BLOG: लव जेहाद होता है या नहीं होता है
एक बार फिर लव जेहाद चर्चा में है. विश्व हिन्दु परिषद ने मोदी सरकार से लव जेहाद रोकने के लिए कानून बनाने की मांग की है. इसके साथ ही परिषद ने 170 मामलों की सूची भी सौंपी है जो उसके अनुसार लव जेहाद के तहत आते हैं.
एक बार फिर लव जेहाद चर्चा में है. विश्व हिन्दु परिषद ने मोदी सरकार से लव जेहाद रोकने के लिए कानून बनाने की मांग की है. इसके साथ ही परिषद ने 170 मामलों की सूची भी सौंपी है जो उसके अनुसार लव जेहाद के तहत आते हैं. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. यूपी, कर्नाटक, केरल से भी ऐसी ही लव जेहाद की खबरें आती रही हैं. लेकिन सच्चाई क्या है जानने की कोशिश करते हैं.
लव जेहाद का मतलब है कि कोई मुस्लिम लड़का किसी हिंदु लड़की को बरगला कर, धोखे में डालकर, अपना नाम और धर्म छुपा कर शादी कर ले और उसके बाद लड़की को इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए मजबूर करे. विश्व हिंदु परिषद का कहना है कि ऐसा हो रहा है. यूपी में खासतौर से हो रहा है. आपको याद होगा कि उन्नाव से बीजेपी के सांसद साक्षी महाराज ने तो 2014 के सितंबर महीने में एक सूची ही जारी कर दी थी. इसमें कहा गया था कि मदरसे लव जेहाद के लिए मुसलमान लड़कों को ललचा रहे हैं. सिख लड़की से लव जेहाद के लिए 11 लाख रुपये दे रहे हैं. हिंदु लड़की से लव जेहाद के लिए दस लाख रुपये दे रहे हैं, जैन लड़की से लव जेहाद के लिए सात लाख रुपये दे रहे हैं. इस पर काफी बवाल मचा था लेकिन तब यूपी पुलिस ने लव जेहाद से कथित रुप से जुड़े पांच छह मामलों की जांच की थी. जांच के बाद यूपी पुलिस के मुखिया ए एल बनर्जी ने कहा था कि हिंदु लड़की ने अपने मर्जी से शादी की थी लेकिन घरवालों की मर्जी के खिलाफ जाकर. इसे किसी तरह की साजिश नहीं कहा जा सकता.
साजिश शब्द का इस्तेमाल इसलिए किया गया क्योंकि आज के यूपी के मुख्यमंत्री और उस समय गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि लव जेहाद भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र हैं. तब के एसएसपी स्तर के बड़े पुलिस अधिकारी शलभ माथुर का कहना था कि सांप्रदायिक स्तर पर डर और विभाजन पैदा करने के लिए जानबूझकर लव जेहाद शब्द गढ़ा गया है. ये बात पांच छह मामलों की जांच के बाद भी स्पष्ट हो गयी थी. हालांकि तब बीजेपी और विश्व हिंदु परिषद ने यूपी पुलिस की जांच को नकार दिया था क्योंकि तब वहां मौलाना मुलायम की समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुख्यमंत्री उनके बेटे अखिलेश यादव थे.
