बचपन में मछली वाली लड़की की कहानी सुनी थी. डैनिश लेखक हैन क्रिस्टीन एंडरसन की 1837 की इस कहानी में लिटिल मरमेड अपनी समुद्री जिंदगी से आजिज आ जाती है और आदमियों की दुनिया का हिस्सा बनाना चाहती है. अबकी बार एक और मछली वाली लड़की को देखा है. वह भी अपनी मौजूदा जिंदगी से आजिज आकर नई दुनिया रचने की कोशिश कर रही है. 19 साल की इस लड़की का नाम हनान हामिद है और वह मछली वाली लड़की इसलिए कहलाई जा रही है क्योंकि वह कॉलेज के बाद मछलियां बेचकर अपना गुजारा चलाती है. उसका सपना एक अच्छी जिंदगी जीने का है, नई दुनिया रचने का है. किसी को इसमें क्या दिक्कत है? दिक्कत है, सामाजिक नैतिकता के प्रहरियों को तमाम तरह की दिक्कतें हैं. उन लोगों ने पहले खुद ही सोशल मीडिया पर हनान की मछलियां बेचने की फोटो, वीडियो डाला, फिर उसे पब्लिस्टी की भूखी कह दिया. एक के बाद एक, उसे ट्रोल किया जाने लगा. तो, लोगों से तंग आकर जब हनान रोने-बिसूरने, हाथ जोड़कर उसे बख्शने की मिन्नतें करने लगी तो उसकी ये तस्वीर, वीडियो भी शेयर किए गए.


अब राजनीतिक हलचल शुरू हुई है. हनान केरल के त्रिशूर की रहने वाली है, इसलिए केरल सरकार सक्रिय हुई है. उसे ट्रोल करने वाले एक बंदे को गिरफ्तार किया गया है. मुख्यमंत्री से लेकर केरल के एक केंद्रीय मंत्री उसके पक्ष में बोल रहे हैं. ज्यादा सक्रियता दिखाएंगे तो हनान की जिंदगी की कुछ तकलीफें कम हो सकती हैं. लोग उसे मदद भेज रहे हैं. वह कुछ हासिल कर भी लेगी लेकिन एक खुदगर्ज सोसायटी की जो तस्वीर सामने आई है, उसे धुंधला होने में बरसों लग जाएंगे. एक असंवेदनशील, एक क्रूर समाज की कलंक प्रथा. जो लड़कियों को अपनी जिंदगी का फैसला लेने के लिए आजाद नहीं छोड़ता.


हनान की गलती सिर्फ इतनी थी कि वह कॉलेज के बाद सीधा घर नहीं जाती थी. मछलियां बेचने बाजार जा पहुंचती थी. मलयालम फिल्मों में छोटे-मोटे रोल भी कर लेती थी. यह सब कितना भारी है, उस राज्य में, जहां औरतों की साक्षरता दर 92 परसेंट से ज्यादा है. सेक्स रेशियो भी काफी अधिक है. 2011 का सेंसस कहता है कि यहां 1000 आदमियों पर 1084 औरतें हैं. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा यहां पास भी है, फेल भी. क्योंकि यहां बेटियों को बचाया तो जा रहा है, पढ़ाया भी जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद उनके सपनों को बचाना अभी बाकी है. कुल मिलाकर पढ़ने-लिखने से मुक्ति मिलने वाली नहीं है. पराधीनता को तोड़ने के लिए सांस्कृतिक सशक्तीकरण की भी जरूरत है.


लड़कियां अपनी पसंद का काम करें, यही सबसे बड़ी परेशानी है. हनान पढ़ती है, मछलियां बेचती है पर वह इससे शर्मिन्दा नहीं है. सोशल मीडिया पर उसके वीडियो में साफ दिखाई देता है कि वह खुशी-खुशी यह काम करती है. पीठ पर कॉलेज का बैग टांगे, चेक टीशर्ट में हंसकर मछलियां बेचती है. मछलियां बेचे, केले या करेले, या फिर ईंटें लगाए. वह खुश है लेकिन उसके इस काम के लिए शर्मिन्दगी का सॉफ्टवेयर हमारे दिमाग में फिट है. हम खुद हनान को बेचारी बताकर उसके दिमाग की प्रोग्रामिंग कर रहे हैं. वह रो रही है, तो हम उसे रुला रहे हैं. हाथ जोड़ने पर मजबूर कर रहे हैं. दरअसल गरीबी को रूमानी बनाकर बेचना हमारी आदत है. एलीट हम, इस तरह लोगों को बराबर बताते हैं कि हम तुमसे प्रिव्लेज्ड हैं. यही हमारा आंतरिक संतोष भी है.


हम डिग्निटी ऑफ लेबर पर नहीं विचारते. इसका हक हमें संविधान प्रदत्त है. संविधान का अनुच्छेद 19 (1) का सबसेक्शन जी साफ कहता है कि हमें ‘भारत के राज्य क्षेत्र में किसी भी भाग में निवास करने और बस जाने का, और कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने का अधिकार होगा.‘ मछलियां बेचना भी चार्टर में शामिल है. हममें से जो कोई भी हनान की इस च्वाइस पर पक्ष-विपक्ष रखता है, वह कानून द्वारा उसे प्रदत्त निजता के अधिकार का हनन करता है. 2017 में सुप्रीम कोर्ट भी इस निजता के अधिकार पर मुहर लगा चुका है. यह निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 का हिस्सा है.


हनान उन तमाम युवाओं में से एक है जो अपनी जिंदगी खुद चुनते हैं. बड़े बड़े फास्टफूड रेस्त्रां में, रीटेल स्टोर्स में सामान बेचते हैं. घर-घर अखबार बांटते हैं, कपड़े प्रेस करते हैं, नाई की दुकान में बाल काटते हैं. गरीबी से निकलने के रास्ते तलाशते हैं, या एक्सट्रा अर्निंग करने की कोशिश करते हैं और हनान भी वही कर रही है. वह किसी दुकान में काम नहीं करती. उसकी दुकान उसके साथ चलती है. हंसकर-मुस्कुराकर, मछलियां बेचकर. वह किसी से मदद नहीं मांग रही. उसकी मदद के लिए हमें सिर्फ उसे अकेला छोड़ना होगा. उसकी प्राइवेसी में.


दरअसल अपने देश में हर अकेली नौजवान लड़की को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है. हनान भी उन्हीं में से एक है. उसकी च्वाइस उसे वैम्प बनाए दे रही है. ऐसी भी खबरें उड़ाई गई हैं कि वह बिग बॉस मलयालम की वुड बी प्रतियोगी हो सकती है. उसे प्रणव मोहनलाल के साथ एक नई फिल्म मिल गई है. कुछेक का कहना है कि इस फिल्म के प्रमोशन के लिए हनान मछलियां बेचने का नाटक कर रही है. यह बात और है कि उसके कॉलेज के प्रिंसिपल-टीचर्स उसकी असलियत जानते हैं. फिर भी प्रमोशन हो या नाटक अगर ऐसा है तो भी हनान की जिंदगी के परतें कुरेदने वाले हम कोई नहीं. हमें कुछ नहीं करना सिर्फ हनान को आजाद हवा में सांस लेने देना है. न तो राजनेता, न ही उसके खैरख्वाहों को और धर्म के पहरेदारों को उसकी तरफ से बोलने का हक है. वह इस देश की संपत्ति नहीं है. उसकी मर्जी के खिलाफ हम उसके गार्जियन बनने वाले कोई नहीं.


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