एक्सप्लोरर

BLOG: क्या सिर्फ केंद्र और हुर्रियत की बातचीत से घाटी में शांति बहाल हो सकती है?

शायद अब केंद्र सरकार को समझ में आ गया है कि एकतरफा कठोर सैन्य कार्रवाई की भी एक सीमा होती है और वह स्थायी सकारात्मक परिणाम नहीं दे सकती.

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का यह कहना कि हुर्रियत कांफ्रेंस केंद्र सरकार से बातचीत करने की इच्छुक है. इस सरहदी सूबे को लेकर मोदी सरकार की बदलती हुई नीति या कहें कि किसी नई रणनीति का संकेत देता है. ऐसा इसलिए कि जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल का नहीं बल्कि राष्ट्रपति का शासन लागू है. ऐसे में सत्यपाल मलिक इस आशय का बयान मीडिया में अपनी मर्जी से देंगे, यह संभव नहीं लगता. गौरतलब यह भी है कि राज्यपाल मलिक के यह बयान देते वक्त उनके साथ केंद्र के दो मंत्री भी खड़े हुए थे. जाहिर है, यह हुर्रियत कांफ्रेंस के अलगाववादी नेताओं को केंद्र की तरफ से एक संकेत देने की कोशिश है. शायद अब केंद्र सरकार को समझ में आ गया है कि एकतरफा कठोर सैन्य कार्रवाई की भी एक सीमा होती है और वह स्थायी सकारात्मक परिणाम नहीं दे सकती.

आखिरकार राजनीतिक पहुंच ही अमन और आपसी भरोसा कायम करने का कोई रास्ता खोल सकती है. हालांकि मलिक ने इस बात का पूरा प्रयास किया था कि यह कहीं से भी नहीं लगना चाहिए कि मोदी सरकार अलगाववादियों के आगे झुक रही है. इसीलिए उन्होंने तर्क दिए कि पिछले साल अगस्त से कश्मीर घाटी में हालात बेहतर हुए हैं, स्थानीय युवकों की आतंकवादी संगठनों में भर्ती बेहद घट गई है और हर शुक्रवार को होने वाली पथराव की घटनाएं भी बंद हो गई हैं. राज्यपाल के इन दावों में कितनी सच्चाई है, यह तो सुरक्षा एजेंसियां ही बता सकती हैं. लेकिन इतना तय है कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अपनाई गई सैन्य समाधान की नीति के परिणामस्वरूप अनेक दुर्दांत आतंकवादियों का घाटी से सफाया हुआ है और कश्मीर की आजादी के नाम पर पाक प्रायोजित आतंकवाद का खुला समर्थन करने वाले हुर्रियत नेताओं की सिट्टी-पिट्टी गुम है.

इसी सख्ती का नतीजा है कि जम्मू-कश्मीर की चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाली नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी की ताकतवर मौजूदगी के बावजूद मुख्यधारा की सियासत, प्रशासन और आम लोगों के जनजीवन को अपनी अंगुलियों पर नचाने वाला अलगाववादी खेमा इस समय घाटी में अपना वजूद बचाने का संघर्ष कर रहा है. बातचीत के लिए अलगाववादी नेताओं के राजी होने में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त मध्यस्थ दिनेश्वर शर्मा के योगदान को कतई नकारा नहीं जा सकता. क्योंकि मिस्टर शर्मा लो प्रोफाइल रह कर हुर्रियत नेताओं समेत वहां के अलग-अलग रसूखदार तबकों से मुलाकात करके शांति बहाली के लिए लगातार दबाव बना रहे थे और कूटनीतिक प्रयास कर रहे थे. स्पष्ट है कि अपने सारे चैनलों का इस्तेमाल करते हुए मोदी दूसरे कार्यकाल में आतंकवादियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई जारी रखने के साथ-साथ हुर्रियत से बातचीत का रास्ता भी इक्सप्लोर करना चाह रहे हैं.

