राजनीति में शह और मात का खेल तबतक खत्म नहीं होता है जबतक दुश्मन चारों खाने चित न हो जाए. यही खेल गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच चल रहा है. एक दूसरे को पछाड़ने के लिए एक से एक दांव अपनाया जा रहा है. मतलब एक चूक, ताश के पत्ते की तरह सारी रणनीति धाराशायी हो सकती है. जिस राहुल गांधी की काबिलियत पर लोगों को शक हो रहा था उसी राहुल गांधी ने गुजरात में अचूक रणनीति बनाई है. बीजेपी के 22 साल की सत्ता को उखाड़ने के लिए सियासी समीकरण सेट किये हैं. हिंदुत्व कार्ड को निष्क्रिय करने के लिए राहुल गांधी ने गुजरात की युवा त्रिमूर्ति के जरिए बीजेपी के खिलाफ जबर्दस्त घेराबंदी करने के लिए जातिगत फॉर्मूला बनाया. उनकी रणनीति बीजेपी की चाल पर भारी पड़ रही है. कहने को तो विकास पर चुनाव लड़ा जा रहा है लेकिन विकास जातिवाद की राजनीति में दब गई है. राहुल गांधी एक तरफ जातिवाद की राजनीति कर रहे हैं तो दूसरी तरफ मंदिर-मंदिर जाकर ये बताने की कोशिश कर रहें हैं वे भी एक सच्चे हिंदू हैं तो तीसरी तरफ गोधरा दंगे की बात नहीं कर रहे हैं वहीं जुबान से मुस्लिम शब्द गायब हो गया है. बीच-बीच में नोटबंदी-जीएसटी को तानकर विकास की धुन भी बजाने लगते हैं.


बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह और निर्णायक नेता नरेंद्र मोदी के सामने चुनौती खड़ी हो गई कि कैसे राहुल गांधी की चाल से निपटा जाए और कैसे कांग्रेस पार्टी को घेरा जाए. बीजेपी की रणनीति है कि राहुल गांधी की चाल को जातियता, हिंदू कार्ड और गुजरात की अस्मिता के मुद्दे को उछालकर पंक्चर किया जाए. वही हुआ कपिल सिब्बल और मणिशंकर अय्यर के बयान से बीजेपी को संजीवनी मिल गई है. विवादों से करीबी नाता रखने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी के खिलाफ शर्मनाक बयान दिया. अय्यर ने मोदी को ‘नीच’ आदमी कहा है. उन्होंने कहा है, 'मुझको लगता है कि ये आदमी बहुत ‘नीच’ किस्म का आदमी है, इसमें कोई सभ्यता नहीं है'. इस बयान से राजनीतिक भूचाल आ गया है. नरेन्द्र मोदी ने नीच वाले बयान को गुजरात की अस्मिता से जोड़ दिया है. उन्होंने सूरत की चुनावी रैली में कहा, अय्यर कहते हैं कि मोदी ‘नीच’ जाति का है. ये गुजरात का अपमान है. मुगल संस्कार वालों को मेरे जैसे अच्छे कपड़े पहनना सहन नहीं होता है. कांग्रेसी नेताओं ने मुझे गधा और गंदी नाली का कीड़ा कहा. चुनाव के नतीजे बताएंगे कि गुजरात के बेटे के अपमान का बदला कैसे लिया जाता है.


वहीं कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में विवाविद रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद के मसले को 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सुनने की वकालत की थी. कपिल सिब्बल के बयान को भी बीजेपी खूब भुनाने की कोशिश कर रही है.


‘नीच’ बयान से कैसे मोदी को फायदा होगा?


राजनीति की अपनी दुनिया है कभी घायल होने पर छूईमूई हो जाती है तो कभी फुफकार मारती है. इसीलिए कहते हैं कि राजनीति में एक जोड़ एक कभी दो नहीं होता है बल्कि 11 और शून्य भी हो सकता है. गुजरात में कमोबेश वोटर अपना मूड बना चुके हैं और कहा जाता है कि राजनीतिक भूचाल को छोड़कर सामान्य तौर पर वोटर मूड नहीं बदलते हैं. लेकिन बीजेपी दोनों नेताओं के बयान से राजनीति भूचाल लाने में जुटी हुई है. कांग्रेस की जातिवादी राजनीति की काट के लिए बीजेपी तीन बड़े दांव खेल रही है जिसकी वजह से कांग्रेस की रणनीति भी हिल रही है. सोमनाथ मंदिर के रजिस्टर में राहुल की एंट्री पर कांग्रेस ने खूब सफाई दी लेकिन नन हिंदू रजिस्टर में राहुल के नाम दर्ज करनेवाला शख्स को कभी मीडिया को सामने नहीं लाई बल्कि राहुल को जनेऊधारी हिंदू घोषित कर दिया गया. वहीं राममंदिर पर कपिल सिब्बल की वजह से कांग्रेस की खूब किरकिरी हुई वहीं मणिशंकर अय्यर को पार्टी से निलंबित कर दिया. लेकिन मामला खत्म नहीं हुआ क्योंकि आजादी के 70 साल बाद भी चुनाव जाति और धर्म के नाम से लड़े जाते हैं. साफ है कि वोटर भी इस खेल के भागीदार हैं.


बीजेपी ने मणिशंकर अय्यर के बयान को गुजरात की अस्मिता से जोड़ दिया है. नीच वाले बयान पर गुजरात की जनता कह रही है कि ये गलत बयान है. बीजेपी इसे खूब भुनाने की कोशिश करेगी कि गुजराती नेताओं के खिलाफ कांग्रेस की कैसी सोच है. इसे हर वोटर के पास पहुंचाने की कोशिश करेगी ताकि वोटरों में कांग्रेस के प्रति नाराजगी फैले और वोटर वोट देने के लिए मतदान केन्द्र पहुंचे. अगर मतदान ज्यादा होता है तो बीजेपी को इसका फायदा हो सकता है. ऐसे वोटर जो बीजेपी की नीति और पॉलिसी की वजह से नाराज चल रहे हैं वो वोटर गुजरात अस्मिता के नाम पर बीजेपी की तरफ रुख कर सकते हैं. वहीं ओबीसी वोटर पर ‘नीच’ वाले बयान से खास असर हो सकता है. मोदी भी ओबीसी जाति से आते हैं. मणिशंकर और कपिल सिब्बल के बयान से बीजेपी को कितना फायदा होगा ये 18 दिसंबर को ही पता चलेगा लेकिन अगर कांग्रेस हारती है तो जरूर हार का ठीकरा मणिशंकर अय्यर और कपिल सिब्बल के सर पर फोड़ा जाएगा.


धर्मेन्द्र कुमार सिंह राजनीतिक-चुनाव विश्लेषक हैं और ब्रांड मोदी का तिलिस्म के लेखक हैं.


लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें https://twitter.com/dharmendra135


लेखक से फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें www.facebook.com/dharmendra.singh.98434


(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)