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ब्लॉग: यूपी में कत्ल..गुजरात में पकड़े गये कमलेश के कातिल

यूपी में कमलेश तिवारी की हत्या में शामिल दोनों हत्यारें गुजरात से पकड़े गये हैं। इस गिरफ्तारी में गुजरात एटीएस की मुख्य भूमिका रही। फिलहाल इन दोनों से पूछताछ के बाद पूरी बात सामने आएगी..आखिर क्या उद्देश्य था..किस संगठन से जुड़े हो सकते हैं हत्यारे

शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या के बाद 5 दिन यूपी पुलिस को छकाते रहने वाले हत्यारे आखिरकार गुजरात से गिरफ्तार कर लिये गए... लेकिन दोनों आरोपियों अशफाक और मोइनुद्दीन की गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश की पुलिस ने नहीं बल्कि गुजरात एटीएस ने की... जिसके बाद यूपी पुलिस और गुजरात एटीएस ये पता लगाने में जुटी है... कि बीते पांच दिनों में लखनऊ से लेकर गुजरात पहुंचने तक किन-किन लोगों ने दोनों की मदद की... लेकिन इन दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद अब कमलेश तिवारी हत्याकांड पर जमी साजिश की वो परत धीरे-धीरे साफ होने लगी है... जिसकी वजह से पहले दिन से यूपी पुलिस की जांच की दिशा भटकी हुई दिख रही थी... दरअसल कमलेश तिवारी की हत्या के चंद घंटे बाद यूपी पुलिस के डीजीपी ने इस वारदात को सिर्फ एक आपराधिक घटना बताया था.. जबकि गुजरात पुलिस ने पहले दिन ही साफ कर दिया था... कि दो साल पहले सूरत से गिरफ्तार दो संदिग्ध आतंकियों ने पूछताछ के दौरान कमलेश तिवारी की हत्या की साजिश रचने की बात कबूली थी... लेकिन कमलेश की हत्या की साजिश का पता लगाने से लेकर हत्या के आरोपियों की गिरफ्तारी तक यूपी पुलिस.... गुजरात एटीएस के एक्शन के भरोसे ही रही।

कमलेश की हत्या के दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद अब ये भी साफ होता जा रहा है कि कमलेश की हत्या की वजह 5 साल पहले उनका धर्म विशेष को लेकर दिया गया बयान ही है जो नए सिरे से देश में कट्टरपंथ की नींव डालने की तरफ इशारा कर रहा है। दरअसल इस हत्याकांड में अबतक गिरफ्तार हुए सभी आरोपी एक धर्म विशेष के हैं,  जो अपने मकसद को अंजाम तक पहुंचाने के लिए कई साल से साजिश के तार जोड़ रहे थे और आखिरकार उन्होंने कमलेश को अपना निशाना बना ही लिया। कमलेश तिवारी हत्याकांड की जांच के दौरान एक अहम कड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से मिली है। जहां से सैय्यद आसिम नामक के एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया है... नागपुर पुलिस ने बताया कि सैय्यद दूसरे हत्यारों के साथ लगातार संपर्क में था... पुलिस ने बताया कि कमलेश तिवारी की हत्या में इसकी मुख्य भूमिका थी... महाराष्ट्र एटीएस के मुताबिक कमलेश की हत्या करने के बाद एक शूटर ने नागपुर में सैय्यद आसिम से फोन पर बात की थी। सैय्यद आसिम अपने नाम का यूट्यूब चैनल चलाता है... इस चैनल के 41 हजार से ज्यादा फॉलोवर हैं। ठीक दो साल पहले यानि 25 अक्तूबर 2017 को आसिम की ओर से एक वीडियो अपलोड किया गया था... जिसमें उसने कमलेश तिवारी को चुनौती देते हुए लिखा था... कि 'गुस्ताखी की सजा सिर्फ मौत है' और 'कमलेश तिवारी तेरे दिन मुकम्मल हो चुके हैं'... आसिम पर यूट्यूब के जरिये ही धर्म के नाम पर लोगों को भड़काने का आरोप है... और उसके ज्यादातर फालोवर महाराष्ट्र और गुजरात के हैं।

ऐसे में कुछ सवाल खड़े होते हैं...पहला सवाल ये है कि आखिर निजी रंजिश से 'मजहबी कनेक्शन' तक कमलेश हत्याकांड के कितने पहलू ?..वहीं सवाल ये भी है कि यूपी में हुए कत्ल के मामले यूपी पुलिस से क्यों आगे रही गुजरात एटीएस.. और सवाल ये भी है कि महजब नाम पर युवाओं को कातिल बनाने वाली ये कैसी सोच है
कमलेश तिवारी की हत्या मामले में गिरफ्तार किये गये दोनों आरोपियों को अहमदाबाद से 72 घंटे की ट्रांजिट रिमांड पर लखनऊ लाया जाएगा..अहमदाबाद कोर्ट ने दोनों आरोपियों की ट्रांजिट रिमांड मंजूर कर ली है..लखनऊ से अहमदाबाद गई पुलिस की 4 सदस्यीय टीम दोनों आरोपियों को लखनऊ ला रही है..दोनों आरोपियों अशफाक शेख और मोइनुद्दीन पठान को गुजरात एटीएस ने कल देर शाम गुजरात राजस्थान बॉर्डर से गिरफ्तार किया था।
कमलेश की हत्या मामूली घटना नहीं है, ना ही इसे किसी क्राइम सीरियल का रोचक प्लॉट पर रची गई साजिश के नजरिए से देखा जा सकता है । ये हत्या एक सोची समझी रणनीति के तहत की गई । भले ही इसमें अबतक आईएसआईएस के कनेक्शन की पुष्टि नहीं हुई है । लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि इस घटना ने फिर साबित किया है कि युवाओं को मजहब और धर्मांधता के नाम पर बहकाना मुश्किल नहीं है। इंटरनेट ने ब्रेन वॉशिंग की टेक्निक को पहले से ज्यादा आसान कर दिया है, अब किसी कैंप की बजाय बस एक लिंक से ये काम हो सकता है । जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजों के तौर पर हमने ऐसे दृश्य देखे हैं । जहां आतंकियों से ज्यादा समाज के बीच रहने वाले पत्थरबाज बड़ी चुनौती बन गए थे... इसीलिये सरकार भी इस बात की गंभीरता को समझते हुए सोशल मीडिया पर लगाम कसने की बात कर रही है, लेकिन ये सिर्फ सरकार का विषय नहीं बल्कि आत्मचिंतन का भी है।
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