वेस्टइंडीज के लिए भले ही ये टॉप-4 की रेस में बने रहने की आखिरी लड़ाई है लेकिन भारत के लिए इस मैच का नतीजा किसी तरह का खतरा लेकर आने वाला नहीं. भारतीय टीम अब तक खेले गए 4 के 4 मैच जीत चुकी है. न्यूज़ीलैंड के खिलाफ एक मैच बारिश की भेंट जरूर चढ़ा. बावजूद इसके भारत का टॉप-4 में पहुंचना तय है. दूसरी तरफ वेस्टइंडीज की टीम के पास जो एकाध फीसदी उम्मीद है वो सिर्फ और सिर्फ तभी कायम रह सकती है जब वो भारत को हराए. इस इरादे के साथ कैरिबियन टीम जब मैदान में उतरेगी तो उनके सामने टीम इंडिया की एक कमजोरी पर हमला करने का मौका होगा. ये कमजोरी है अनसेटल मिडिल ऑर्डर. विश्व कप के काफी पहले से चली आ रही इस दिक्कत का समाधान भारतीय टीम अभी तक नहीं निकाल पाई है. नंबर चार पर बल्लेबाजी कौन संभालेगा ये प्रश्न अब भी हर मैच से पहले टीम इंडिया को परेशान कर रहा है. टीम इंडिया इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए विजय शंकर को इंग्लैंड लाई थी. लेकिन विजय शंकर शुरूआती मौकों में इस जिम्मेदारी को उठाने में नाकाम दिख रहे हैं. विजय शंकर को अकेले दोष देना ठीक नहीं है सच्चाई ये है कि इस विश्व कप में टीम इंडिया का मिडिल ऑर्डर अभी तक क्लिक नहीं हुआ है.
टीम इंडिया का असली डर है मिडिल ऑर्डर
ज्यादा पुरानी बात नहीं करते. इसी विश्व कप के मैचों को देख लीजिए. हार्दिक पांड्या को छोड़ दें तो बाकि सभी मिडिल ऑर्डर बल्लेबाजों का स्ट्राइक रेट 80 के आस पास आकर टिक जाता है. यही वजह है कि भारतीय टीम पाकिस्तान के खिलाफ साढ़े तीन सौ का आंकड़ा पार नहीं कर पाई या अफगानिस्तान के खिलाफ मैच के दौरान विराट के आउट होने के बाद सारे के सारे बल्लेबाज टेस्ट मैच की तरह बल्लेबाजी करने लगे. कुछ आंकडें बताते हैं, महेंद्र सिंह धोनी ने 4 मैचों में 114 गेंद पर 90 रन बनाए हैं. उनकी स्ट्राइक रेट 79 की है. इसके अलावा केदार जाधव ने 3 मैचों में 76 गेंद पर 61 रन बनाए हैं. उनकी स्ट्राइक रेट 80 की है. विजय शंकर ने दो मैचों में 56 गेंद पर 44 रन बनाए हैं. उनकी स्ट्राइक रेट 79 की है. केएल राहुल ने 2 पारियों में 45 गेंद पर 37 रन बनाए हैं. उनकी स्ट्राइक रेट 82 की है. ये इन बल्लेबाजों के मिडिल ऑर्डर के आंकड़े हैं. जो साफ तौर पर दिखाते हैं कि टॉप ऑर्डर जब तक चमक रहा है तब तक तो ठीक है. अगर टॉप ऑर्डर लड़खड़ाता है तो मिडिल ऑर्डर बुरी तरह एक्सपोज होता है. जैसा अफगानिस्तान के खिलाफ मैच मे हुआ था.
क्या मिडिल ऑर्डर में दिखेगा बदलाव
यही वजह है कि वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच में टीम इंडिया में बदलाव दिख सकता है. जो एक बदलाव इस वक्त जरूरी लग रहा है वो है विजय शंकर की जगह ऋषभ पंत. ऋषभ पंत को शिखर धवन की जगह टीम में शामिल किया गया है. जो चोट की वजह से टूर्नामेंट से बाहर हो गए थे. ऋषभ पंत आक्रामक बल्लेबाज हैं. अगर भारतीय टीम मैनेजमेंट धोनी या केदार जाधव में से किसी एक बल्लेबाज को नंबर चार पर खिलाती है तो ऋषभ पंत निचले क्रम में आकर तेजी से रन बटोर सकते हैं. धोनी और केदार जाधव दोनों विकेट पर टिककर खेलने वाले बल्लेबाज हैं. इन दोनों बल्लेबाजों से ये उम्मीद की जा सकती है कि अगर किसी मैच में टॉप ऑर्डर जल्दी आउट होता है तो ये विकेट पर डेरा डाल सकते हैं. ऐसे में बाद के ओवरों में ऋषभ पंत को रनों की रफ्तार बढ़ाने की जिम्मेदारी के साथ भेजा जा सकता है. ऋषभ पंत को आने वाले मैचों में टीम इंडिया हर हाल में आजमाएगी ऐसे में 30 जून को इंग्लैंड के खिलाफ होने वाले कठिन मैच से पहले अगर ऋषभ पंत प्लेइंग 11 का हिस्सा बनाए जाते हैं तो उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा. उन्हें लंबे समय तक प्लेइंग 11 से बाहर रखना बुद्धिमानी नहीं.