भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह देश का एक ऐसा फिल्म समारोह है, जिसकी प्रतीक्षा देश भर के सिने प्रेमियों और फिल्मकारों को ही नहीं, दुनिया भर के फिल्मकारों को रहती है. साल भर के इंतज़ार के बाद देश का यह सबसे बड़ा फिल्म मेला गोवा में शुरू हो गया. यह नौ दिवसीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह 28 नवंबर तक चलेगा. जिसमें करीब 70 देशों की 200 से अधिक फ़िल्में दिखाई जायेंगी. यह फिल्म समारोह प्रतियोगी होता है इसलिए सबसे पहले सभी का ध्यान समारोह के प्रतियोगिता खंड पर जाता है कि इसमें किस किस देश की फ़िल्में हैं. इस बार दिलचस्प यह है कि इस प्रतियोगी वर्ग में जो 15 फ़िल्में हैं वे 22 देशों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. उसका कारण यह है कि अब दुनिया में एक फिल्म का निर्माण संयुक्त रूप से कभी दो देशों द्वारा तो कभी कभी तो तीन या चार देशों द्वारा होने लगा है. भारत भी संयुक्त फिल्म निर्माण में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहा है. यहां तक ब्रिक्स देशों के पहले सम्मलेन में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संयुक्त निर्माण की पहल करते हुए सभी ब्रिक्स देशों को भारत के साथ फिल्म बनाने का आमंत्रण तो दिया ही, साथ ही भारत में आकर अपनी फिल्मों की शूटिंग करने की अपील भी की थी. यह मुहीम अब काफी रंग ला रही है.


असल में देखा जाए तो अन्तराष्ट्रीय फिल्म समारोह के आयोजन का मकसद भी यही है कि जहां एक ओर एक ही मंच पर दुनिया भर की फ़िल्में देखने को मिल सकें और दुनिया भर के छोटे बड़े फिल्मकार भी परस्पर मिलकर फिल्मों पर चर्चा करें. साथ ही संयुक्त फिल्म निर्माण और अपनी फिल्मों को एक दूसरे देश में प्रदर्शन आदि के लिए भी व्यापारिक समझोते हो सकें. इन सबसे अलग जो एक बात और अहम है वह यह कि फ़िल्में किसी भी देश की संस्कृति को जानने का सबसे अच्छा और सबसे सुगम माध्यम है. किसी भी देश की फिल्म को देखकर वहां के लोगों की चाल-ढाल, पहनावा और विभिन्न आदतों से लेकर उस देश के खान पान, कला संस्कृति और वहां की सामजिक आर्थिक स्थिति को भी काफी हद तक समझा जा सकता है. इसलिए ऐसे अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों का प्रचलन दुनियाभर में तेजी से बढ़ता जा रहा है.


एशिया में सबसे पुराना है भारतीय फिल्म समारोह
हालांकि भारत इस मामले में शुरू से ही दूरदृष्टि वाला रहा कि हमारे यहां इस तरह के फिल्म समारोह के महत्व को बरसों पहले तभी पहचान लिया गया जब विश्व में बड़े बड़े विकासशील देशों में भी गिने चुने समारोह ही होते थे. हमारे यहां पहला अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह जब सन् 1952 में मुंबई में आयोजित हुआ, तब वेनिस, कांस, कार्लोविवारी और लोकार्नो जैसे अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह ही थे. एशिया में तो तब तक कोई भी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह नहीं होता था, जिसकी पहल भारत ने ही की. इसलिए हमारा फिल्म समारोह एशिया का सबसे पुराना फिल्म समारोह है. हालांकि शुरुआती बरसों में इस तरह के अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह आयोजित करने में कई तरह की समस्या आई, इनका आयोजन नियमित नहीं हो सका. लेकिन आज जब गोवा में इस 49वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का आगाज़ हुआ है तब भारत का यह समारोह विश्व के कई बड़े फिल्म समारोह का मुकाबला करने में समर्थ है.


फिल्मों के साथ खेलों के रंग की बड़ी पहल
इस वर्ष के समारोह से हमारे यहां जो एक नई बड़ी बात होने जा रही है वह यह है कि इस बार से दर्शक यहां फिल्मों की दुनिया के साथ खेलों की दुनिया के रंग भी देख सकेंगे. इसके लिए फिल्म समारोह में ‘खेलो इंडिया’ नाम से एक नया वर्ग शुरू किया जा रहा है, जिसमें ऐसी फिल्मों का विशेष प्रदर्शन होगा जो किसी खेल पर बनी हैं या किसी खिलाड़ी की जिंदगी पर. इस तरह की फिल्मों को देखते हुए किसी मैच देखने जैसी अनुभूति हो सके उसके लिए इन फिल्मों का प्रदर्शन खुले आकाश के नीचे स्टेडियम जैसे वातावरण में किया जाएगा.


