टीम इंडिया ने एक और टी-20 सीरीज जीत ली. वो भी इंग्लैंड में. उस इंग्लैंड में जहां कुछ दिनों पहले तक ऑस्ट्रेलिया की टीम किसी स्कूल की टीम की तरह हार रही थी. दरअसल, जीत और हार का फर्क गेंदबाज हैं. पिछले चार-पांच साल में भारतीय टीम की गेंदबाजी में कमाल का सुधार हुआ है. तेज गेंदबाजों ने कमाल का ‘इंप्रूवमेंट’ दिखाया है. भारतीय स्पिनर्स का जलवा तो हमेशा से ही ‘टाइट’ था.
हालत ये है कि अब बड़ी बड़ी विरोधी टीमें भारतीय टीम की मेजबानी से पहले इस कशमकश में रहती हैं कि मैच के लिए पिच कैसी बनाई जाए. तेज गेंदबाजों की मददगार पिच पर अब भारतीय गेंदबाज भी घातक साबित होते हैं. स्पिन फ्रैंडली विकेट बनाने में तो खतरा है ही. यही वजह है कि क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में हाल के दिनों में भारतीय टीम ज्यादा निखर कर आई है. आयरलैंड के खिलाफ पहले दोनों टी-20 मैच जीतने के बाद इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 सीरीज जीतने में भी भारतीय गेंदबाजों ने अहम रोल निभाया.
पहले और तीसरे मैच में कैसे पलटी बाजी
इंग्लैंड के खिलाफ पहले और तीसरे मैच में ज्यादा कुछ फर्क नहीं था. रविवार के मैच में इंग्लैंड ने धमाकेदार शुरूआत की. 4.3 ओवर में इंग्लैंड की टीम पचास रन पूरे कर चुकी थी. जेसन रॉय किसी भी गेंदबाज को छोड़ने के मूड में नहीं दिख रहे थे. विराट कोहली विकेट के दोनों छोर से बदलाव कर रहे थे लेकिन कामयाबी किसी को नहीं मिल रही थी. छठे ओवर में उन्होंने हार्दिक पांड्या को गेंद दी तो रनों की बरसात और तेज हो गई.
पांड्या के एक ही ओवर में रॉय और बटलर ने 22 रन जोड़ दिए. बटलर के आउट होने के बाद भी इंग्लैंड के 9.1 ओवर में 100 रन पूरे हो गए. रनों की रफ्तार कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी. इसके बाद विराट कोहली ने पांड्या को 12वें ओवर में दोबारा इस्तेमाल किया. इस बार पांड्या बिल्कुल अलग ही गेंदबाज नजर आए. उन्होंने अपने दूसरे ओवर में सिर्फ 2 रन दिए. अपने अगले ओवर में हार्दिक पांड्या ने 8 रन दिए लेकिन इन 8 रनों के बदले उन्होंने इंग्लैंड के दो बल्लेबाजों को पवेलियन भी भेज दिया.
विराट ने हार्दिक पांड्या का एक ओवर बचा लिया. बाद में जब वो 18वें ओवर में आए तो उन्होंने 6 रन देकर 2 विकेट और ले लिए. इस तरह सबसे खराब शुरूआत करने के बाद उन्होंने 4 ओवर में 38 रन देकर 4 विकेट लिए और इसी वजह से कभी सवा दो सौ तक पहुंचने वाली टीम इंग्लैंड 200 रन भी नहीं बना पाई.
इससे पहले सीरीज के पहले टी-20 मैच में यही काम कुलदीप यादव ने किया था. 11.3 ओवर में 95 रन बना चुकी इंग्लैंड की टीम पहले टी-20 मैच में कुलदीप यादव का शिकार हुई थी. कुलदीप यादव ने उस मैच में 4 ओवर में 24 रन देकर पांच विकेट लिए थे और इंग्लैंड की टीम को 159 रनों पर समेट दिया था. इस तरह इन दोनों ही मैचों में गेंदबाजों ने बाजी पलटी. बल्लेबाजी में दोनों ही मैचों में रोहित शर्मा का जलवा हर किसी ने देखा लेकिन बाजी पलटने में गेंदबाजों का रोल अहम रहा. इस बात से कोई इंकार नहीं करेगा.
लगातार शानदार रहा है गेंदबाजों का प्रदर्शन
इस सीरीज में भारतीय टीम के प्लेयर ऑफ द सीरीज रोहित शर्मा रहे. लेकिन इससे पहले टीम इंडिया ने जो लगातार टी-20 सीरीज जीती हैं उसमें उनके गेंदबाज चमके हैं. गेंदबाजों को ही प्लेयर ऑफ द सीरीज का खिताब भी मिला है.
हाल ही में आयरलैंड के खिलाफ मिली जीत में यजुवेंद्र चहल स्टार रहे थे. उन्हें मैन ऑफ द सीरीज चुना गया था. इससे पहले श्रीलंका में हुई ट्राएंगुलर सीरीज में वाशिंगटन सुंदर, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उसी के घर में मिली जीत में भुवनेश्वर कुमार, 2017 में श्रीलंका के खिलाफ सीरीज में जयदेव उनादकट और न्यूजीलैंड के खिलाफ जसप्रीत बुमराह को प्लेयर ऑफ द सीरीज के खिताब से नवाजा गया था. ये आंकड़े बताने के लिए काफी हैं कि इस टीम इंडिया की कामयाबी में गेंदबाजों का रोल कितना जबरदस्त है.