एक्सप्लोरर

मर्द पीटता है...फिर माफी मांगता है, बेडरूम की बात ड्राइंगरूम तक भी नहीं पहुंच पाती?

काश नेहा रस्तोगी मध्य प्रदेश के सागर में 2017 की अक्षय तृतीया के दिन ब्याही जाती तो उसके पास भी पति अभिषेक गट्टानी को सबक सिखाने के लिए एक मोगरी होती. मोगरी यानी कपड़े थाप-थापकर धोने वाला डंडा. नेहा रस्तोगी मोबाइल की दुनिया में तहलका मचाने वाली कंपनी एप्पल में काम करती थी पर दुख की बात यह है कि उसके पास मोगरी नहीं थी. इतनी सस्ती चीज, जिससे घरेलू हिंसा की शिकार औरतें अपने पतियों को जवाब दे सकती हैं. कम से कम मध्य प्रदेश सरकार के सीनियर मोस्ट कैबिनेट मंत्री को तो ऐसा ही लगता है. पिछले दिनों एमपी के सोशल जस्टिस मिनिस्टर ने सागर जिले में आयोजित एक सामूहिक विवाह में दुल्हनों को स्पेशल गिफ्ट दिया. यह स्पेशल गिफ्ट था, लकड़ी की बनी मोगरी. गिफ्ट देते हुए उन्होंने कहा कि अगर तुम्हारे पति दारू पीकर तुम पर अपना हाथ चलाएं तो उन्हें भी पीट डालना. हम तुम्हारे साथ हैं.

इसी खबर से नेहा रस्तोगी की याद आ गई. अभी कुछ ही दिन पहले की घटना है. नेहा रस्तोगी कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली में रहती है. किसे रश्क नहीं होगा उसकी जिंदगी पर. ठाठ-बाट से अमेरिका में रहने वाली, एप्पल जैसी कंपनी में काम करने वाली. पति का अपना स्टार्टअप. तीन साल की प्यारी सी बच्ची. लेकिन नेहा के लिए इसके सबके अलावा एक सच्चाई यह भी है कि वह घरेलू हिंसा की शिकार है. जब बर्दाश्त के बाहर हुआ तो कोर्ट जा पहुंची. कोर्ट ने पति को ‘ऑफेंसिव टचिंग’ यानी आपत्तिजनक तरीके से छूने का दोषी माना और एक महीने की सजा सुनाई. काश, मंत्री महोदय की मोगरी नेहा के पास भी होती. पति सीख जाता कि वह कितना गलत है.

पति सीख जाता तो मुश्किल ही क्या थी. क्या आदमी इतनी आसानी से, सिर्फ एक मोगरी की मार से बदल सकता है? शायद...क्योंकि बदलने के लिए पहले यह मानना जरूरी होता है कि हमारे घरों में औरतों से हिंसा की जाती है. हम मानते तो सरकारी आंकड़े यह नहीं कहते कि सास-ससुर की इज्जत न करने पर बीवी को मारना गलत नहीं है. सरकार के डेमोग्राफिक एंड हेल्थ सर्वे में 50 परसेंट से ज्यादा आदमियों और औरतों ने कहा था कि औरतों को कभी-कभी दो-चार धर देना गलत नहीं है. अगर वे घर-परिवार और बच्चों का ध्यान न रखें, बिना इजाजत घर से बाहर निकलें, पति के साथ बहस करें, खाना अच्छा न पकाएं, सेक्स से इनकार करें तो उन्हें सबक सिखाया ही जाना चाहिए. सास ससुर की इज्जत न करने पर तो उन्हें लतियाना जाना एकदम सही है, यह मानने वाले बहुत अधिक संख्या में थे. लेकिन आम लोग ही क्यों, सुप्रीम कोर्ट तक ने कह डाला है कि बूढ़े सास-ससुर से बेटे को अलग करने वाली बहू को तलाक दे दिया जाना चाहिए क्योंकि यह क्रुएलिटी है.

बेटे को माता-पिता से अलग करना क्रूएलिटी है, पर बीवी को पीटना सिर्फ ऑफेंसिव टचिंग है. इसके लिए बीवी के हाथ में मोगरी थमा दो, मामला अपने आप सुलट जाएगा. किसी पुलिस-थाने या कोर्ट कचहरी की जरूरत नहीं. बॉलिवुडिया अंदाज का इंसाफ, फूल का अंगारा बन जाना. तभी तो घरेलू हिंसा की ज्यादातर शिकार औरतें शिकायत करने थाने नहीं पहुंचतीं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के हालिया आंकड़े कहते हैं कि घरेलू हिंसा के दर्ज मामलों में कमी आई है. 2014 में अगर 1,22,877 मामले दर्ज हुए थे तो 2015 में उससे कम, 1,13,403 मामले. इसके बावजूद कि खुद सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की 2015 की रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में 35 परसेंट से अधिक मामले घरेलू हिंसा के ही होते हैं. जाहिर सी बात है जितने मामले दर्ज नहीं होते, उनमें ससुराली या मायके वाले औरत को इमोशनली ब्लैकमेल करते हुए चुप रहने के लिए तैयार कर लेते हैं. अच्छी औरतें चुप हो जाती हैं, चुप रहना और सहनशीलता हमारे यहां सबसे बड़ी क्वालिटी मानी जाती है. आप चिल्लाए नहीं, हर तकलीफ बर्दाश्त करें. चिल्लाना, शोर मचाना, अपने हक के लिए लड़ना अपराध है. हरेक के लिए. औरत के लिए तो खास करके.