इस बरस जिन 6 भारतीय स्पोर्ट्स फिल्मों को यहां प्रदर्शन के लिए चुना गया है, उनके नाम हैं- ‘भाग मिल्खा भाग,‘मैरी कॉम’,‘एमएस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी’,‘1983’,‘सूरमा’ और ‘गोल्ड’ . इन फिल्मों को समारोह में दिखाने का उद्देश्य खेलों के आयोजन को बढ़ावा देने के साथ भारतीय खिलाड़ियों के योगदान को मान्यता देना भी है. सूचना प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठोड़ जो केन्द्रीय खेल मंत्री भी हैं, उन्हीं की पहल पर खेल-खिलाडियों पर बनी प्रमुख फिल्मों को अब से प्रति वर्ष फिल्म समारोह का एक विशेष आकर्षण बनाने का निर्णय लिया है. साथ ही यह भी प्रयास रहेगा कि इन खेल फिल्मों से जुड़े कलाकार, फिल्मकार या फिर खिलाड़ी इन फिल्मों के प्रदर्शन के दौरान वहां मौजूद रहें. इस बार भी इन फिल्मों से जुड़े लोगों में अक्षय कुमार, चित्रांगदा सिंह, रीमा कागती, शाद अली, अबरीद शाइन और राकेश ओमप्रकाश मेहरा अपनी अपनी फिल्मों के प्रदर्शन के समय समारोह में मौजूद रहेंगे.


देश विदेश से पहुंचेंगे और भी बहुत से कलाकार
समारोह में भाग लेने के लिए देश विदेश से बहुत से फिल्मकारों-कलाकारों और फिल्म समीक्षकों के पहुंचने की उम्मीद है. हालांकि इस बार पिछले साल की तरह शायद मशहूर फिल्म सितारों का बड़ा ज़मावड़ा न हो पाए. पिछली बार तो अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, शाहरुख़ खान, सलमान खान, कटरीना कैफ, आलिया भट्ट, शाहिद कपूर, इरफ़ान खान, सिद्दार्थ मल्होत्रा, राधिका आप्टे, राज कुमार राव, नाना पाटेकर, करण जौहर, एकता कपूर, सुभाष घई और अनुपम खेर सहित श्रीदेवी, बोनी कपूर और सोनाली बेंद्रे जैसे कितने ही मशहूर फिल्म मेहमान वहां मौजूद थे. यह दुखद है कि पिछले साल इस समारोह में खिलती चहकती श्रीदेवी जहां अब इस दुनिया में नहीं हैं. वहां सोनाली बेंद्रे और इरफ़ान खान अपनी गंभीर बीमारी का इलाज़ कराने के लिए विदेश में हैं.


वहां अपने साथ ‘मीटू’ जैसे विवाद में जुड़ने के कारण शायद नाना पाटेकर भी इस बार गोवा न जाएं. पता लगा है नाना पाटेकर को इस बार आमंत्रण भी नहीं भेजा गया. लेकिन अक्षय कुमार, अनिल कपूर, वरुण धवन, जान्ह्वी कपूर, अर्जुन कपूर, हृषिता भट्ट, सोनू सूद, शिल्पा राव, अरिजीत सिंह, रमेश सिप्पी, करण जौहर, सुभाष घई, डेविड धवन, मधुर भंडारकर, बोनी कपूर, मेघना गुलज़ार, शाजी एन करून, कौशिक गांगुली और प्रसून जोशी जैसी फिल्म सेलिब्रिटी इस बार भी वहां मौजूद रहेंगे. विदेशी फिल्म हस्तियों में भी समारोह में जोनाथन राइस, जोली रिचर्डसन, जूलिया रॉबिन्स, मॉर्गन पोलस्की, निकोलस हाउ, जुलियन लेनडाइस, चिन हैन तो होंगे ही साथ ही जूरी के सदस्य में शामिल हुए कुछ जाने माने फिल्मकार राबर्ट ग्लिंसकी, एड्रियन सितारु, एन्ना फेराइलो रैवेल और टॉम फिट्ज़ पेट्रिक्स तो समारोह में हैं ही.


श्रीदेवी, विनोद खन्ना और शशि कपूर को भी किया जाएगा याद
इस 49वें फिल्म समारोह में कुछ उन फिल्म हस्तियों को भी याद किया जा रहा है जिनका निधन पिछले कुछ समय में हुआ है. इनमें जहां एक ओर दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता शशि कपूर और विनोद खन्ना हैं तो दूसरी ओर रूप की रानी श्रीदेवी भी. साथ ही तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और दक्षिण के मशहूर फिल्मकार करूणानिधि और निर्देशिका कल्पना लाज़मी भी हैं. उधर हाल ही में दिवंगत विदेशी फिल्मकारों में भी टेरेंस मार्श, मिलोस फोरमैन और एनेवी कोट्स को भी इस बार श्रद्दांजलि दी जायेगी. इसके तहत इन कलाकारों की अमर अकबर एंथनी, अचानक, लेकिन, उत्सव और मॉम जैसी फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा.


