जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे को कुर्ते पजामे और जवाहर जैकेट में देख कर हर भारतीय का मन खुश हो गया. क्या ही अच्छा हो अगर इस तरह की वेषभूषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय वेषभूषा के नाम से ख्याति प्राप्त करे.


लेकिन ऐसा हो पाना मुश्किल है. हम भारतवासी अभी यही नहीं तय कर पाये हैं कि जवाहर जैकेट, जवाहर जैकेट है या मोदी जैकेट, क्योंकि अब ये मोदी जैकेट का रूप ले चुकी है.


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो अपने आप को प्रधान सेवक भी बताते हैं और अपने पहनावे को लेकर खासे चर्चा में रहते हैं. ऐसा नहीं है कि उनका पहनावा रातों रात बदल गया हो लेकिन जब से खादी ग्रामोउद्योग की डायरी पर चरखा चलाते मोदी जी का फोटो छपा है तब से यह चर्चाएं आम हो गई है कि मोदी अपने कपड़ों की तरह ही खादी को भी कई रंगों में रंग देना चाहते हैं.


राजनेताओं की पोशाक हमेशा से ही आकर्षण का केन्द्र रही हैं. फिर चाहे पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जैकेट हो या फिर वर्तमान प्रधान सेवक की जैकेट... और अब तो यह जैकेट बुलेट प्रूफ भी हो गई है जिनकी डिमांड इस चुनावी मौसम में खासी बढ़ जाती है.


अगर जैकेट की बात करें तो जहाँ नेहरू की जैकेट सिर्फ दो या तीन रंगों जैसे सफेद भूरा या काले रंग की ऊनी या खादी की बनी बंद गले पर हुक के साथ होती थी, तो वहीं नरेन्द्र मोदी की जैकेट स्टायलिश, तरह-तरह के रंगों में रेशेदार धागों से जूट की बनी जैकेट होती है.


फैशन के जानकारों का मानना है कि सालों से खादी में चली आ रही जवाहर जैकेट की जगह अब मोदी जैकेट ने ले ली है. वहीं कुर्तों में भी मोदी कुर्तों की मांग ज्यादा है. एक बार किसी पत्रकार के प्रश्न पूछने पर मोदी ने अपने हाफ बांह के कुर्ते के बारे में बताया था कि वह फैशन नहीं बल्कि उसे धोने में साबुन कम लगे इसलिए वह इस तरह का कुर्ता पहनते है.


खैर हम यहां बात मोदी और जवाहर जैकेट के बारे में कर रहे हैं...जिसकी डिमांड आजकल बाजार में खूब बनी हुई है. ऐसा नहीं है कि मोदी जैकेट सिर्फ अधेड़ या तरूणों की पसंद हो, ये युवाओं में भी खासी लोकप्रिय पशोक बन गई है और अब जापान में भी येह फेशन स्टेट्मेंट बन सकती है.


जैकेट हमेशा से ही राजनेताओं की पोशाक में शामिल रही है... टाइम मैगज़ीन ने 2012 में फैशन के चलन में नेहरू जैकेट को सातवें स्थान पर रखा था और उसे नेहरू जैकेट के नाम से ही नामाँकित किया था.


दरअसल नेहरू जैकेट उत्तर भारतीय अचकन का वंशज है जो बंद गर्दनकोट से मिलती जुलती एक पोशाक है जिसे भारतीय एक भद्र लोगों के पहनावे के रूप में मानते है. पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1930 में इसे पहली बार कुर्ता और पाजामे के साथ पहना था, जब से इसे नेहरू जैकेट की संज्ञा दी जाने लगी. 15 अगस्त 1965 को प्रसिद्ध संगीतज्ञय ग्रुप बीटल्स ने न्यूयॉर्क में एक संगीत सभा के दौरान पंडित नेहरू को श्रृद्धांजलि स्वरूप उन्हें याद करते हुए पीले रंग की नेहरू जैकेट पहनी थी. तो वहीं 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में ब्रिटिश प्रतिनिधि मंडल ने भी चमकदार लाल रंग की नेहरू जैकेट पहनी थी.


कांग्रेस के पूर्व नेता नटवर सिंह कहते थे कि नेहरू जैकेट और मोदी जैकेट पर कोई राजनीतिक बहस नहीं होनी चाहिए बल्कि यह तो कपड़े पहनने वाले के शौक पर निर्भर करता है...जिसे बीजेपी राजनीतिक रंग देकर नेहरू जैकेट की जगह मोदी जैकेट कहने लगी है बस.. .हालांकि मोदी के पास जैकेट का एक बेहतरीन संग्रह है इसमें कोई दोहराव नहीं है और नेहरू के बाद मोदी ने जैकेट की प्रासंगिकता देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बना दी है जो स्वागत योग्य है.