एक्सप्लोरर

'बाहुबली' चेहरों के दम पर अखिलेश को कैसे मिलेगा लखनऊ का सिंहासन?

उत्तरप्रदेश का गोरखपुर वह शहर है, जो संन्यास की शिखरता छूने वाले गुरु गोरखनाथ की नगरी के नाम से देश-दुनिया में मशहूर है. लेकिन इस शहर की एक और भी खासियत है, जिसे यूपी के विधानसभा चुनावों से पहले याद करना शायद जरुरी भी हो जाता है. पिछले तकरीबन 45 साल से ये शहर एक ऐसे बाहुबली के नाम से पहचाना जाता रहा है, जिसका सिर्फ उस शहर में नहीं बल्कि समूचे पूर्वांचल में डंका बजा करता था. उसकी तूती कुछ ऐसा बोला करती थी कि जो फरमान उसने सुना दिया, उसे इनकार करने की हिम्मत किसी में नहीं होती थी, न साहूकारों में और न ही सरकार के कारिंदों में. लेकिन साल 2017 आते ही उसी गोरखपुर की गोरखपीठ की गद्दी संभालने वाला एक संन्यासी जब यूपी के सिंहासन पर बैठा तो इस बाहुबली की जुबान को मानो लकवा मार गया. एक जमाने में अपने एक फोन के जरिए हर काले काम को मिनटों में अंजाम देने वाले उस बाहुबली की जुबान से तबसे लेकर आज तक एक शब्द भी नहीं निकला. इसे सत्ता की ताकत के साथ ही अगर एक संन्यासी की तपस्या का ख़ौफ़ भी कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा.

यूपी की सियासत और उसके इतिहास को समझने वाले लोग पूर्वांचल के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी के नाम से वाकिफ न हों, ये तो संभव हो ही नहीं सकता. 70 के दशक में गोरखपुर यूनिवर्सिटी से एक छात्र नेता के रुप में उभरा ये शख्स कब समूचे पूर्वांचल का दबंग बन गया, ये वहां के लोगों को भी समझ नहीं आया. पिछले कुछेक सालों में कई नेता जेल में रहते हुए भी चुनाव जीते हैं. लेकिन आज से 36 बरस पहले यानी 1985 में कोई शख्स जेल की सलाखों के पीछे रहते हुए बगैर किसी बड़ी पार्टी का उम्मीदवार बने और चुनाव जीत जाए, ऐसा यूपी की राजनीति में शायद पहली बार हुआ था. तब गोरखपुर की चिल्लूपार सीट अचानक सुर्ख़ियों में आ गई थी, क्योंकि पहली बार कोई निर्दलीय उम्मीदवार जेल की सलाखों के पीछे रहते हुए चुनाव जीता था. ये हरिशंकर तिवारी की पहली जीत थी, जिसके बाद पूर्वांचल में सियासी बाहुबल के दरवाज़े खुलते चले गए. 

हरिशंकर तिवारी की तरह ही छात्र-राजनीति के जीवनकाल में ही उनके सबसे बड़े विरोधी बन चुके वीरेंद्र प्रताप शाही भी लक्ष्मीपुर सीट से विधानसभा पहुंच गए थे. उस वक्त इन दोनों बाहुबलियों की ताकत देखकर ही सियासी गलियारों से लेकर नौकरशाही तक ने उन्हें दबंग विधायक होने का दर्जा दे दिया था. लेकिन, सियासत में आने के बावजूद उन दोनों के बीच वर्चस्व की जंग आखिर तक चलती रही. लेकिन बात सिर्फ विधायक बनने पर ही ख़त्म नहीं होती. तिवारी के बाहुबल का जलवा ये था कि वे छह बार सिर्फ विधायक ही नहीं बने बल्कि साल 1997 से लेकर 2007 तक वो लगातार यूपी की सरकार में मंत्री भी बने. यानी इन दो दशकों में सरकार किसी भी पार्टी की आई लेकिन वो तिवारी की ताकत को दरकिनार नहीं कर पाई और उसे मंत्री बनाना मानो उसकी मजबूरी बन गई.

