ऋषभ पंत. कुल जमा 20 साल और 320 दिन ही तो उम्र है उनकी. यानी अभी 21 के भी नहीं हुए हैं ऋषभ. उस पर से उन्हें मुश्किल वक्त में टीम इंडिया से जोड़ा गया. दबाव अपने चरम पर था. ये पता था कि नॉटिंघम टेस्ट में उनके प्रदर्शन पर सभी की नज़र है. बावजूद इसके विकेट के पीछे लगातार उनके चेहरे पर एक खिलखिलाती मुस्कान दिखती रही.

व्यावहारिकता और दबाव के लिहाज़ से ये टेस्ट क्रिकेट में उनका आख़िरी मौक़ा नहीं था लेकिन हाथ आए पहले मौक़े को ही क्यों ना लपका जाए? ऋषभ पंत ने शायद इसी ‘अप्रोच’ के साथ टेस्ट कैप पहनी थी. उन्होंने इस बात को दिमाग से निकाल दिया था कि वो जिस टीम के प्लेइंग 11 का हिस्सा बनाए गए हैं वो पाँच टेस्ट मैचों की सीरीज़ में पहले दो मैच हार चुकी है.

उन्होनें अपने करियर की शुरूआत नॉटिंघम से की. बग़ैर किसी पूर्व दबाव के. जिस खिलाड़ी की जगह उन्हें शामिल किया गया था उसका बड़ा जलवा है. दिनेश कार्तिक पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से टीम इंडिया का हिस्सा रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि दिनेश कार्तिक को टीम में बतौर ओपनर, बतौर विकेटकीपर और बतौर मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज़ जगह दी जा चुकी है. लेकिन ऋषभ पंत के चेहरे की मुस्कान बता रही कि वो इस तरह की बातों से बिल्कुल बेफिक्र हैं.

अपनी हंसी और प्रदर्शन से जीता दिल
नॉटिंघम टेस्ट के पहले दिन जब वो बल्लेबाजी करने उतरे तो भारतीय टीम ठीक स्थिति में थी. ऋषभ पंत को टीम में इसलिए शामिल किया गया था कि वो इंग्लैंड के गेंदबाजों पर आक्रमण करेंगे. ऋषभ ने बिल्कुल बेफ्रिक अंदाज में बल्लेबाजी की. उन्होंने अपने टेस्ट करियर की शुरूआत छक्के से की. जो इस बात को बताने के लिए काफी है कि उन्हें किस ‘टेंपरामेंट’ के लिए टीम से जोड़ा गया है. बाद में स्टुअर्ट ब्रॉड की जिस गेंद पर वो आउट हुए वो उनके बल्ले से लगे ‘इनसाइड एज’ का कमाल था. आउट होने से पहले ऋषभ पंत ने 24 रन बनाए.

खैर, उनके आउट होने के तुरंत बाद भारतीय टीम सिमट गई. अब ऋषभ पर दूसरी जिम्मेदारी थी विकेट के पीछे मोर्चा संभालने की. पिच पर अच्छा ‘मूवमेंट’ था. विकेटकीपिंग करना इतना आसान नहीं था. कॉमेंट्री के दौरान संजय मांजरेकर ने कहा भी कि वो ऋषभ पंत की विकेटकीपिंग देखना चाहेंगे क्योंकि उनकी पहली जिम्मेदारी कीपिंग है. ऋषभ पंत ने इस मोर्चे पर भी अपने कप्तान और टीम को निराश नहीं किया. उन्होंने 5 कैच लपके. सबसे पॉजिटिव बात ये थी कि उनके चेहरे पर लगातार एक मुस्कान थी जो साथी खिलाड़ियों का हौसला बढ़ा रही थी. ऋषभ विकेट के पीछे खासे चुस्ती फुर्ती में दिखे. मोहम्मद शमी की गेंदों को उन्होंने अपनी बाईं तरफ ‘डाइव’ करके भी रोका.

पंत ने एलिस्टर कुक, जेनिंग्स, पोप, क्रिस वोक्स और आदिल रशीद को विकेट के पीछे लपका. टेस्ट करियर की पहली पारी में ही पांच शिकार बनाने वाले वो दुनिया के तीसरे और एशिया के पहले विकेटकीपर भी बन गए.

सीरीज में चमक गए तो होगा बड़ा फायदा
अभी इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के दो मैच बाकि हैं. भारतीय टीम को इसी साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी एक मुश्किल सीरीज खेलनी है. ऋद्धमिमान साहा अनफिट हैं. दिनेश कार्तिक अपने औसत प्रदर्शन से लाचार हैं. पार्थिव पटेल के नाम की चर्चा नहीं है. ऐसे में ऋषभ पंत का दावा काफी मजबूत रहेगा. दिलचस्प बात ये भी है कि दिनेश कार्तिक, पार्थिव पटेल और ऋद्धिमान साहा तीनों ही करीब 33 साल के हो गए हैं. जबकि ऋषफ अभी 21 के भी नहीं हुए. उनके पास भारतीय टीम से जुड़कर लंबे समय तक खेलने की उम्र है.

घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में शानदार प्रदर्शन की बदौलत वो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट तक पहुंचे हैं. आगे का रास्ता उन्हें खुद ही तय करना है. जिसमें उनके प्रदर्शन की भूमिका सबसे बड़ी होगी. भूलना नहीं चाहिए कि पिछले एक डेढ़ साल से वनडे और टी-20 टीम में धोनी की उपयोगिता को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि धोनी वनडे टीम के सबसे अनुभवी विकेटकीपर हैं लेकिन ऋषभ पंत का अच्छा प्रदर्शन उनके लिए वनडे टीम का रास्ता भी खोल सकता है.