यक्ष प्रश्न यह है कि क्या केंद्र और हुर्रियत के नेताओं के बीच बातचीत होने से कश्मीर समस्या का कोई हल निकल सकेगा? इसका जवाब किसी के पास नहीं है क्योंकि बकौल सत्यपाल मलिक, पाकिस्तान से मशविरा किए बगैर हुर्रियत नेता शौचालय तक नहीं जाते! यहां यह भी ध्यान रखना चाहिए कि केंद्र से बातचीत की पेशकश करने वाला मीरवाइज उमर फारूक का धड़ा हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना के पहले से ही उदारवादी था और 1987 में हुए विधानसभा चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन से असंतुष्ट होकर 1993 में जमात-ए-इस्लामी के कट्टर धार्मिक नेता सैयद अली शाह गिलानी, पीपुल्स लीग के शेख अब्दुल अजीज, इत्तेइहाद-उल-मुस्लिमीन के मौलवी अब्‍बास अंसारी, मुस्लिम कांफ्रेंस के प्रोफेसर अब्दुल गनी भट, जेकेएलएफ के यासीन मलिक और पीपुल्सि कांफ्रेंस के अब्दुनल गनी लोन के साथ आ गया था.

इसलिए मीरवाइज के द्वारा केंद्र से वार्तालाप की इच्छा जताना कोई अनोखी बात नहीं है. मीरवाइज तो यह भी कहते रहे हैं कि जब हुर्रियत से कश्मीर मसले की बात होगी तो अगले चरण में पाकिस्तान अपने आप जुड़ जाएगा. सैयद अली शाह गिलानी वाला धड़ा खुलकर पाकिस्तान समर्थक रहा है. मतलब वही- ढाक के तीन पात!

पाकिस्तान भी हुर्रियत कांफ्रेंस को साथ बिठाए बगैर भारत के साथ बातचीत करने को कभी राजी नहीं हुआ. अगस्त 2015 का वह मेलोड्रामा तो याद ही होगा जब पाकिस्तान के हुर्रियत नेताओं से मिलने और कश्मीर पर ही बात करने पर अड़ जाने के बाद भारत को एनएसए लेवल की मीटिंग रद्द करनी पड़ी थी. इसी साल 31 जनवरी को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ बातचीत करने को लेकर विवादों में आए मीरवाइज ने कहा था कि उनके इस कदम से भारत को नाराज नहीं होना चाहिए. पाक प्रायोजित आतंकवाद पर मोदी सरकार के सख्त रुख को जानने के बावजूद इसी जून में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने सुझाव दिया था कि बिश्केक में एससीओ शिखर सम्मेलन का फायदा उठाते हुए नरेंद्र मोदी और इमरान खान को बातचीत शुरू करनी चाहिए. लेकिन वहां मोदी ने इमरान से हाथ तक नहीं मिलाया था.

यानी एक तरफ हुर्रियत भारत सरकार से वार्तालाप भी करना चाहती है और दूसरी तरफ पाकिस्तान का दामन भी नहीं छोड़ना चाहती. इसी प्रकार केंद्र सरकार हुर्रियत से बातचीत का मन बनाती दिखती है लेकिन आतंकवाद खत्म किए बिना पाकिस्तान से कोई बात नहीं करने की नीति पर अडिग है. जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के रास्ते का यह सबसे बड़ा पेंच है. हालांकि रक्षा विशेषज्ञ यह मानते और कहते आए हैं कि सैन्य कार्रवाई कश्मीर मसले का समाधान नहीं है. बातचीत केंद्र और जम्मू-कश्मीर के स्थानीय स्टेकहोल्डरों और आगे चलकर पाकिस्तान के साथ करनी ही पड़ेगी क्योंकि युद्ध कोई रास्ता नहीं है. पाकिस्तान का रवैया तो यह है कि वह इसी महीने की 12,17 और 18 तारीख को सरहद पार हमले करके हमारे कई जवान और सिविलियन शहीद कर चुका है.

ऐसे माहौल में अहम जिज्ञासा यह है कि केंद्र और हुर्रियत कांफ्रेंस के बीच बातचीत अगर हुई तो उसका एजेण्डा क्या होगा, साथ ही जम्मू-कश्मीर के भविष्य को लेकर एक-दूसरे से धुरविरोधी स्टैंड रखने वाली और विभिन्न धड़ों में बंटी इस तंजीम का कौन-सा हिस्सा बगावत नहीं कर देगा, इसकी गारंटी कौन दे सकता है? इसके उत्तर में नहीं बल्कि सुझाव में यही कहा जा सकता है कि फिलहाल कोई पूर्व शर्त रखे बिना अटल जी के फार्मूले पर चलकर आपसी भरोसा पैदा करने वाला वार्तालाप शुरू किया जाए. अलगाववाद की गांठें खुलेंगी तो गंभीर और फलदायक बातचीत का एजेण्डा आगे कभी भी सेट हो सकता है.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://twitter.com/VijayshankarC और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें https://www.facebook.com/vijayshankar.chaturvedi

