केपटाउन टेस्ट मैच दक्षिण अफ्रीका ने 72 रनों से जीत लिया. भारतीय बल्लेबाजी पूरी तरह पटरी से उतरी नजर आई. दोनों पारियों को मिलाकर भारतीय बल्लेबाज करीब 115 ओवर ही बल्लेबाजी कर पाए. फिलैंडर ने दोनों पारियों को मिलाकर 9 विकेट लिए. आज अखबारों की सुर्खियां हैं इंडिया ने फिलैंडर के सामने सरेंडर कर दिया. केपटाउन टेस्ट में हार के बाद विराट कोहली को हार की वजहों पर काम करना होगा. उन्हें ये समझना होगा कि पहली पारी में 209 रन बनाकर भूल हुई या दूसरी पारी में 135 रन बनाकर.

इस सवाल का जवाब आने वाले दो टेस्ट मैचों में विराट कोहली की मदद करेगा. आपको बता दें कि अगला टेस्ट मैच 13 जनवरी से सेंचुरियन में खेला जाना है. वहां की पिच पर भी भारतीय बल्लेबाजों को वही मुश्किल आएगी जैसी केपटाउन में आई. भारतीय बल्लेबाजों को ये समझना होगा कि जहां तोड़ने की जरूरत है वहां रोकने से काम नहीं चलेगा. चलिए पहली पारी की भूल को थोड़ा तफ्सील से समझते हैं. ये जानते हैं कि पहली पारी में टीम इंडिया के बल्लेबाजों से कहां हुई गलती.

दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों ने दिखाई समझदारी
पहली पारी में जब दक्षिण अफ्रीका ने 12 रन पर 3 विकेट गंवा दिए तो उनके बल्लेबाजों को ये समझ आ गया कि इस पिच पर टेस्ट मैच की परंपरागत बल्लेबाजी नहीं की जा सकती है. कहने का मतलब ये है कि वहां रूककर टिककर बल्लेबाजी करने की जरूरत नहीं है. इसका नतीजा ये हुआ कि दक्षिण अफ्रीका के मिडिल ऑर्डर बल्लेबाजों ने तेजी से रन बटोरने शुरू किए. एबी डीविलियर्स, ड्यूप्लेसी और क्विंटन डी कॉक निचले क्रम में केशव महाराज ने भी यही बुद्धिमानी दिखाई. डीविलियर्स ने 84 गेंद पर 65 रन, ड्यूप्लेसी ने 104 गेंद पर 62 रन, क्विंटन डी कॉक ने 40 गेंद पर 43 रन और केशव महाराज ने 47 गेंद पर 35 रन बनाए. केपटाउन की पिच पर बल्लेबाजी करना मुश्किल इनके लिए भी था, लेकिन उन्होंने विकेट पर टिकने की बजाए रन बनाने की रणनीति बनाई, जो कारगर साबित हुई.

इससे ठीक उलट पहली पारी में भारतीय टीम का मिडिल ऑर्डर क्रीज पर टिककर बल्लेबाजी करने की कोशिश करता नजर आया. टेस्ट क्रिकेट में विकेट पर टिकने में कोई बुराई नहीं है लेकिन पिच के मिजाज को देखते हुए. चेतेश्वर पुजारा 26, विराट कोहली 5 और रोहित शर्मा 11 रन बनाकर आउट हो गए. हार्दिक पांड्या हालात को भांप गए. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट की परंपरा को छोड़कर अपनी परंपरा से बल्लेबाजी करनी शुरू की. उन्होंने 95 गेंद पर 93 रन ठोंक दिए. इसमें 14 चौके और 1 छक्का शामिल था. उनकी इस बल्लेबाजी की बदौलत भारत 200 रनों के पार पहुंच गया.



अब जरा सोचिए पुजारा, विराट, रोहित, साहा ने 10-10 या 15-15 रन और जोड़ दिए होते तो क्या होता. सीधी सी बात है कि दक्षिण अफ्रीका को पहली पारी में जो 77 रनों की अहम बढ़त मिली वो नहीं मिली होती. इसके बाद का मैच तो भारत के पक्ष में रहा है.

दूसरी पारी में दक्षिण अफ्रीका भी लड़खड़ाया  
दूसरी पारी में 52 रन पर पहला विकेट गंवाने के बाद दक्षिण अफ्रीका की पूरी टीम भी सिर्फ 130 रनों पर सिमट गई. जाहिर है उन्हें भी बल्लेबाजी करना मुश्किल हो रहा था. जबकि दूसरी पारी में भारतीय टीम ने गिरते पड़ते 135 रन बनाए. दक्षिण अफ्रीका से 5 रन ज्यादा. हार की वजह बनी पहली पारी में दक्षिण अफ्रीका को मिली बढ़त. दूसरी पारी मे विराट कोहली को ये बात समझ आ गई थी कि इस पिच पर बल्लेबाजी का अंदाज क्या होना चाहिए. उन्होंने 40 गेंद पर 28 रन बनाए, जिसमें 4 चौके शामिल थे. बदकिस्मती थी कि वो आउट हो गए.


टेस्ट क्रिकेट में हमेशा से रवायत है कि सेशन जीते जाते हैं, जो टीम ज्यादा सेशन जीतती है वो ही मैच जीतती है. वो एक-डेढ़ सेशन का खेल भारत को भारी पड़ गया जब पहली पारी में डीविलियर्स, ड्यूप्लेसी और डीकॉक ने तेजी से रन बटोर लिए. भारतीय टीम को भी अगले दोनों टेस्ट मैचों में पिच के हालात को देखते हुए अपने खेलने के अंदाज में तेजी से बदलाव करना होगा.