एक्सप्लोरर

चुनाव परिणाम 2024

(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

BLOG: गुजरात के नतीजे, क्या कांग्रेस ने जीत के मुंह से हार छीनी

Gujarat election 2017: एक बात शीशे की तरह साफ है कि पहले चरण में विकास के नाम पर बीजेपी को वोट नहीं मिला, जबकि दूसरे चरण में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया.

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की जीत हुई है. अब कांग्रेस उत्तर में पंजाब और दक्षिण में सिर्फ कर्नाटक में रह गयी है. बीजेपी की या फिर यह कहा जाए कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की झोली में एक और राज्य चला गया है. गुजरात में 22 साल के बीजेपी  शासन की एंटी इनकम्बेसी का सामना था, किसान कपास मूंगफली के दाम नहीं मिलने से नाराज था, युवा रोजगार के घटते मौके से परेशान था, जीएसटी और नोटबंदी से व्यापारी खफा थे, मोदी के बिना चुनाव हो रहा था, एक ऐसी पीढ़ी भी नाराज नजर आती थी जिसने कांग्रेस का शासन देखा तक नहीं था, सबसे ताकतवर पाटीदार जाति आरक्षण को लेकर सड़कों पर थी, हार्दिक पटेल की रैलियां गजब ढा रही थी, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकौर और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी अपनी अपनी जाति के युवा वोटरों में पैठ बढ़ाते नजर आ रहे थे. कुल मिलाकर बदलाव की हवा बह रही थी जो कम से कम गांवों में तो साफ साफ देखी जा सकती थी.

लेकिन इतने सारे अनुकूल कारणों के बावजूद कांग्रेस हार गयी और बीजेपी जीत गयी. साफ है कि कांग्रेस को चुनाव जीतना था तो उसे हवा को आंधी में बदलना था. यहां वह चूक गयी. हवा और आंधी के बीच नरेन्द्र मोदी आ गये. मोदी बचा ले गये बीजेपी को. उनकी भावनात्मक अपीलों का असर हुआ. दरअसल गुजरात के बीजेपी समर्थक वोटरों में दो नैरेटिव चल रहे थे. एक, 2017 में गुजरात में हराओं और 2019 में लोकसभा चुनावों में जिताओ. इस वर्ग का कहना था कि सत्ता के साथ जुड़ी चर्बी कम कर देनी है या उतार देनी है, अंहकार खत्म करना है और सबक सिखाना है. लेकिन इसके साथ ही दूसरा नैरेटिव भी काम कर रहा था. इसका मानना था कि अगर 2017 में गुजरात गया तो 2019 का लोकसभा चुनाव भी हाथ से निकल जाएगा. इस वर्ग का मानना था कि विपक्ष मोदी को काम नहीं करने देगा, अगर गठबंधन की सरकार मोदीजी को 2019 में बनानी पड़ी तो उसे चलाना और विकास की दिशा में तेजी से चल पाना मुश्किल होगा. यानि दूसरा नैरेटिव कह रहा था कि 2019 को बचाना है तो 2017 को भी बचाना होगा. कहा जा रहा है कि आखिरी दौर में संघ भी साथ लगा, गांवों गांवों तक दूसरा नैरेटिव पहुंचाया गया और मोदी की खातिर वोट देने की भावनात्मक अपील की गयी.

पहले चरण की 89 सीटों में से बीजेपी को 48 और कांग्रेस को 38 सीटें मिली. यानि पिछले चुनाव के मुकाबले बीजेपी 15 सीटों पर हारी और कांग्रेस ने अपनी सीटों की संख्या 22 से बढ़ाकर 38 तक पहुंचा दी. लेकिन दूसरे चरण के चुनाव ने बीजेपी को संजीवनी दी. यहां बीजेपी 93 में से 51 सीटें जीत गयी और कांग्रेस 42 पर ही सिमट गयी. साफ है कि या तो मणिशंकर अय्यर के नीच बयान, कपिल सिब्बल की राम मंदिर सुनवाई को चुनाव से जोड़ने की अदालत में दलील, अय्यर के घर पाकिस्तान के नेताओं की बैठक और अहमद पटेल को मुख्यंमंत्री बनाने की पाकिस्तानी अपील जैसे मुद्दे चले और मोदी ने इन मुद्दों को पकड़ कर विकास के मुद्दे को हाशिए पर धकेल दिया और चुनाव जीत लिया. या फिर कांग्रेस सीटों के बंटवारे के कारण हार गयी में इस बारे में साफ साफ नहीं कहा जा सकता है. लेकिन एक बात शीशे की तरह साफ है कि पहले चरण में विकास के नाम पर बीजेपी को वोट नहीं मिला. पहले चरण में सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात जैसे इलाके थे. सौराष्ट्र में किसान परेशान था. उसने अपने गुस्से को वोट में भी बदला. लेकिन शहरों में वैसा गुस्सा वोट में तब्दील नहीं हो सका. हार्दिक पटेल फैक्टर के नहीं चलने की बात हो रही है. इसके लिए सूरत, मेहसाणा, अहमदाबाद, राजकोट जैसे शहरों में बीजेपी को सीटें मिलना बताया जा रहा है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अमरेली, गीर सोमनाथ और अन्य ग्रामीण इलाकों में पाटीदार वोट कांग्रेस को मिला और इसका श्रेय हार्दिक पटेल को ही दिया जाना चाहिए.