इंडियन पेनोरमा में क्या है
भारतीय फिल्म समारोह में इंडियन पेनोरमा का भी हमेशा विशेष आकर्षण रहता है. इस वर्ग में 26 फीचर फिल्मों के साथ 21 गैर फीचर फ़िल्में भी हैं. प्रमुख फीचर फिल्मों में सिर्फ बांगला की ही 5 ख़ास फ़िल्में हैं, नगर कीर्तन, सा, उमा, अव्यक्तो, उरोनचोंडी तो मलयालम की एक अहम फिल्म ओलू भी इस वर्ग में है. जबकि पद्मावत, राज़ी और एक था टाइगर जैसी हिंदी की चर्चित और सुपरहिट फिल्म भी इंडियन पेनोरमा का आकर्षण हैं. ‘पद्मावत’ फिल्म समारोह में और भी ज्यादा सुर्खिया बटोरेगी क्योंकि इस फिल्म के विरोध के चलते इसका देश में कुछ जगह ढंग से प्रदर्शन नहीं हो पाया था. फिर यह फिल्म भारतीय संस्कृति और राजपुताना शान-बान और आन को दिखाती है. विदेशी फिल्म प्रेमी ऐसी भारतीय फिल्मों को काफी पसंद करते हैं.


समारोह की अन्य फिल्मों में क्या क्या है ख़ास
सन् 2018 के इस फिल्म समारोह में दर्शकों को देखने के लिए एक से एक फिल्म मिलेंगी. इधर अच्छी बात यह है कि इस बार की 15 प्रतियोगी फिल्मों में तीन फिल्में भारत से भी हैं. जिनमें मलयालम की दो फ़िल्में ‘जीसस मेरी जोसफ’ और ‘फीयर’ हैं तो एक तमिल फिल्म ‘टू लेट’ है. लेकिन हिंदी की कोई भी फिल्म प्रतियोगिता वर्ग में नहीं पहुंच पाई है. इस वर्ग में जो अन्य प्रमुख विदेशी फिल्म हैं उनमें ए ट्रांसलेटर, 53 वार्स, ए फॅमिली टूर, हियर और द अनसीन भी शामिल हैं.


इनके अलावा विश्व पेनोरमा में जिन कुल 67 फिल्मों का प्रदर्शन होगा उनमें 4 फिल्मों का वर्ल्ड और 15 का एशिया प्रीमियर होगा. इस वर्ग की 15 फ़िल्में तो ऐसी हैं जिन्हें ऑस्कर अवॉर्ड के लिए नामांकित किया गया था. समारोह का उद्घाटन ‘द एसपर्ण’ फिल्म से हुआ है. वहां स्वीडन के विश्व प्रसिद्ध फिल्मकार इंगमार बर्गमैन के जन्म शताब्दी वर्ष पर उनकी 7 फिल्मों का भी समारोह में विशेष प्रदर्शन होगा.


उधर इस बरस जिस एक देश की फिल्मों पर विशेष फोकस रखा गया है वह है इजरायल, जहां की 10 फ़िल्में समारोह में दिखाई जायेंगी. जिनमें –फुटनोट, रिडेम्पशन, लौन्गिंग, पैरा अडुमा, द बबल, द अनऑर्थोडॉक्स, द अदर स्टोरी, वाल्ट्ज विद बशीर और वर्किंग वुमन तो हैं ही लेकिन इन सबसे एक अलग वह फिल्म भी इस वर्ग में है जो भारतीय दर्शकों के लिए ख़ास है. वह फिल्म है-‘शालोम बॉलीवुड: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ इंडियन सिनेमा’. यह यूं तो एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म है, लेकिन इसकी लंबाई एक फीचर फिल्म के बराबर ही है. यह फिल्म बताती है कि यहूदी समाज का भारतीय फिल्म उद्योग को आकार देने में कितना बड़ा योगदान है.


इसके माध्यम से भारतीय सिनेमा में राज करने वाली सुलोचना (रूबी मेयर्स) से लेकर रोज़ एजरा और देश की पहली मिस इंडिया बनी प्रमिला (एस्थेर अब्राहम) से लेकर नादिरा (फरहत एजकील) तक सभी का अहम योगदान दिखाया गया है. इस फिल्म में मौजूदा दौर के सितारों में ऋषि कपूर ने भी यहूदियों के भारतीय सिनेमा में योगदान को बताया है. इस फिल्म का पिछले साल मामी मुंबई फिल्मोत्सव में जब वर्ल्ड प्रीमियर किया गया तो इसे काफी सराहा गया था. इन दिनों हमारे इजरायल के साथ जिस तरह मधुर और अच्छे रिश्ते बन रहे हैं तो समारोह में इजरायल पर फोकस और भी अधिक मायने रखता है. इस फोकस को और भी ख़ास बनाने के लिए हॉलीवुड फिल्मों में अपने अभिनय की धाक जमा चुके इजरायली अभिनेता अलॉन अबाउटबाउल भी समारोह में शिरकत करने आ रहे हैं.


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