तभी तो मोगरी की जरूरत है. घर का मामला घर में निपटाइए और चुप होकर घर में बैठ जाइए. चिल्लाएंगी तो थाने पहुंच जाएंगी. तब यह भी पूछेंगी कि घरेलू हिंसा पर 2005 में जो कानून बना था, उस पर अमल क्यों नहीं होता? इस कानून में औरतों के संरक्षण के तमाम प्रोविजंस हैं. प्रोटेक्शन ऑर्डर (मतलब कि पिटाई से रोकना), रेजिडेंस ऑर्डर (मतलब एक ही घर में पति के साथ न रहना), मॉनेटरी ऑर्डर (मतलब कंपनसेशन और मुकदमे में खर्च होने वाला पैसा) और बच्चों की अस्थायी कस्टडी वगैरह. कानून यह भी कहता है कि राज्य सरकारें इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करेंगी. प्रोटेक्शन ऑफिसरों की नियुक्ति की जाएगी जो पीड़ितों की तरफ से घरेलू हिंसा की रिपोर्ट दर्ज करेंगे, नोटिस देने में कोर्ट की मदद करेंगे, सबूत जुटाएंगे और ऑर्डरों को लागू करेंगे, इस दिशा में काम करने वाले स्वयंसेवी संगठनों को रजिस्टर करेंगे, शेल्टर होम्स और मेडिकल सुविधाएं नोटिफाई करेंगे.

औरतें शोर मचाएंगी तो क्या यह नहीं जान जाएंगी कि देश में प्रोटेक्शन ऑफिसर कितने कम हैं. जहां हैं, वहां पार्ट टाइम काम करते हैं. इसके अलावा शेल्टर होम्स बहुत कम है. ज्यादातर भीड़-भाड़ भरे और गंदे हैं. इसके अलावा कितने ही राज्यों में इस कानून के अमल की कोशिश तक नहीं की गई है. कितने ही राज्यों के पास इस एक्ट को लागू करने के लिए बजटीय प्रावधान नहीं हैं. अगर हम घर में ही मामला निपटा लेंगे तो सरकारों की चैन की नींद में खलल नहीं पड़ेगा.

घर का मामला घर में ही निपटता रहता है. जी 20 के सर्वे में भारत को औरतों के लिए सबसे खराब जगह कहा जाता है. क्योंकि यहां औरतें सुरक्षित नहीं- न घर में, न बाहर. बाहर का इलाज आप कर सकते हैं, पर घर का क्या इलाज होग? इलाज होगा तब जब बीमारी की जांच होगी. हम खुद के डॉक्टर हैं इसलिए घर पर ही टैबलेट चबाकर बुखार दबाने की कोशिश करते रहते हैं. मर्द पीटता है, फिर माफी मांगता है, औरत मान जाती है. घर का मामला घर में सुलझा लिया जाता है. बेडरूम की बात ड्राइंगरूम तक भी नहीं पहुंच पाती.

समाज इसी को प्रोपगेट करता रहता है. हाल में मणिरत्नम की 25वीं फिल्म देखी- काटरू वेलियीदाई. इसे सभी ने जबरदस्त रोमांटिक फिल्म बताया. आप भी देखिए और जानिए कि घरेलू हिंसा को कोई नामचीन डायरेक्टर कैसे रूमानी बता सकता है. हीरोइन हीरो की लताड़ से परेशान होकर भी आखिर में उसे माफ कर देती है. आप भी मोगरी लगाकर पति को स्वीकार करती रहिए. ऐसी फिल्मों को मिलने वाले यू सर्टिफिकेट से ही साबित होता है कि औरत को प्रताड़ित करने को तो बरसों से यूनिवर्सल सर्टिफिकेट मिला हुआ है. इसलिए मोगरी हमारे हाथ में नहीं- प्रशासन के हाथ में दीजिए. कानून बनाने वाले ही कानून का प्रवर्तन करा सकते हैं. हम इस मोगरी का क्या करेंगे?

