इस तरह की सूचना के बाद फिर जसदेव सिंह की ही आवाज गूंजती थी और हाकी का चल रहा खेल लोगों की कल्पना में इस तरह उतरता था मानों वह स्टेडियम में ही बैठे हों. भारतीय खेल प्रमियों के लिए यह खेल की आवाज थी. लेकिन जो खेल की दुनिया से अलग थे उनके लिए गणतंत्र दिवस की झांकियां जसदेव सिंह की आवाज से सजा करती थी.
हाकी का मैच और जसदेव सिंह की कमेंट्री. हाकी की स्टिक से चलती गेंद की गति और लय पर सधी हुई कमेंट्री और मैच भारत पाकिस्तान का हो तो क्या कहना. एक तरफ इस्लाउद्दूीन, मंजूर सीनियर, मंजूर जूनियर, कलीमुल्ला और इधर भारत के अजितपाल, गोविंदा ,अशोका, असलम शेर खान. हाकी उसके जाने माने खिलाडियों से ही नहीं बल्कि जसदेव सिंह जैसे कमेंट्रेटर के कारण भी रोमांचित हई है. जो लोग रेडियों में दशकों तक हाकी की कमेंट्री सुनते रहे हैं उन्हें लगता था मानों खेल उनके सामने ही हो रहा हो. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कभी उन्हें कहा था आपकी कमेंट्री हमारी दिल की धडकन को तेज करती है. और यह बात भी खेल जगत में काफी सुर्खियों में रही जब एक महिला ने खुश होकर कहा था, जसदेवजी क्या आपके मुंह में मोटर लगी है. जसदेव सिंह एक तरह से कमेंट्री के लिए समर्पित थे. नौ ओलंपिक, आठ हाकी विश्व कप, छह एशियन कप की कमेंट्री करने वाले जसदेव सिंह का जलवा था कि एक समय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक बड़े खेलआयोजन में उनका विशेष तौर पर जिक्र किया. ओलपिंक आर्डर और पद्म श्री जैसे सम्मान से नवाजे गए जसदेव सिंह ने उपेक्षा का वह क्षण भी देखा जब कामनवेल्थ गेम में उन्हें सामान्य आमंत्रण कार्ड भी नहीं दिया गया. जसदेव सिंह ने बहुत संयम के साथ अपनी बात कही थी कि वह अपेक्षा कर रहे थे कि उन्हें आमंत्रण मिलेगा. वास्तव में देश की बड़ी खेल स्पर्धा ऐसी हो सकती है कि जिसमें जसदेव सिंह, पीटी उषा या अशोका को न बुलाया जाए.
महात्मा गांधी की अंतिम यात्रा को जिस तरह प्रख्यात कमेंट्रेटर मेलविलि डि मेलो रेडियो में सुना रहे थे उसे सुनकर जसदेव सिंह के मन में आया कि वह भी कमेंट्रेटर बने. जयपुर के उस परिवार में जोरदार हंसी गूंजी थी जब जसदेव सिंह ने अपनी मां से कहा था कि वह हिदी का कमेंट्रेटर बनना चाहते थे. दरअसल जसदेव सिंह को तब हिंदी नहीं आती थी. लेकिन वह मन बना चुके थे. सबसे पहले स्कूल कालेज के कार्यक्रमों में वो उदघोषक बने और फिर 1963 में एक अवसर आया जब उन्हें फुटबाल मैच की कमेंट्री करने के लिए कहा गया. जसदेव सिंह के लिए इसके बाद अवसर ही अवसर थे. एक साल में ही उन्हें रिपब्लिक डे पर कमेंट्री करने का अवसर आया. लेकिन वह अपनी पूरी जिंदगी में उस फुटबाल मैच को नहीं भूले जिसने उनकी राह खोली थी.
भारतीय हाकी मैदान में जितनी कुशलता से खेली जाती रही उस खेल को दूर दूर तक अपनी आवाज से पहुंचाते रहे जसदेव सिंह. कितनी खूबसूरती से बताते थे कि गोली की रफ्तार से तेज दौडते हैं गोविंदा, क्या लाजवाब था आपका कहना कि पाकिस्तान के तीन फारर्वड एक दम भारत की डी पर, लेकिन भारत की होशियार तेजतर्रार रक्षापंक्ति ने उन्हें डी के पास रोक दिया. और ये अशोका गेंद को लेकर अकेले ही चल पड़े. दो खिलाडियों के बीच गेंद को खूबसूरती से निकालते हुए जिस तरह आगे बढ गए हैं उन्हें गोल मिलेगा. भारतीय हाकी की यही खूबसूरती है. आगे के समय में जफर इकबाल, मोहम्मद शाहिद और उधर से हसन सरदार. ऑस्ट्रलिया, हालैड, पश्चिमी जर्मनी हर देश की हाकी को खूबसूरती से बताते रहे जसदेव सिंह. पाल लिटजन, रिक चाल्सर्वथ, जुआन अमात से लेकर बोवलेंडर तक हर खिलाडी की कला ताकत और खेल के आकर्षण को जसदेव ने बहुत सुंदर शब्द दिए. खेल की दुनिया अपने इस नायक को हमेशा याद रखेगी. '
भारतीय खेलों में हाकी में ही सिमटे लेकिन गणतंत्र दिवस की भी वो झलकियां दर्ज हैं जहां जसदेव सिंह बताते चलते थे कि कौन सा अस्त्र है, कौन सी घुड़सवार टुकडी राजपथ पर आगे बढ रही है. कौन से राज्य की सांस्कृतिक झांकी अपनी सुंदर छटा के साथ है. 26 जनवरी हो तो वह दिल्ली में उस पर्व पर आए लोगों के उत्साह उमंग को बताते चलते थे तो बहुत ही रोमाचंक लगता था. कभी कोहरे के बीच तो कभी हल्की बूंदाबादी, कभी खिली हुई धूप, 26 जनवरी के लिए दिल्ली जिस तरह सजी हो जसदेव की कमेंट्री उस मंजर को बखूबी देश के दूरदराज लोगों तक पहुंचाती थी. लगता था मानों देश राजपथ की उस झांकी को देख रहा हो.
जसदेव यह शौर का दौर है. मगर आपकी आवाज सुनने की चाह हमेशा बनी रही.
एक समय था आप की कमेंट्री, अमीन सयानी के फिल्मी गीतों के कार्यक्रम और देवकी नंदन पांडे का समाचार वाचन. देवकी नंदन पांडे के बाद आप भी दुनिया से चले गए. सुंदर वाणी की गूंज मन में घुमड़ रही है. भारत पाकिस्तान के मैच जब भी होंगे, रोमांचक मैच भी होंगे, मगर एक खालीपन आपके नाम का रहेगा.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)