बड़ा सवाल उठता है कि अगर सांसद रहते हुए योगी आदित्यनाथ को लव जेहाद अंतरराष्ट्रीय षडयंत्र लगता था तो मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने लव जेहाद को लेकर विश्व हिंदु परिषद के आरोपों की क्या जांच करवाई और अगर करवाई तो उसका क्या नतीजा निकला. अगर जांच नहीं करवाई तो विश्व हिंदु परिषद ने योगी सरकार पर दबाव क्यों नहीं डाला....कहीं ऐसा तो नहीं कि यूपी में बीजेपी सरकार के सत्ता में आते ही लव जेहाद होने बंद हो गए ......अगर ऐसा भी है तो बीजेपी इसे अपनी बड़ी कामयाबी बताने से क्यों हिचक रही है. कुल मिलाकर यूपी में लव जेहाद होते हैं या नहीं इस पर अभी तक परदा ही है. ठोस सच्चाई सामने आना बाकी है.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ विश्व हिंदु परिषद जैसे हिंदुवादी संगठनों ने ही लव जेहाद के खिलाफ आवाज उठाई हो. केरल में तो कैथोलिक चर्च ने भी इस मुद्दे को उठाया था. चर्च का कहना था कि केरल में 2009 से लेकर 2014 तक लव जेहाद के मामलों में बहुत तेजी आई और ये सब केरल को मुस्लिम बहुल राज्य बनाने के लिए एक सोची समझी रणनीति के तहत किया गया. चर्च का कहना था कि ईसाई धर्म की युवतियों के साथ भी लव जेहाद हुआ है. इस दौरान हिंदु और ईसाइयों के अलावा सिख धर्म की तरफ से भी लव जेहाद का मुद्दा उठाया गया था. भारत के अलावा म्यांमार से लेकर लंदन तक लव जेहाद की बात हुई. केरल में चर्च ने कहा कि पांच सालों में 4500 ईसाई धर्म की लड़कियों का जबरन निकाह करवाया गया, इस्लाम कबूल करवाया गया. इसी दौरान हिंदु जनजागृति समिति ने कर्नाटक में तीस हजार हिंदु लड़कियों के लव जेहाद का मामला उठाया.
25 जून 2014 में केरल के तब के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने विधानसभा में कहा कि 2006 से लेकर 2014 तक 2667 लड़कियों ने इस्लाम ग्रहण किया लेकिन इसके साथ ही आगे कहा कि जबरन का कोई सबूत नहीं मिला और लव जेहाद की बात आधारहीन है. दरअसल केरल पुलिस ने दो साल की जांच के बाद कहा था कि उन्हें लव जेहाद के कोई सबूत नहीं मिले. केरल हाई कोर्ट लव जेहाद का मामला पहुंचा था. ये बात 2009 की है. तब चार साल में तीन से चार हजार लव जेहाद होने का आरोप लगाया गया था और अदालत दो व्यक्तियों की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी. तब केरल के पुलिस मुखिया ने कोर्ट को बताया था कि कुल 18 मामलों में से सिर्फ तीन पर ही कुछ संदेह किया जा सकता है. इस पर जज ने असहमति जताई थी. जज साहब का कहना था कि महिलाओं को धर्मातंरण के लिए रणनीति के तहत बहला फुसलाया गया और ये काम संगठित गुट ने किया. लेकिन बाद में कोर्ट ने पूरे केस को खत्म कर दिया था.
इसी तरह कर्नाटक सरकार ने 2010 में कहा कि कुछ महिलाओं ने जरूर धर्मानंतरण किया है लेकिन ये सब संगठित प्रयास का नतीजा है ऐसा नहीं दिखता. गौरतलब है कि तब कर्नाटक में बीजेपी के सरकार थी. अलबत्ता एनआईए यानि नेशनल इंवेसिटिगेशन एजेंसी ने 2017 में केरल के कुछ कथित लव जेहाद मामलों की जांच के दौरान कहा था कि सभी मामलों में एक जैसी समानता दिखाई देती है जो हैरान करने वाली है. हालांकि इसके बाद जांच आगे कहां तक पहुंची इसका ब्यौरा कहीं नहीं मिला. इकोनोमिस्ट पत्रिका में छपे एक लेख में बताया गया कि चूंकि भारत में अंतर धर्म विवाह की छूट है इसलिए लव जेहाद के मामले उठते रहते हैं. चुनाव करीब आने पर ऐसी बातें ज्यादा होती हैं.
कुल मिलाकर लव जेहाद होता है या नहीं होता है इसको लेकर अभी भी कहानी साफ नहीं हुई है. ज्यादातर मामलों में हुई जांच लव जेहाद नहीं होने की तरफ ही इशारा करती है. अलबत्ता अदालत के बाहर लव जेहाद के मुद्दे पर राजनीति जरूर होती रही है.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)