शायद लोग भूल गए हों लेकिन ये याद दिलाना जरुरी है कि योगी आदित्यनाथ ने यूपी का मुख्यमंत्री बनते ही सबसे पहला ऐलान ये किया था कि वे इस प्रदेश से 'माफिया राज' का पूरी तरह से खात्मा करके रहेंगे. साथ ही उन्होंने ये चेतावनी भी दी थी कि ऐसे माफिया या तो उत्तरप्रदेश छोड़कर चले जाएं या अपने दड़बों में रहते हुए सही रास्ता अपना लें. योगी ने माफिया राज के खात्मे के लिए 1985 में बने उस गैंगस्टर कानून का भरपूर इस्तेमाल किया. संयोग देखिये कि इस कानून को राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह लेकर आये थे, जिनका नाता भी गोरखपुर से ही था. तब कहा जाता था कि यूपी में किसी सरकार का नहीं बल्कि गुंडों का राज चलता है और उनकी मर्जी के बगैर आप कोई बिजनेस करने की सोच भी नहीं सकते.

पुरानी कहावत है कि इंसान की जैसी संगत होती है, जिंदगी में उसी संगत के साथी उसे मिल भी जाते हैं. जाहिर है कि यूपी चुनावों को लेकर सियासी पारा गरम है और पांच साल में चुनाव ही इकलौता ऐसा मौका होता है, जब बाहुबली भी अपना नया ठौर-ठिकाना बनाने की तलाश में रहते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिन पहले ही यूपी की जनसभा में समाजवादी पार्टी पर तंज कसते हुए कहा था कि ये लाल टोपी नहीं है, बल्कि रेड अलर्ट है. इन्हें लाने का मतलब है कि यूपी की जनता के भाग्य का फैसला अब माफिया ही करेंगे. सपा के नेता-कार्यकर्ता लाल टोपी ही पहनते हैं. अब इसे संयोग कहेंगे या पीएम मोदी की दूरदृष्टि कि जो उन्होंने कहा,वही सच होता दिख रहा है. हालांकि इस तथ्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि चुनाव के वक़्त हर राजनीतिक दल अपनी जरुरत के मुताबिक बाहुबलियों का इस्तेमाल करता आया है और ये आज भी बदस्तूर जारी है. लेकिन समझदार सियासी दल पर्दे की पीछे से ही उनका इस्तेमाल करने में यकीन रखते हैं, ताकि उनके दामन में कोई दाग न लगे. लेकिन सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने चुनाव से पहले ही इसे डंके की चोट पर कर दिखाया है.

रविवार को बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी के बेटे और विधायक विनय शंकर तिवारी, दूसरे पुत्र और पूर्व सांसद कुशल तिवारी और उनके भांजे गणेश शंकर पांडेय ने मायावती की बीएसपी छोड़कर सपा की सदस्यता ले ली है. सपा के लिए ये अवसर किसी उत्सव से कम नहीं था, लिहाज़ा इस मौके पर अखिलेश यादव ने कहा कि आज बहुत ही प्रतिष्ठित परिवार के लोग सपा में शामिल हो रहे हैं. कन्नौज के मेरे पहले चुनाव में कुशल तिवारी भी साथ थे. अब समाजवादी पार्टी का कोई मुकाबला नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि अब समाजवादियों के साथ अंबेडकरवादी भी आ गए हैं. इसलिए 2022 में सपा की सरकार बनने जा रही है.

हरिशंकर तिवारी अब बुजुर्ग हो चुके हैं, लेकिन बताते हैं कि एक जमाने में वे पूर्वांचल में ब्राह्मणों का बड़ा चेहरा हुआ करते थे. जाहिर है कि अखिलेश ने उनके परिवार के तीन सदस्यों को अपने साथ जोड़कर ब्राह्मण वोट साधने की कोशिश ही की है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि पिछले पौने पांच साल में माफिया राज से काफी हद तक मुक्ति पा चुकी यूपी की जनता क्या फिर से बाहुबली चेहरों पर अपना भरोसा जताएगी?

