रहे हैं. मेसी की टीम अर्जेन्टीना को बीते शनिवार को फ्रांस के खिलाफ 4-3 से मिली हार के बाद टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा था. मैच खत्म होने के बाद लगातार इसी बात पर चर्चा होती रही कि मेसी का पूरे टूर्नामेंट में प्रदर्शन वैसा नहीं रहा जिसकी उनसे उम्मीद थी. इस साल मेसी 4 मैच में सिर्फ 1 गोल कर पाए. फ्रांस के खिलाफ मैच में तो मेरी एकाध बार गोलपोस्ट तक पहुंचे लेकिन उनकी ‘किक’ में वो ताकत ही नहीं दिखी जो गोलकीपर के डिफेंस को भेद सके. यही हाल पुर्तगाल के स्टार खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो का भी रहा. उन्होंने इस साल 4 गोल तो किए लेकिन उरूग्वे के खिलाफ मैच में उनका जादू नहीं चला. नतीजा विश्व कप में पुर्तगाल का सफर खत्म हो गया.

क्यों रह जाएगा मेसी-रोनाल्डो का सपना अधूरा? अगले विश्व कप तक मेसी की उम्र 35 साल होगी. जबकि क्रिस्टियानो रोनाल्डो 37 साल के हो चुके होंगे. फुटबॉल के खेल में जिस तरह की ऊर्जा चाहिए होती है उसके लिए 35 साल की उम्र काफी ज्यादा है. वो भी तब जबकि किसी खिलाड़ी को मैदान में पसीना बहाते 20 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका हो. अर्जेन्टीना और पुर्तगाल की हार के बाद मेसी और रोनाल्डो दोनों में से किसी ने फिलहाल अपने भविष्य को लेकर कुछ नहीं कहा लेकिन सच यही है कि अब इन दोनों खिलाड़ियों का वर्ल्ड कप में मैदान में उतरना असंभव सा है. देखा जाए तो ये दुर्भाग्य ही है कि क्लब क्रिकेट में राज करने वाले इन दोनों खिलाड़ियों को 2018 विश्व कप से यूं ही खाली हाथ लौटना पड़ा लेकिन यहीं आकर लगता है कि सारी काबिलियत और मेहनत के साथ साथ किस्मत का होना भी बहुत जरूरी है.

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