फ्रांस में पहले एक स्कूल शिक्षक को मारा गया उसके बाद चर्च में तीन लोगों की हत्या कर दी गयी. यह सब कटटर इस्लामिककरण के कारण हो रहा है. हैरत की बात है कि इस्लाम के नाम पर मासूमों का खून बहाने वालों के पक्ष में पाकिस्तान , टर्की , बांग्लादेश जैसे देश सामने आ रहे हैं. भारत ने फ्रांस का साथ दिया है यानि आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई है. हत्यारे बाहर से आ रहे हैं. उन्हें देश में रह रहे मुस्लिम लोगों से मदद मिल रही है. यह अपने आप में चिंता की बात है क्योंकि फ्रांस हमेशा से मल्टीकल्चर समाज का प्रतिनिधित्व करता रहा है. वहां की दस फीसद आबादी मुस्लिम है. वहां की फुटबाल टीम में भी हमें एशिया , अफ्रीका मूल के लोग मिल जाते हैं. लेकिन यह कहानी शुरु कहां से हुई थी उस पर प्रकाश डालते हैं.


फ्रांस में एक स्कूल शिक्षक की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गयी क्योंकि वो अभिव्यक्ति की आजादी के मायने अपने छात्रों को समझा रहे थे. हत्यारा सिर्फ 18 साल का था और इस्लामिक कटटरता का शिकार था. फ्रांस वो देश है जो किसी भी धर्म को मानने और विचार प्रकट करने की पूरी आजादी देता है. लेकिन इस खुलेपन का खामियाजा मासूम लोगों को उठाना पड़ रहा है और कटटरवादी इसका बेजा फायदा उठा रहे हैं. फ्रांस की राजधानी पेरिस के पास एक उपनगर में पुलिस और इस्लामिक आतंकवादी की हिंसक मुठभेड़ होती है. पुलिस के बार बार चेतावनी देने पर भी 18 साल का हत्यारा आत्मसमर्पण नहीं करता तो पुलिस को मजबूरी में गोली चलानी पड़ती है. हत्यारा मारा जाता है.


पुलिस को हत्यारे के शव के पास मिले फोन से एक संदेश मिलता है. संदेश टवीट किया गया था. इसमें हत्यारे ने स्कूल के शिक्षक सैमुअल पैटी के शव के साथ फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों को संदेश भेजा था. अल्लाह के नाम पर जो बहुत दयालु है ...राष्ट्रपति मैक्रों के नाम जो धोखेबाजों के नेता हैं..मैंने आपके एक समर्थक को जान से मार दिया है जिसने पैगम्बर मोहम्मद की तौहीन करने की हिमाकत की थी. इस पोस्ट को तो टवीटर ने हटा लिया था लेकिन ये टवीट इस्लामिक आतंकवाद के सबसे घिनौने रुप को , उसकी बर्बरता को सामने रखता है. 18 साल के हत्यारे ने कोनफ्लांस सेंट होनोरीन नाम के कस्बे में स्कूल के इतिहास टीचर सैमुअल पैटी की गला रेत कर निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी थी. पैटी अपनी क्लास में बच्चों को अभिव्यिक्ति की आजादी का मतलब समझा रहे थे. इसके लिए उन्होंने पैगंबर मोहम्मद पर बने कुछ कार्टून बच्चों को दिखाए थे.


आपको याद होगा कि कुछ साल पहले पेरिस में ही शार्ली एब्दो नाम की एक कार्टून पत्रिका के संपादक और स्टाफ के कुछ लोगों की इस्लामिक कट्टरपंथियों ने दिन दहाड़े हत्या कर दी थी. उस समय भी अभिव्य्कित की आजादी को सबसे उपर रखा गया था. इतिहास के शिक्षक सैमुअल पैटी यही बता रहे थे कि अभिव्यिकित की आजादी का सबको सम्मान करना पड़ता है. इसके लिय़े ही उन्होंने पैगम्बर मोहम्मद पर बने कार्टून को दर्शाया था. उनका मकसद अपमान करना या नीचा दिखाना कतई नहीं था. वो तो ये बताने की कोशिश कर रहे थे कि आप किसी के विचारों से....किसी के बनाए कार्टून से सहमत हो सकते हैं. आप असहमत हो सकते हैं लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने मायने हैं. इस आजादी को हमें बनाए रखना है तो हमें इस अधिकार का हर हालत में सम्मान करना है.


फ्रांस पुलिस के अनुसार पैटी के कुछ मुस्लिम छात्रों ने ये बात घर पर बताई तो कुछ मां बाप नाराज हुये कि मोहम्मद साहब का इस तरह विवरण करना ईशनिंदा के तहत आता है. एक छात्र के पिता ने कुछ वीडियो इस पर बनाए और उन्हें देख कर 18 साल का चेचेन्या का मूल निवासी इस्लामिक आतंकवादी भड़क उठा. चेचेन्या सोवियत रुस से अलग हुआ था और वहां इस्लामिक कटटरता के चलते आए दिन बम फटते रहते हैं. तो ये हत्यारा भी वहीं से पेरिस आया था. यहां की सरकार ने उसे शरण दी थी. उसकी सुविधाओं का ख्याल रखा था. और यही युवक इस्लामिक कटटरता का चाकू थामें शिक्षक सैमुअल पैटी के पास जाता है और अल्लाह हू अकबर का नारा लगाते हुए चाकू से सर कलम कर देता है.


इसके बाद उसकी तलाश हुई. उसके मां पिता दादा दादी और छोटे भाई को पुलिस ने गिरफ्तार किया. वीडियों अपलोड करने वाले एक छात्र के पिता को भी पकड़ा जिसकी सौतेली बहन 2014 में सीरिया में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के साथ शामिल हो गयी थी. खैर , 18 साल का हत्यारा मारा गया. फ्रांस के राषट्रपित मैक्रों मृतक के घर पहुंचे जहां उन्होंने कहा कि टीचर की हत्या इसलिए की गयी क्योंकि वो अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का इस्तेमाल कर रहा था. वो इस्लामिक कटटरता के शिकार हुए. आगे उन्होंने चरमपंथियों के खिलाफ एकजुट होने की अपील की. फ्रांस में साठ लाख मुस्लिम रहते हैं और ईसाई धर्म के बाद इस्लाम दूसरा सबसे बड़ा धर्म है. फ्रांस ने सीरिया में आंतकवादी हमले के बाद वहां से आए बहुत से शरर्णाथियों का दिल खोलकर स्वागत किया है. इस्लाम मानने वालों को अपने यहां बिना किसी शर्त के पनाह दी जिन्हे कोई दूसरा देश स्वीकारने को तैयार नहीं था. अब जानकारों का कहना है कि इस आजादी , इस खुलेपन का गलत इस्तेमाल इस्लामिक आतंकवादी कर रहे हैं और कटटरता के नाम पर कुछ लोग इसे बढ़ावा भी दे रहे हैं. राष्ट्रपति मैक्रों का भी कहना है कि इस्लामिक कटटरता खतरनाक चरम पर जा पहुंची है. बहुत संभव है कि फ्रांस अब अपनी शरण देने की नीति में बदलाव करे. अगर ऐसा हुआ तो उसके लिए जिम्मेदार कटटरवादी ही होंगे.