लाखों जिंदगियां सुरक्षित बनाने वाले LIC ने आखिर क्यों रुलाया निवेशकों को?
शेयर बाजार के लिए सोमवार का दिन "ब्लैक मंडे" साबित हुआ. लेकिन इसमें भी सबसे ज्यादा निराश किया देश की सबसे बड़ी इंश्योरंस कंपनी एलआईसी (LIC) के शेयर ने जिसने अपने निवेशकों को अर्श से फर्श पर ला दिया. कितनी हैरानी की बात है कि सरकारी क्षेत्र की सबसे बड़ी बीमा कंपनी का शेयर पिछले लगातार 10 दिन से आल टाइम लो रिकॉर्ड बना रहा है और सोमवार को ये सबसे बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ है. इस गिरावट के साथ ही एलआईसी का आईपीओ पूरे एशिया में निवेशकों का पैसे डूबोने के मामले में नंबर वन आईपीओ बन गया है. शेयर मार्केट में सार्वजनिक क्षेत्र की किसी कंपनी का इतना बुरा हाल शायद पहली बार देखने को मिल रहा है. एलआईसी के शेयर की लिस्टिंग के बाद से इसके निवेशकों को अब तक 1.78 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है,जो एक रिकॉर्ड है.
दरअसल, शेयर मार्केट के विशेषज्ञ मानते हैं कि एलआईसी को अपने किसी चहेते उद्दोगपति के हाथों सौंपने के मकसद से ही सरकार ने इसका आईपीओ (IPO) लाने का फैसला लिया. लेकिन उससे पहले इसका वैल्यूएशन कराकर इसकी मार्किट वैल्यू को लगातार घटाया गया. वरना ऐसी क्या वजह रही कि साल भर पहले तक जिस कंपनी की मार्केट कैपिटलाइजेशन ( Market Capitalization) 28 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी, उसे तीन महीने पहले ही 10 लाख करोड़ रुपये तक नीचे ला दिया गया और जब आईपीओ की लिस्टिंग हुई, तब आईपीओ प्राइस के मुताबिक एलआईसी का मार्केट कैपिटलाइजेशन ( Market Capitalization) 6 लाख करोड़ रुपये पर था. लेकिन सोमवार की तगड़ी गिरावट के बाद एलआईसी का मार्केट कैप घटकर अब 4.22 लाख करोड़ रुपये पर आ पहुंचा है. इसलिये विशेषज्ञ आईपीओ लाने के सरकार के फैसले को गलत ठहराते हुए कह रहे हैं कि सरकार ने एक नवरत्न कंपनी को दिवालिया करने की कगार पर ला खड़ा किया है.
एलआईसी के शेयर में गिरावट का बड़ा झटका खासतौर से उन रिटेल निवेशकों को लगा है जिन्होंने इसमें निवेश किया था. LIC के शेयर में गिरावट की एक बड़ी वजह एंकर निवेशकों के लिए लॉक इन पीरियड की अवधि खत्म होना माना जा रहा है. दरअसल, एलआईसी के आईपीओ में जिन एंकर निवेशकों (Anchor Investors) ने निवेश किया हुआ है उनके लिए लॉक इन पीरियड ( Lock In Period) सोमवार को खत्म हो गया है. वह मियाद खत्म होते ही वह धड़ाम से नीचे आ गिरा.
एलआईसी का शेयर पहली बार करीब 6 फीसदी की गिरावट के साथ 668.25 रुपये पर क्लोज हुआ है. जबकि 17 मई को एलआईसी ने अपने आईपीओ का इश्यू प्राइस 949 रुपये तय किया था. जबकि सोमवार को यह 668 रुपये पर बंद हुआ है. यानि अपने इश्यू प्राइस से 281 रुपये नीचे. माना जा रहा है कि एंकर निवेशकों द्वारा बिकवाली के चलते एलआईसी के शेयर में इतनी बड़ी गिरावट आई है. एंकर निवेशकों को भारी नुकसान हो रहा था. लिहाजा, उन्होंने लॉक इन पीरियड की अवधि खत्म होते ही और अधिक नुकसान से बचने के लिए इन्हें बेचने में ही अपनी भलाई समझी.
शेयर मार्केट की नब्ज़ समझने वाले Sana Securities के फाउंडर और सीईओ रजत शर्मा के मुताबिक एलआईसी के शेयरों में तेजी की उम्मीद नहीं है. अभी इसमें और 10 फीसदी की गिरावट आ सकती है. उसके बाद यह बाउंस बैक कर सकता है. लेकिन तब भी इसमें पांच से 10 फीसदी की ही तेजी आ सकती है पर, आप इसके लिए स्टॉक नहीं खरीदते हैं बल्कि इसलिए शेयर खरीदते हैं कि इसमें आने वाले कई साल तक ग्रोथ बनी रहेगी. शेयर दोगुना, तिगुना और फिर कई गुना बढ़ेगा. लेकिन एलआईसी में ऐसा नहीं होने जा रहा है. ये पूरी तरह मैच्योर्ड बिजनेस है. एलआईसी में कुछ नहीं रखा है, इसलिए उसे खरीदने या होल्ड करने का कोई तुक नहीं है.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)