कुल मिलाकर लगता है कि अय्यर के नीच जैसे बयानों से ज्यादा नुकसान कांग्रेस को उसकी दूसरे चरण का रणनीति के कारण हुआ. कांग्रेस की अपनी गलतियों ने उसे चुनाव हरवा दिया. दूसरे चरण में कांग्रेस ने 18 से 20 सीटें खराब की. कहा जाता है कि जिग्नेश और अल्पेश के कहने पर उनके लोगों को वहां से भी सीटें दे दी गयी जहां कांग्रेस खुद मजबूत  हालत में थी. जानकारों का यह भी कहना है कि जिग्नेश और अल्पेश को चुनाव लड़वा कर भी कांग्रेस ने गलती की. कांगेस को दोनों को पूरे राज्य में घुमाना चाहिए था और माहौल बनाना चाहिए था. लेकिन दोनों लड़कों को चुनाव मैदान में उतार दिया जिसके कारण दोनों अपने अपने विधानसभा चुनावों में ही सिमट कर रह गये. इसके आलावा जदयू को सात सीटें दी गयी जबकि कहा जा रहा है कि दो से ज्यादा सीटों की वह हकदार नहीं थी.उत्तर गुजरात में बागियों ने भी कांग्रेस के खेल को खराब किया. आदिवासी इलाकों में भी कांग्रेस अपनी पकड़ को कायम रखने में सफल नहीं हुई. यहां कांग्रेस को भी समझ में आ रहा था कि पाटीदारों से हाथ मिलाने के कारण आदिवासी नाराज हो सकते हैं लेकिन राहुल गांधी यहां आदिवासियों के साथ नाचते तो नजर आए लेकिन उन्हें समझाने में असफल रहे. अगर हम इन्हें मद्देनजर रख कर दूसरे चरण के चुनावी नतीजों की विवेचना करें तो ऐसी करीब बीस सीटें निर्णायक नजर आती है जिसने कांग्रेस को संभावित जीत से हार तक पहुंचा दिया.

कांग्रेस को समझ में आ गया होगा कि तीन लड़कों के साथ फाइट में तो आया जा सकता है लेकिन चुनाव जीता नहीं जा सकता. जीतने के लिए राज्य में समर्पित संगठन चाहिए था जो कांग्रेस के पास नहीं था. किसा एक को मुख्यमंत्री घोषित करने की रणनीति बनाई जा सकती थी लेकिन कांग्रेस गुटबाजी के डर से बिदकी. कुल मिलाकर गुजरात के लोगों तक कांग्रेस यह बात पहुंचाने में असफल रही कि वह सत्ता में आ सकती है और सत्ता में आकर जनता का भला बीजेपी से ज्यादा कर सकती है.

कुल मिलाकर गुजरात चुनाव का निचोड़ क्या है.... चुनाव का हीरो भले ही हार्दिक पटेल रहा लेकिन गुजरात ने राहुल गांधी को नेता भी बना दिया है. गुजरात में कवरेज के दौरान भी लोग उन्हें राहुल भाई कहते हुए दिखे. राहुल ने गठबंधन ठीक किया, जातिगत उम्मीदवारों को आगे बढ़ाया. दंगा से दंगा का नाम नहीं लेकर बीजेपी को चुनाव हिंदु- मुस्लिम नहीं बनाने दिया. बल्कि राहुल गांधी ने मंदिर मंदिर जाकर साफ कर दिया कि कांग्रेस को हिदुत्व शब्द से कोई परहेज नहीं है. कांग्रेस भी चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. हैरानी की बात है कि चुनाव के दौरान राजस्थान में एक उन्मादी हिंदु ने लव जेहाद के नाम पर एक मुस्लिम को पहले मारा, फिर जलाया और फिर सेल्फी पर देश भर के मुस्लिमों को चेतावनी दी. मोदीजी इस पर चुप रहे. लेकिन हैरानी की बात है कि कांग्रेस भी खामोश रही. साफ है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में यह संग्राम आगे बढ़ेगा और 2019 के लोकसभा चुनावों में चरम पर होगा. गुजरात चुनाव का दूसरा निचोड़ है कि किसानों का मुद्दा बहुत बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. खेती करना लगातार मुश्किल होता जा रहा है और इस दिशा में केन्द्र और राज्य सरकारों को गंभीरतापूर्वक कुछ करना ही होगा. कुल मिलाकर लगता यही है कि बीजेपी एक चुनाव जीती जिसे वह हार सकती थी. उधर कांग्रेस ऐसा चुनाव हारी जिसे वह जीत भी सकती थी.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Maharashtra Election Results 2024: 'इस जीत के पीछे ‘अडानी राष्ट्र’ की भयानक साजिश’, महाराष्ट्र में हार के बाद पूरे सिस्टम पर फूटा शिवसेना का गुस्सा
'इस जीत के पीछे ‘अडानी राष्ट्र’ की भयानक साजिश’, महाराष्ट्र में हार के बाद पूरे सिस्टम पर फूटा शिवसेना का गुस्सा
स्त्री 2 की सक्सेस के बाद राजकुमार राव ने बढ़ा दी फीस, अब चार्ज कर रहे 5 करोड़ रुपये?
स्त्री 2 की सक्सेस के बाद राजकुमार राव ने बढ़ा दी फीस, अब चार्ज कर रहे 5 करोड़ रुपये?
यूपी में अब उपचुनाव नहीं लड़ेगी बसपा? EC के सामने पूर्व सीएम मायावती ने रखी ये शर्त
यूपी में अब उपचुनाव नहीं लड़ेगी बसपा? EC के सामने पूर्व सीएम मायावती ने रखी ये शर्त
C2C IPO: निवेशकों की तिजोरी भरने के लिए तैयार है ये IPO, लिस्टिंग के दिन ही बरसेगा पैसा
निवेशकों की तिजोरी भरने के लिए तैयार है ये IPO, लिस्टिंग के दिन ही बरसेगा पैसा
ABP Premium