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

'त्योहारों के इस मौसम में मेड इन इंडिया प्रोडक्ट ही खरीदें', मन की बात कार्यक्रम में PM मोदी ने की लोगों से अपील
'त्योहारों के इस मौसम में मेड इन इंडिया प्रोडक्ट ही खरीदें', मन की बात कार्यक्रम में PM मोदी ने की लोगों से अपील
हरियाणा में कांग्रेस के CM चेहरे पर सचिन पायलट का बड़ा दावा, 'पार्टी में लंबे समय से परंपरा है कि...'
हरियाणा में कांग्रेस के CM चेहरे पर सचिन पायलट का बड़ा दावा, बताया क्या है पार्टी की परंपरा
करियर की शुरुआत में इस एक्टर के पास नहीं थे खाने तक के पैसे, करने पड़े थे छोटे-मोटे रोल्स, डायरेक्टर का खुलासा
करियर की शुरुआत में इस एक्टर के पास नहीं थे खाने तक के पैसे, करने पड़े थे छोटे-मोटे रोल्स
ईशान किशन टीम इंडिया से फिर हुए नजरअंदाज? जानें क्यों बांग्लादेश के खिलाफ टी20 सीरीज में नहीं मिला मौका
ईशान किशन टीम इंडिया से फिर हुए नजरअंदाज? जानें क्यों बांग्लादेश टी20 सीरीज में नहीं मिला मौका
ABP Premium

वीडियोज

Hezbollah New Chief: हिजबुल्लाह का नया लीडर बना Hachem Safieddine | Israel | Hassan NasrallahIsrael Lebanon War: Hassan Nasrallah की मौत के बाद इजरायल का बड़ा एक्शन | NetanyahuBihar Rains: नेपाल ने बढ़ाई बिहार की टेंशन...उफान पर कोसी, मंडराने लगा बाढ़ का खतरा | ABP NewsTop News: 10 बजे की बड़ी खबरें | Hassan Nasrallah | Israel Hezbollah War | Netanyahu | Weather News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'त्योहारों के इस मौसम में मेड इन इंडिया प्रोडक्ट ही खरीदें', मन की बात कार्यक्रम में PM मोदी ने की लोगों से अपील
'त्योहारों के इस मौसम में मेड इन इंडिया प्रोडक्ट ही खरीदें', मन की बात कार्यक्रम में PM मोदी ने की लोगों से अपील
हरियाणा में कांग्रेस के CM चेहरे पर सचिन पायलट का बड़ा दावा, 'पार्टी में लंबे समय से परंपरा है कि...'
हरियाणा में कांग्रेस के CM चेहरे पर सचिन पायलट का बड़ा दावा, बताया क्या है पार्टी की परंपरा
करियर की शुरुआत में इस एक्टर के पास नहीं थे खाने तक के पैसे, करने पड़े थे छोटे-मोटे रोल्स, डायरेक्टर का खुलासा
करियर की शुरुआत में इस एक्टर के पास नहीं थे खाने तक के पैसे, करने पड़े थे छोटे-मोटे रोल्स
ईशान किशन टीम इंडिया से फिर हुए नजरअंदाज? जानें क्यों बांग्लादेश के खिलाफ टी20 सीरीज में नहीं मिला मौका
ईशान किशन टीम इंडिया से फिर हुए नजरअंदाज? जानें क्यों बांग्लादेश टी20 सीरीज में नहीं मिला मौका
KRN Heat Exchanger IPO: कतार में बजाज के बाद एक और मल्टीबैगर, लिस्ट होते ही पैसा डबल करेगा ये आईपीओ!
कतार में बजाज के बाद एक और मल्टीबैगर, लिस्ट होते ही पैसा डबल करेगा ये IPO!
'हताश है आज की दुनिया, टूट रहा भरोसा', UNGA के मंच से जयशंकर ने बाकी देशों को क्यों चेताया
'हताश है आज की दुनिया, टूट रहा भरोसा', UNGA के मंच से जयशंकर ने बाकी देशों को क्यों चेताया
Indian Railway Exam Tips: रेलवे में नौकरी पाने के लिए कैसे करें तैयारी! आज ही से फॉलो कर लें ये टिप्स
रेलवे में नौकरी पाने के लिए कैसे करें तैयारी! आज ही से फॉलो कर लें ये टिप्स
World Heart Day 2024: 30 साल की उम्र में दिल की बीमारियों का खतरा कितना, इसकी वजह क्या?
30 साल की उम्र में दिल की बीमारियों का खतरा कितना, इसकी वजह क्या?
Embed widget