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Bangladesh Violence: 'उनके कार्य नहीं करते हमारा प्रतिनिधित्व', ISKCON बांग्लादेश ने किया चिन्मय कृष्ण दास से किनारा, जानिए बांग्लादेश हिंसा पर 10 बड़े अपडेट
ISKCON बांग्लादेश ने किया चिन्मय कृष्ण दास से किनारा, जानिए बांग्लादेश हिंसा पर 10 बड़े अपडेट
'सपा समर्थक नाराज हो गए', ओम प्रकाश राजभर ने संभल हिंसा को बताया दो मुस्लिम जातियों की लड़ाई
'सपा समर्थक नाराज हो गए', ओम प्रकाश राजभर ने संभल हिंसा को बताया दो मुस्लिम जातियों की लड़ाई
Divorce Ke Liye Kuch Bhi Karega Season 1 Review: इस सीरीज को Divorce ही दे दीजिए, अच्छे Idea को किया बर्बाद
डिवोर्स के लिए कुछ भी करेगा रिव्यू: इस सीरीज को 'डिवोर्स' ही दे दीजिए, अच्छे आइडिया को किया बर्बाद
IND vs AUS: 5,000 रन और 148 विकेट, भारत के खिलाफ दूसरे टेस्ट में धाकड़ ऑस्ट्रेलियाई प्लेयर बरपाएगा कहर; देखें पूरा स्क्वाड
5,000 रन और 148 विकेट, भारत के खिलाफ दूसरे टेस्ट में धाकड़ ऑस्ट्रेलियाई प्लेयर बरपाएगा कहर
ABP Premium

वीडियोज

Sambhal News : जुमे की नमाज से पहले छावनी बना संभल...चप्पे-चप्पे पर नजर | Breaking NewsMaharashtra New CM : दिल्ली में नरेंद्र...महाराष्ट्र में देवेंद्र? नई सरकार का फॉर्मूला फाइनल!MP Breaking News : खंडवा में जुलूस के दौरान हादसा, आग में 30 से ज्यादा लोग झुलसेMaharashtra Politics: दिल्ली दरबार में महाराष्ट्र की नई 'सरकार' | ABP News | Amit Shah | Mahayuti

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Bangladesh Violence: 'उनके कार्य नहीं करते हमारा प्रतिनिधित्व', ISKCON बांग्लादेश ने किया चिन्मय कृष्ण दास से किनारा, जानिए बांग्लादेश हिंसा पर 10 बड़े अपडेट
ISKCON बांग्लादेश ने किया चिन्मय कृष्ण दास से किनारा, जानिए बांग्लादेश हिंसा पर 10 बड़े अपडेट
'सपा समर्थक नाराज हो गए', ओम प्रकाश राजभर ने संभल हिंसा को बताया दो मुस्लिम जातियों की लड़ाई
'सपा समर्थक नाराज हो गए', ओम प्रकाश राजभर ने संभल हिंसा को बताया दो मुस्लिम जातियों की लड़ाई
Divorce Ke Liye Kuch Bhi Karega Season 1 Review: इस सीरीज को Divorce ही दे दीजिए, अच्छे Idea को किया बर्बाद
डिवोर्स के लिए कुछ भी करेगा रिव्यू: इस सीरीज को 'डिवोर्स' ही दे दीजिए, अच्छे आइडिया को किया बर्बाद
IND vs AUS: 5,000 रन और 148 विकेट, भारत के खिलाफ दूसरे टेस्ट में धाकड़ ऑस्ट्रेलियाई प्लेयर बरपाएगा कहर; देखें पूरा स्क्वाड
5,000 रन और 148 विकेट, भारत के खिलाफ दूसरे टेस्ट में धाकड़ ऑस्ट्रेलियाई प्लेयर बरपाएगा कहर
Fatima Sana Shaikh: मिर्गी जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं फातिमा सना शेख, जानें लक्षण और कारण
मिर्गी जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं फातिमा सना शेख, जानें लक्षण और कारण
पेशाब करते वक्त होती है जलन तो हो सकती है ये गंभीर बीमारी, जानें लक्षण और कारण
पेशाब करते वक्त होती है जलन तो हो सकती है ये गंभीर बीमारी, जानें लक्षण और कारण
Year Ender 2024: ग्लास स्किन से लेकर सन किस्ड आई तक साल 2024 में छाया रहा ये ब्राइडल मेकअप ट्रेंड
ग्लास स्किन से लेकर सन किस्ड आई तक साल 2024 में छाया रहा ये ब्राइडल मेकअप ट्रेंड
बिरसा मुंडा के वंशज मंगल मुंडा का निधन, सड़क दुर्घटना में हुए थे गंभीर घायल 
बिरसा मुंडा के वंशज मंगल मुंडा का निधन, सड़क दुर्घटना में हुए थे गंभीर घायल 
Embed widget