वीडियोज

Sambhal Clash News : संभल में बढ़ा बवाल, प्रदर्शनकारियों ने की आगजनी,वाहनों को किया आग के हवालेSambhal Clash News: संभल में उप्रद्रवियों ने की भयंकर आगजनी...काबू से निकल रहे हालात | ABP NewsSambhal Clash News : संभल में उपद्रवियों ने काटा जमकर बवाल, फूंकी कार, भड़काई हिंसाSambhal Clash News : संभल बवाल को लेकर सपा का चौंकाने वाला बयान | UP Police

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Maharashtra Election Results 2024: 'इस जीत के पीछे ‘अडानी राष्ट्र’ की भयानक साजिश’, महाराष्ट्र में हार के बाद पूरे सिस्टम पर फूटा शिवसेना का गुस्सा
'इस जीत के पीछे ‘अडानी राष्ट्र’ की भयानक साजिश’, महाराष्ट्र में हार के बाद पूरे सिस्टम पर फूटा शिवसेना का गुस्सा
स्त्री 2 की सक्सेस के बाद राजकुमार राव ने बढ़ा दी फीस, अब चार्ज कर रहे 5 करोड़ रुपये?
स्त्री 2 की सक्सेस के बाद राजकुमार राव ने बढ़ा दी फीस, अब चार्ज कर रहे 5 करोड़ रुपये?
यूपी में अब उपचुनाव नहीं लड़ेगी बसपा? EC के सामने पूर्व सीएम मायावती ने रखी ये शर्त
यूपी में अब उपचुनाव नहीं लड़ेगी बसपा? EC के सामने पूर्व सीएम मायावती ने रखी ये शर्त
C2C IPO: निवेशकों की तिजोरी भरने के लिए तैयार है ये IPO, लिस्टिंग के दिन ही बरसेगा पैसा
निवेशकों की तिजोरी भरने के लिए तैयार है ये IPO, लिस्टिंग के दिन ही बरसेगा पैसा
Election Results 2024 Live: झारखंड में JMM गठबंधन की बैठक, आज ही राज्यपाल को सौंपा जाएगा समर्थन पत्र, शपथ ग्रहण पर कांग्रेस ने दी जानकारी
Live: झारखंड में JMM गठबंधन की बैठक, आज ही राज्यपाल को सौंपा जाएगा समर्थन पत्र, शपथ ग्रहण पर कांग्रेस ने दी जानकारी
Ramlila Maidan: दिल्ली पुलिस ने रामलीला मैदान की बढ़ाई सुरक्षा, मौलाना तौकीर रजा ने दी थी ये चेतावनी 
दिल्ली पुलिस ने रामलीला मैदान की बढ़ाई सुरक्षा, मौलाना तौकीर रजा ने दी थी ये चेतावनी 
IPL 2025 मेगा ऑक्शन में इन खिलाड़ियों पर होंगी सबकी नजरें, 20 करोड़ तक की लग सकती है बोली
IPL 2025 मेगा ऑक्शन में इन खिलाड़ियों पर होंगी सबकी नजरें, 20 करोड़ तक की लग सकती है बोली
Stock Market: शेयर बाजार पर भी दिखेगा विधानसभा चुनाव के रिजल्ट का असर, क्या मार्केट में आएगी पॉजिटिव हलचल?
शेयर बाजार पर भी दिखेगा विधानसभा चुनाव के रिजल्ट का असर, क्या आएगी तेजी?
Embed widget