भारतीय टीम एजबेस्टन टेस्ट में जीत के लिए संघर्ष कर रही थी. चौथी पारी में उसके सामने सिर्फ 194 रनों का लक्ष्य था लेकिन वो 194 रनों का लक्ष्य कब 400 रनों के लक्ष्य में बदल गया पता ही नहीं चला. जी हां वाकई भारतीय बल्लेबाजी जिस तरह लड़खड़ाई उससे लगा कि वो 194 का नहीं बल्कि 400 रनों का पीछा कर रहे हों. विराट कोहली जब तक क्रीज पर थे तब तक तो उम्मीद कायम थी लेकिन उनके आउट होते ही मैच इंग्लैंड के खेमे में चला गया.


विराट कोहली जब आउट हुए तब टीम इंडिया का स्कोर 141 रन था. जीत के लिए और 53 रनों की जरूरत थी. विकेट के एक छोर पर हार्दिक पांड्या थे. उनका साथ देने के लिए मोहम्मद शमी, ईशांत शर्मा और उमेश यादव. इन तीनों ही खिलाड़ियों के मन में जो दबाव होगा उसका स्तर कोई भी समझ सकता है. फिर हार्दिक पांड्या को तो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का अनुभव है, उन्हें अपने साथी खिलाड़ियों का ये दबाव क्यों नहीं समझ आया. उन्होंने चौके छक्के लगाने का जो प्रयास आखिर विकेट यानी उमेश यादव के साथ शुरू किया वो पहले भी तो किया जा सकता था.

कहीं ऐसा तो नहीं कि वो भूल गए थे कि उमेश यादव के बाद भारतीय पारी खत्म है. उन्हें ये तो नहीं लग रहा था कि अभी और बल्लेबाज पवेलियन से निकलकर आएंगे? ये वही हार्दिक पांड्या हैं जिन्हें अक्सर कपिल देव जैसा ऑलराउंडर बताया जाता है. सच क्या है इसके लिए आगे की कहानी पढ़िए.

याद कीजिए कपिल देव ने लॉर्ड्स में क्या किया था
एजबेस्टन टेस्ट के दौरान विवेक राजदान और अजय जडेजा कॉमेंट्री कर रहे थे. विवेक राजदान ने एक बेहद दिलचस्प मैच की यादें ताजा करा दीं. आप भी सुनिए ये किस्सा. जुलाई 1990 की बात है. भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर थी. मोहम्मद अजहरूद्दीन कप्तान हुआ करते थे. लॉर्ड्स में खेले गए पहले टेस्ट मैच में इंग्लैंड ने 653 रन ठोंक दिए. इसी मैच में कप्तान ग्राहम गूच ने 333 रन बनाए थे. उनके अलावा एलेन लैंब और रॉबिन स्मिथ ने भी शतक ठोंका था.

इसके बाद भारतीय टीम बल्लेबाजी के लिए उतरी. रवि शास्त्री और अजहरूद्दीन के शतक के बाद भी भारतीय टीम पर फॉलोऑन का खतरा मंडरा रहा था. क्रीज पर एक तरफ थे कपिल देव और दूसरी तरफ नरेंद्र हिरवानी. फॉलोऑन बचाने के लिए टीम को 24 रनों की जरूरत थी. कपिल देव को इस बात का डर था कि अगर नरेंद्र हिरवानी को स्ट्राइक दी तो वो शायद ही रन बना पाएंगे.

कप्तान ग्राहम गूच ने स्पिनर एडि हैमिंग्स को दी. कपिल देव को लगा कि यही सही मौका है. उन्होंने एडि हेमिंग्स की पहली दो गेंद को रक्षात्मक अंदाज में खेला. इसके बाद अगली चार गेंदों पर उन्होंने चार छक्के जड़ दिए. इस तरह फॉलोऑन से बचने के लिए जो 24 रन चाहिए थे वो उन्होंने एक ही ओवर में झटक लिए और भारत को फॉलोऑन से बचा लिया. उनका डर सही साबित भी हुआ जब थोड़ी दी देर बाद फ्रेजर ने हिरवानी को पवेलियन भेज दिया.

पांड्या ने इतना इंतजार क्यों किया?
विराट कोहली बेन स्टोक्स के जिस ओवर में आउट हुए उसी ओवर में मोहम्मद शमी भी आउट हो गए. इसके बाद से ही हार्दिक पांड्या को कमान संभाल लेनी चाहिए थी. उन्हें अगले बल्लेबाज के तौर पर आइ ईशांत शर्मा को कहना चाहिए था कि वो ज्यादा से ज्यादा स्ट्राइक लेंगे. नामालूम उन्होंने ये बात कही या नहीं कही लेकिन 49 वें ओवर में बेन स्टोक्स को ईशांत शर्मा दो बाउंड्री लगा चुके थे. पांचवीं गेद पर उन्होंने सिंगल लिया. जिसकी जरूरत ही नहीं थी. आखिरी गेंद पर हार्दिक पांड्या को हर हाल में सिंगल लेना चाहिए था लेकिन वो भी नहीं हुआ. जिसका परिणाम ये हुआ कि अगले ओवर में स्ट्राइक ईशांत शर्मा के पास गई.

इंग्लैंड के कप्तान ने तुरंत आदिल रशीद को गेंद थमाई क्योंकि पिछली पारी में उन्होंने ही ईशांत को आउट किया था. ओवर की दूसरी ही गेंद पर ईशांत से स्वीप शॉट खेला, ऐसा लगा कि अब हार्दिक आकर स्ट्राइक संभाल लेंगे. लेकिन ईशांत ने दो रन ले लिए. अब भी ओवर में चार गेंदों का सामना उन्हें करना था. चारों तरफ वो फील्डर्स से घिरे हुए थे. नतीजा ओवर की आखिरी गेंद पर वो आउट हो गए और जल्दी से जल्दी जीत तक पहुंचने की कोशिश करने में हार्दिक पांड्या की चूक साफ दिखाई दी.