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

क्या मिट जाएगा फिलिस्तीन का नामो-निशान? UNGA में नेतन्याहू ने दिखाए जो मैप, उनमें दिखा ही नहीं
क्या मिट जाएगा फिलिस्तीन का नामो-निशान? UNGA में नेतन्याहू ने दिखाए जो मैप, उनमें दिखा ही नहीं
मुंबई में आतंकी हमले का अलर्ट, इन जीचों पर लगाई गई रोक
मुंबई में आतंकी हमले का अलर्ट, इन जीचों पर लगाई गई रोक
IIFA 2024: आराध्या को लेकर पूछा गया था सवाल, ऐश्वर्या राय ने अपने जवाब से रिपोर्टर की कर दी बोलती बंद, बोलीं- 'वो मेरी बेटी है हमेशा...'
आईफा में आराध्या को लेकर पूछा गया था सवाल, ऐश्वर्या राय ने अपने जवाब से रिपोर्टर की कर दी बोलती बंद
बड़े बजट की पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
ABP Premium

वीडियोज

UNGA में Pakistan ने उठाया था कश्मीर का मुद्दा, भारत ने दिया तगड़ा जवाब | Breaking NewsMumbai University Elections में Shivsena (UBT) का दबादबा..युवा सेना ने दर्ज की बड़ी जीत | BreakingJammu-Kashmir Elections: आज जम्मू-कश्मीर में दो जनसभाएं करेंगी Priyanka Gandhi | ABP NewsIsrael-Lebanon: लेबनान पर इजरायल की ताबड़तोड़ एयरस्ट्राइक | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
क्या मिट जाएगा फिलिस्तीन का नामो-निशान? UNGA में नेतन्याहू ने दिखाए जो मैप, उनमें दिखा ही नहीं
क्या मिट जाएगा फिलिस्तीन का नामो-निशान? UNGA में नेतन्याहू ने दिखाए जो मैप, उनमें दिखा ही नहीं
मुंबई में आतंकी हमले का अलर्ट, इन जीचों पर लगाई गई रोक
मुंबई में आतंकी हमले का अलर्ट, इन जीचों पर लगाई गई रोक
IIFA 2024: आराध्या को लेकर पूछा गया था सवाल, ऐश्वर्या राय ने अपने जवाब से रिपोर्टर की कर दी बोलती बंद, बोलीं- 'वो मेरी बेटी है हमेशा...'
आईफा में आराध्या को लेकर पूछा गया था सवाल, ऐश्वर्या राय ने अपने जवाब से रिपोर्टर की कर दी बोलती बंद
बड़े बजट की पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
पहली फिल्म बंद हुई तो इस एक्टर को लगा था तगड़ा झटका, मुंडवा लिया था सिर
IND vs BAN 2nd Test: होटल लौट गईं भारत-बांग्लादेश की टीमें, बारिश की वजह से दूसरे दिन नहीं शुरू हो सका खेल
होटल लौटी टीम इंडिया, बारिश की वजह से दूसरे दिन नहीं शुरू हो सका खेल
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
'पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री, PM शहबाज का भाषण सिर्फ एक मजाक', UNGA में भारत ने सुना दी खरी-खरी
गलती से दो बार कट गया है टोल टैक्स तो कैसे मिलता है रिफंड? ये हैं नियम
गलती से दो बार कट गया है टोल टैक्स तो कैसे मिलता है रिफंड? ये हैं नियम
World Heart Day 2024: 30 साल की उम्र में दिल की बीमारियों का खतरा कितना, इसकी वजह क्या?
30 साल की उम्र में दिल की बीमारियों का खतरा कितना, इसकी वजह क्या?
Embed widget