अरविंद केजरीवाल का सर्जिकल सट्राइक पर आया बयान अकीरा कुरोसावा की फिल्म रोशोमोन की याद दिलाता है. उस फिल्म में एक खून होता है जिसे तीन अलग अलग लोग अलग कोण से देखते हैं और तीनों की खून के बारे में वर्णन अलग अलग होता है. केजरीवाल का बयान प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करता है. वह पाकिस्तान के दुष्प्रचार का विरोध करते हैं. वह यह मानते हैं कि वास्तव में सर्जिकल स्ट्राइक हुई है. लेकिन वह साथ में चाहते हैं कि मोदी सरकार इसके सबूत दे ताकि पाकिस्तान के झूठ का पर्दाफाश किया जा सके. बात यहीं आकर कुरोसावा की फिल्म की तरह हो जाती है.


पाकिस्तान केजरीवाल के बयान को इस रुप में देख रहा है कि केजरीवाल को ही सर्जिकल स्ट्राइक के दावे में पूरी तरह यकीन नहीं है. पाकिस्तान ने हाल ही में विदेशी न्यूज चैनलों और विदेशी अखबारों के प्रतिनिधियों का उस इलाके में दौरा करवाया था जहां भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक का दावा किया था. अब पाकिस्तान की सरकार ठीक उस जगह ले कर गयी या किसी अन्य जगह घुमाकर ले लाई, यह तो वही बता सकती है लेकिन दौरे के तुरंत बाद आया केजरीवाल का बयान पाकिस्तान को अपने लिए मुफीद साबित हो रहा है. वह कह रही है कि देखिये. भारत के ही एक राज्य का मुख्यमंत्री, एक दल का नेता ही मोदी सरकार के दावे को गलत बता रहा है (जबकि केजरीवाल ऐसा नहीं कह रहे हैं) तो कुछ गड़बड़ जरूर है.


मोदी सरकार की साख सर्जिकल स्ट्राइक से बढ़ी है. खुद मोदी की छवि उनके उपर लग रहे तंज से दागदार हुई थी और सर्जिकल स्ट्राइक ने दाग मिटा दिए हैं. उधर बीजेपी कहीं न कहीं सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिक फायदा उठाने के भी फेर में है. ऐसे में केजरीवाल के बयान को पूरी तरह से झुठला कर वह एक तरफ केजरीवाल को पाकिस्तान परस्त बताने की कोशिश कर रही है और साथ ही राजनितिक अंक हासिल करने की कोशिश कर रही है. बीजेपी ने भी कुरोसावा की फिल्म की तरह मोदी की तारीफ वाले बयान को किनारे रख केजरीवाल के सिर्फ सबूत वाले बयान को आगे किया है. इसके सहारे ही वह केजरीवाल पर भारतीय सेना का अपमान करने का आरोप लगा रही है.


कांग्रेस कुरोसावा की फिल्म के तरह तीसरे कोण से केजरीवाल के बयान को ले रही है. उसका कहना है कि उसके शासनकाल में भी सर्जिकल स्ट्राइक होती रही है लेकिन तब भारत इसका आगे आकर खुलासा नहीं करता था. ऐसा कह कर कांग्रेस यह बताने की कोशिश कर रही है कि मोदी सरकार ने कुछ खास नहीं किया है, फर्क सिर्फ स्ट्राइक की जिम्मेदारी लेने का है. यहां कांग्रेस जानती है कि देश भक्ति से जुड़े ऐसे मुद्दे पर मोदी सरकार का साथ देना जरूरी है लेकिन वह मोदी सरकार को इसका चुनावी लाभ लेने का मौका भी नहीं देना चाहती. इसलिए सर्जिकल सट्राइक की उपलब्धि को कम करके आंकने में लगी है. अलबत्ता केजरीवाल के बयान के बाद उठे बवाल की झोंक में वह बह चली है और संजय निरुपल जैसे नेता स्ट्राइक को फर्जी बता कर कांग्रेस का ही नुकसान कर रहे हैं.


सवाल उठता है कि आखिर केजरीवाल को यह सुझाव क्यों देना पड़ा कि मोदी सरकार सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत पाकिस्तान को सौंपे. पाकिस्तान कह चुका है कि उसके दो सैनिक मारे गये, अमेरिका की सुरक्षा सलाहकार सुजेन राइस जब भारतीय सुरक्षा सलाकार अजित डोभाल से बात कर चुकी, जब खुद भारतीय डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह पाकिस्तान के डीजीएमओ को बता चुके तो फिर इससे ज्यादा सबूत पाकिस्तान को क्या चाहिए. इससे ज्यादा सबूत इस समय भारत को अपनी तरफ से आगे बढ़ कर पाकिस्तान को क्यों सौंपने चाहिए. पाकिस्तान ने तो कभी सीधे सीधे भारत से सबूत मांगे नहीं हैं. पाकिस्तान जब सर्जिकल स्ट्राइक होने से ही इनकार कर रहा है तो भारत के ही हित में यह बात जाती है. आगे भी भारत के पास ऐसे स्ट्राइक करने का मौका बचा है. ऐसी सूरत में भारत क्यों पाकिस्तान को वीडियो या तस्वीरे देगा. यह बात केजरीवाल और निरुपम जैसे नेताओं को क्यों समझ में नहीं आती.


आखिर किसी ने आज तक अमेरिका से ओसामा बिन लादेन को मारे जाने और दफनाए जाने का सबूत नहीं मांगा और न ही अमेरिका ने किसी को दिया. यही बात मोदी सरकार पर भी लागू होती है. उसे लगेगा कि सबूत जारी करने से भारत को कूटनीतिक फायदा होगा तो वह सबूत जारी कर देगी. उसे लगेगा कि सबूत जारी नहीं करने से भारत को सामरिक फायदा होगा तो वह सबूत जारी नहीं करेगी.